भाजपा अपने प्रदेश अध्यक्ष को बचाने के चक्कर में नहीं कर रही कार्यवाही - Aajbhaskar

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Friday, April 4, 2025

भाजपा अपने प्रदेश अध्यक्ष को बचाने के चक्कर में नहीं कर रही कार्यवाही

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वरिष्ठ पत्रकार दिग्विजय सिंह की रिपोर्ट 
आज भास्कर\जबलपुर.पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज और उनके पूर्वमंत्री गौरीशंकर के ससुराल गोंदिया की रहने वाली गौरीशंकर की भतीजी बहू डॉक्टर धारणा का प्रकरण विशेष स्थापना पुलिस लोकायुक्त भोपाल में किस तरह से 09 दिन के अंदर समाप्त किया गया था, अंक 16 में आपने पढ़ा है।  जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय में डॉक्टर धारणा का प्रतिनियुक्ति का प्रस्ताव तैयार करने वाले सहायक कुल सचिव प्रशांत श्रीवास्तव और कूटरचना के प्रमुख दो आरोपी डॉक्टर धारणा और उनके पति शरद बिसेन ने प्रतिनियुक्ति के प्रस्ताव 20. 07.2017 की ड्राफ्टिंग तैयार करने में क्या खेल खेला है, उसे समझने के लिए कुल 22 लाइन के पांच पैराग्राफ वाले प्रतिनियुक्ति के प्रस्ताव का विश्लेषण आगे दे रहे हैं:- 

इस खबर का मूल विषय है की कृषि विश्वविद्यालय के रिकॉर्ड में डॉक्टर धारण की पांच नियुक्ति तिथियां मौजूद है।
आरटीआई में पूछा था कि इन पांच नियुक्ति तिथियों में से किस नियुक्ति तिथि को आधिकारिक तौर पर विश्वविद्यालय ने माना है उसकी प्रतिलिपि प्रदान करें। 


कृषि विश्वविद्यालय का लोक सूचना विभाग मूल नियुक्तितिथि की प्रतिलिपि तो उपलब्ध नहीं कर पाया।
पर आरटीआई में डॉक्टर धारण की प्रतिनियुक्ति और संविलियन की फाइल प्रकरण क्रमांक 104 / 39 दिनांक 9. 5.2024 में संलग्न प्रशासनिक परिषद हेतु प्रस्ताव से यह स्पष्ट हुआ है कि डॉक्टर धारणा की महाराष्ट्र शासन में सहायक प्राध्यापक के पद पर नियुक्ति तिथि 10.9.2012 को विश्वविद्यालय ने मान्य किया है।


सहायक कुल सचिव बैठक प्रशांत श्रीवास्तव और सहायक कुल सचिव स्थापना एक और दो प्रशांत श्रीवास्तव ने प्रशासनिक परिषद हेतु प्रतिनियुक्ति प्रस्ताव तैयार किया है, उसके प्रत्येक पैराग्राफ अनुसार हम यहां बता रहे हैं

  • 1..प्रस्ताव के पहला पैराग्राफ में सादे कागज पर धरना के आवेदन 19.10. 2016 को परिशिष्ट एक कहा है।
  • 2.. पहले पैराग्राफ की छठवीं और सातवीं लाइन में मध्य प्रदेश मूलभूत नियम (में वर्णित सामान्य अनुबंध और शर्तों के अधीन) को परिशिष्ट दो कहा है।
  • 3.. आपसी सहमति के आधार पर कृषि विश्वविद्यालय जबलपुर से प्राचार्य गोंदिया को प्रेषित पत्र 462 दिनांक 17 3 2017 को परिशिष्ट तीन कहा है।
  • पहले पैराग्राफ में इन तीन परिशिष्ट का उल्लेख है।
  • प्रस्ताव के दूसरे पैराग्राफ में विश्वविद्यालय से प्राचार्य गोंदिया को प्रेषित पत्र 17.03.2017 के जवाब में प्राचार्य गोंदिया द्वारा प्रतिनियुक्ति और संविलियन हेतु प्रेषित अनापत्ति प्रमाणपत्र 21. 06. 2017 को परिशिष्ट चार कहा है।
  • 4.. प्रस्ताव का अंतिम पैराग्राफ क्रमांक 5 में किसी भी कर्मचारी की सेवाएं प्रतिनियुक्ति पर लिए जाने हेतु शासन में प्रचलित मूलभूत नियम 111 को विश्वविद्यालय ने अंगीकृत किया है और इसी के तहत कार्यवाही की जा रही है यह परिशिष्ट पांच है।
  • 5... प्रस्ताव का तीन लाइन का पैराग्राफ क्रमांक 4 अत्यंत महत्वपूर्ण है, सामूहिक सुविचारित सुसंयोजित सुसंगठित षड्यंत्र के साथ कूटरचना का स्पष्ट प्रमाण है। 


लाभ के पद पर बैठकर रक्त संबंधियों के लिए पद का दुरुपयोग करना कदाचरण करना वास्तविक तथ्यों को छुपा कर झूठे और गलत तथ्य को सत्य के रूप में प्रस्तुत करने का पहला कदम सहायक कुलसचिव बैठक प्रशांत श्रीवास्तव और सहायक कुल सचिव स्थापना एक प्रशांत श्रीवास्तव ने उठाया है।
इस सुसंगठित राजनीतिक प्रभाव से ओतप्रोत षड्यंत्र को फलीभूत करने के पीछे वर्तमान भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बीडी शर्मा के ससुर वर्तमान कुलगुरु प्रमोद कुमार मिश्रा और पूर्व कुलगुरु, धारणा के ससुर प्रदीप कुमार बिसेन के प्रस्ताव पर हस्ताक्षर होने से सीधा हस्तक्षेप और दखल स्पष्ट है, प्रमाणित है।

हम वापस प्रतिनियुक्ति के प्रस्ताव 20.7.2017 के पैराग्राफ नंबर चार पर लौटते हैं, जिसकी तीन लाइनों में लेख है कि डॉक्टर धरना आर टेंभरे जीव विज्ञान में स्नातकोत्तर एवं पीएचडी उपाधि प्राप्त हैं। तथा वर्तमान में सहायक प्राध्यापक जीव विज्ञान के पद पर डीबी विज्ञान महाविद्यालय गोंदिया महाराष्ट्र शासन में दिनांक 10.9. 2012 से कार्यरत है।


सुधी पाठक यह समझ गए होंगे कि इस कूटरचना में
डीबी साइंस कॉलेज गोंदिया की प्राचार्य अनजान नायडू, बालाघाट में बैठकर डॉक्टर धरना का प्रतीनियुक्ति का आवेदन तैयार करने वाले डॉक्टर धरना के पति शरद बिसेन उत्तम बिसेन बालाघाट से शामिल है।  जबलपुर विश्वविद्यालय के स्तर पर तत्कालीन डीन फैकल्टी और वर्तमान कुलगुरु तथा प्रदेश भाजपा अध्यक्ष बीडी शर्मा के ससुर प्रमोद कुमार मिश्रा और पूर्व कुलगुरु धारणा के ससुर प्रदीप कुमार बिसेन के प्रशासनिक परिषद के निर्णय 21.7.2017 पर हस्ताक्षर होने से सीधा हस्तक्षेप और दखल प्रमाणित है। 


सुधी पाठक सोच रहे होंगे कि अभी तक कूटरचना का स्पष्टीकरण क्यों नहीं आ रहा है और कूटरचना क्या है, छल ,धोखा, कहां है । तो प्रशांत श्रीवास्तव ने प्रतिनियुक्ति के प्रस्ताव 20.07. 2017 में डॉक्टर धरना के आवेदन 19. 10. 2016 के मुताबिक महाराष्ट्र शासन में 10. 09. 2012 से कार्यरत होने का लेख किया है।  कृषि विश्वविद्यालय जबलपुर के लोक सूचना अधिकारी से धरना की बोगस 5 नियुक्ति तिथियां में से किस तिथि को वास्तविक रूप से विश्वविद्यालय ने स्वीकार किया है इसकी प्रतिलिपि चाही गई थी। 


विश्वविद्यालय इसकी प्रतिलिपि देने में असमर्थ रहा, पर खोजबीन से यह स्पष्ट हुआ कि विश्वविद्यालय ने डॉक्टर धरना के आवेदन 19. 10.2016 के मुताबिक महाराष्ट्र शासन में सहायक प्राध्यापक के पद पर नियुक्ति आदेश 10.9.2012 को मान्य किया है।  डॉक्टर धरना के आवेदन 19. 10. 2016 और सहायक कुल सचिव बैठक प्रशांत श्रीवास्तव के द्वारा बनाए प्रतिनियुक्ति के प्रस्ताव दिनांक 20.7.2017 से स्पष्ट है कि महाराष्ट्र शासन में 10. 09. 2012 की नियुक्ति तिथि को स्वीकार किया है।  डॉक्टर धारणा की विश्वविद्यालय से आरटीआई में प्राप्त संविलियन की फाइल प्रकरण क्रमांक 104/ 39, 09.05.2024 में कहीं पर भी धारणा का महाराष्ट्र शासन में सहायक प्राध्यापक के पद पर नियुक्ति आदेश 10.09.2012 संलग्न नहीं है।  अब आगे एक तथ्य और स्पष्ट कर दे कि प्रशांत श्रीवास्तव ने प्रस्ताव के अंतिम पैराग्राफ पांच में लेख किया है कि किसी भी कर्मचारी की सेवाएं प्रतिनियुक्ति पर लिए जाने हेतु शासन में प्रचलित मूलभूत नियम 111 जिसे विश्वविद्यालय ने अंगीकृत किया है के तहत कार्रवाई की जा सकती है।

सहायक कुलसचिव विधि, बैठक, प्रशासन, गोपनीय इन चार प्रभार को संभालने वाले प्रशांत श्रीवास्तव की कूटरचना का खुलासा करते हैं।

 चार महत्वपूर्ण प्रभार का वजन अपने कंधों पर ढोने वाले प्रशांत श्रीवास्तव को कैसे कमजोर या नादान माना जा सकता है?


  • वास्तव में मध्य प्रदेश मूलभूत नियम में किसी भी कर्मचारी की सेवाएं प्रतिनियुक्ति पर लेने का कोई भी डायरेक्शन नहीं है। 
  • मध्य प्रदेश मूलभूत नियम में केवल और केवल शासकीय सेवक की सेवा प्रति नियुक्ति में लेने का मार्गदर्शन वर्णित है। 
  • प्रशांत श्रीवास्तव ने शासकीय सेवक को प्रतिनियुक्ति पर लेने संबंधी मार्गदर्शन को हवा में गायब कर दिया, इसकी जगह किसी भी कर्मचारी की सेवा का लेख कर दिया, यही खेल हो गया,। 
  • प्रशांत श्रीवास्तव ने लिख दिया कि किसी भी कर्मचारी की सेवाएं प्रतिनियुक्ति पर लिए जाने हेतु शासन में प्रचलित मूलभूत नियम के तहत कार्रवाई की जा सकती है। 


दोनों प्रशांत श्रीवास्तव जिम्मेदारी से इसीलिए नहीं बच सकते क्योंकि सहायक कुल सचिव प्रशांत श्रीवास्तव के पास चार प्रभार हैं। 


चार प्रभार में से पहला है विधि,
दूसरा है बैठक,
तीसरा है गोपनीय, चौथा है प्रशासन 


अब सुधी पाठक विचार करें कि जो सहायक कुल सचिव पिछले 6 वर्षों से ज्यादा उक्त चार प्रभार देख रहा हो और फोन करने पर बार-बार कहे कि मैं हाईकोर्ट में केस में हूं आपको आरटीआई की जानकारी लौट के दूंगा और कभी भी वह जानकारी ना मिले आज तक ना मिले तो उसकी चतुराई का अंदाजा लगाया जा सकता है। यह वही प्रशांत श्रीवास्तव है जो निर्वाचन आचार संहिता लागू रहने के दौरान अपने आप को वर्तमान जिलाधीश दीपक सक्सेना का रिश्तेदार बताकर मार्च और अप्रैल मे दो बार दिल्ली प्रवास कर आए। प्रशांत के खिलाफ कुलगुरु डॉक्टर प्रमोद कुमार मिश्रा ने कोई कार्रवाई नहीं की है। इस विषय पर मैं अगले एपिसोड में स्पष्ट करूंगा। क्योंकि इस मसले में जिलाधीश दीपक सक्सेना और उनके उप जिला निर्वाचन अधिकारी वर्तमान एडिशनल कलेक्टर मिशा सिंह भी लपेटे में आ रही है।


मैंने पहले ही बताया है कि इस महत्वपूर्ण कूट रचना में नागपुर- महाराष्ट्र, बालाघाट, जबलपुर और भोपाल के किसान कल्याण एवं कृषि विकास विभाग के अपर संचालक ईटी शामिल है इस पर हम आगे चर्चा करेंगे। अब सुधी पाठक स्वयं विचार करें कि केवल शासकीय कर्मचारियों की सेवाएं प्रतिनियुक्ति पर लिए जाने के मार्गदर्शन को किसी भी कर्मचारी की सेवाएं प्रतिनियुक्ति पर लिए जाने का लेख करने वाला प्रशांत श्रीवास्तव और उससे यह सब लेख करने वाले वर्तमान कुलगुरु डॉक्टर प्रमोद कुमार मिश्रा कितने चतुर सुजान होंगे।  इन सभी ने यह सोच रखा होगा की 8 साल बीत गए अब तो घपला दब गया अब तो कूटरचना का अपराध खत्म हो गया। अब 8 साल में गड़ा मुर्दा कौन उखाड़ेगा।


आधुनिक युग में जब समुद्र में डूबे टाइटन और ऐतिहासिक द्वारिका नगरी का पता लगाया जा सकता है तो फिर यह तो बहुत छोटा सा घपला है जिसे ऑन रिकॉर्ड किया है। 


इसीलिए इस घपले की फाइल जिन-जिन कर्मचारियों अधिकारियों की टेबल पर गई है वह सभी 100 से अधिक कर्मचारी और अधिकारी सामूहिक सुविचारीत, सुसंगठित कदाचरण, पद का दुरुपयोग करने के लिए एक राय होकर सामूहिक षड्यंत्र करने के दोषी बन रहे हैं। खासतौर पर जब सभी के सभी अधिकारी वर्ग के लोग हो, तो यह कैसे मान लिया जाए की इन सभी को विधि, मैन्युअल ऑफिस प्रोसीजर रूल, मूलभूत नियम और विश्वविद्यालय अधिनियम का ज्ञान नहीं है।  इसीलिए इस पूरे मामले में, मैं बार-बार पूर्व मुख्यमंत्री वर्तमान केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान और उनके सभी सहयोगियों का नाम लेता हूं।


इस 17 वें अंक में जबलपुर सिविक सेंटर से प्रकाशित संध्या दैनिक का धन्यवाद करता हूं कि अखबार ने बोगस नियुक्ति तिथियां का फाइव स्टार टांगे घूम रही धरना बिसेन पर शानदार स्टोरी की है। बाकी तो सारे बड़े अखबारों ने अपने रिपोर्टर लगा रखे हैं लेकिन किसी ने भी एक लाइन भी नहीं छपी है अब क्यों नहीं छपी है इसके विस्तार में जाना ठीक नहीं है। अगले अंक 18 में वर्तमान कुलगुरु पीके मिश्रा ने वर्ष 2023 में दिए गए 10 से अधिक शिकायत आवेदनों पर कार्रवाई क्यों नहीं की और उनका दोहरा मानक डबल स्टैंडर्ड क्या है इस पर विस्तार से स्टोरी करेंगे।
नवरात्रि चालू रहने के कारण कुछ विराम भी लिया जा सकता है लेकिन सुधी पाठक इंतजार करेंगे।

क्रमशः --------