समरसता सेवा संगठन ने किया भगवान परशुराम एवं भगवान चित्रगुप्त जी के अवतरण दिवस विचार गोष्ठी एवं पौधारोपण
आज भास्कर\जबलपुर। सब सबको जाने सब सबको माने के मंत्र के साथ समरस भारत से समर्थ भारत के निर्माण के उद्देश्य को लेकर समरसता सेवा संगठन ने भगवान परशुराम एवं भगवान चित्रगुप्त के अवतरण दिवस पर मुख्य अतिथि श्री शिवनारायण पटेल, विशिष्ट अतिथि प्रो. एस एस संधू, समरसता सेवा संगठन के अध्यक्ष श्री संदीप जैन, सचिव उज्ज्वल पचौरी की उपस्थिति में विचार गोष्ठी का आयोजन अग्रवाल धर्मशाला ग्वारीघाट में किया। इस अवसर पर सभी ने मिलकर भगवान श्री परश्रुराम जी को समर्पित करते हुए रुद्राक्ष का और भगवान चित्रगुप्त जी को समर्पित करते हुए सिंदूर का पौधा अग्रवाल धर्मशाला ग्वारीघाट के समीप स्थित नर्मदा उद्यान में रोपित किया।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि श्री शिवनारायण पटेल ने इस अवसर पर कहा आज भगवान परशुराम, भगवान चित्रगुप्त के अवतरण दिवस के साथ ही आद्य शंकराचार्य एवम भक्त शिरोमणि सूरदास जी की जन्म जयंती भी है और समरसता सेवा संगठन के इस मंच से हम इन चारो को नमन करते है। उन्होंने कहा आद्य शंकराचार्य जी ने सनातन की रक्षा के लिए अद्वैत वेदान्त को ठोस आधार प्रदान किया। भगवान परशुराम ने अधर्मियों के समूल नाश करते हुए अपने ज्ञान, तप से शास्त्र और शस्त्र की शिक्षा दी। भगवान चित्रगुप्त ने ब्रह्मांड का लेखा जोखा रखने का कार्य किया। आज हम इनके अवतरण दिवस पर समरस होकर कार्य करने का संकल्प ले रहे है।
श्री पटेल ने कहा पंच तत्व प्रकृति के पांच मूल तत्व हैं, जो भारतीय दर्शन और योग में महत्वपूर्ण माने जाते हैं। ये तत्व हैं- पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और आकाश इन्ही तत्वों से मिलकर प्रकृति बनी है इन पांच तत्वों की सुरक्षा करना ही पर्यावरण को संरक्षित करना है इन पांच तत्वों में पौधा लगाने श्रेष्टम कार्य है। पौधा लगाना ही एक उद्देश्य नही होना चाहिए उस पौधे को संरक्षित करने का कार्य भी करना चाहिए और समरसता सेवा संगठन के अभिनव प्रयास में समाज की अधिक से अधिक सहभागिता हो इसका प्रयास हमे करना होगा।
कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि डॉ एस एस संधू ने अपने संबोधन में कहा श्रष्टि का हर कण जिसने जान हो या न जान हो उसमे शिवतत्व है और जिसमे जीवन है उसमे मां पार्वती की शक्ति होती है और पार्वती ही प्रकृति है और यह हम जानते है कि इन प्रकृति से ही हमारा जीवन है और समरसता सेवा संगठन ने अपने नए कैलेंडर में यह अनुकरणीय प्रयास करते हुए सबको साथ लेकर पेड़ लगाने का अच्छा प्रयास प्रारंभ किया है हमे प्रकृति के संरक्षण के लिए पेड़ो को लगाना ही नहीं बल्कि उनका संरक्षण और संवर्धन भी करना होगा।
श्री संधू ने कहा हर आदमी के दिल में बैठे हुए आराध्य को सभी माने और सभी उनके उपदेशों को आत्मसात करे यह सच्ची समरसता होगी।
समरसता सेवा संगठन के अध्यक्ष श्री संदीप जैन ने कार्यक्रम की प्रस्तावना और स्वागत उद्बोधन देते हुए कहा हमारा संगठन तीसरे वर्ष में प्रवेश कर चुका है और संगठन की यात्रा में यहां बैठे सभी सुधीजन इस यात्रा के साक्षी और सहभागी है आप सभी के सहयोग से ही हम पिछले दो वर्षो में हम 60 से अधिक कार्यक्रम सफलता पूर्वक कर सके। समरसता सेवा संगठन ने अपने दो वर्षो के कार्यकाल में महापुरुषों की जन्म जयंती पर विचार गोष्ठी और प्रतिभा सम्मान समारोह का आयोजन किया। संगठन ने अपने तीसरे वर्ष में थोड़ा परिवर्तन करते हुए इस वर्ष से पर्यावरण और प्रकृति के प्रति अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन करने का संकल्प लेते हुए उन महापुरुष के नाम पर एक पौधा लगाने का कार्य प्रारंभ किया है।
श्री जैन ने कहा महापुरुष और देवियों की जन्म जयंती पर संगठन के द्वारा आगंतुक जनों को पौधा उपलब्ध कराया जाएगा और जो भी यहां से पौधा लेकर जायेंगे वो अपने क्षेत्र में उसे रोपित करने के साथ ही उसे संरक्षित करने का कार्य भी करेंगे।
कार्यक्रम के दौरान आगंतुक जनों ने प्रकृति संरक्षण और पौधारोपण का संकल्प पत्र भरकर पौधा लगाने और उसे संरक्षित करने का संकल्प लिया।
कार्यक्रम का संचालन धीरज अग्रवाल और आभार सचिव उज्ज्वल पचौरी ने व्यक्त किया।
इस अवसर पर पंकामता प्रसाद तिवारी, डॉ विनोद श्रीवास्तव, मथुरा प्रसाद चौबे, देवेंद्र श्रीवास्तव, एड नवीन शुक्ला, रत्ना श्रीवास्तव, एड आशीष त्रिवेदी, बच्चन श्रीवास्तव, अशोक बिल्थरे रामबाबू विश्वकर्मा, आलोक पाठक, पं मुन्ना गौतम, विवेक खरे, संतोष मिश्रा रत्नेश मिश्रा, रविंद्रनाथ दुबे, संजय गोस्वामी, नीरज वर्मा, सुनील सोनी, सुरेश पांडे, गुड्डू अवस्थी, प्रवीण डोंगरे, सिद्धार्थ शुक्ला, मुकेश प्रजापति डॉ मुकेश पांडे, चंद्रप्रकाश श्रीवास्तव, अखिलेश दीक्षित, राजकुमार शर्मा सुग्गी, पराग श्रीवास्तव, रेखा श्रीवास्तव, मीना श्रीवास्तव, अनिता मिश्रा, ममता श्रीवास्तव, संतोष श्रीवास्तव, आदर्श श्रीवास्तव, राकेश श्रीवास्तव के साथ बड़ी संख्या में सामाजिक जन उपस्थित थे।