क़ृषि मंत्री शिवराज नें शाडू गौरीशंकर की बहु के लिए किये सरकारी नियम, शिथिल विधान सभा में दी गलत औऱ भ्रामक जानकारी - Aajbhaskar

खबरे

Friday, April 11, 2025

क़ृषि मंत्री शिवराज नें शाडू गौरीशंकर की बहु के लिए किये सरकारी नियम, शिथिल विधान सभा में दी गलत औऱ भ्रामक जानकारी


जबलपुर से वरिष्ठ पत्रकार दिग्विजय सिंह की रिपोर्ट

Highlights:
  • क़ृषि मंत्री शिवराज नें शाडू गौरीशंकर की बहु के लिए किये सरकारी नियम शिथिल 
  • विधान सभा में दी गलत औऱ भ्रामक जानकारी 
  • शिवराज के इशारे पर रोकी कार्यवाही


आज भास्कर\जबलपुर।
देश के कृषि मंत्री शिवराज के मुख्यमंत्री के कार्यकाल में रीवा चुरहट के विधायक गिरीश गौतम ,मध्यप्रदेश विधानसभा के अध्यक्ष थे। गिरीश गौतम ने जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय के प्रमंडल की 221 वीं बैठक 11 अप्रैल 2018 में अशासकीय सहायक प्राध्यापक धारणा बिसेन का शासकीय सेवा में अंतरराज्यीय समंवीलीयन के अनुमोदन प्रस्ताव पर दस्तखत किए हैं। इसीलिए जब 7 अगस्त 2022 को विधानसभा में ध्यानआकर्षण सूचना 57 के माध्यम से विधिविरुद्ध प्रतिनियुक्ति और समंविलियन का सवाल उठाया गया तो इस मामले को गोंदिया बालाघाट जबलपुर और भोपाल के स्तर पर पूरी तरह गुमराह करने वाला जवाब प्रस्तुत किया गया। (गुमराह करने वाले जवाब पर स्पष्टीकरण एक बार आ चुका है लेकिन फिर से प्रस्तुत करेंगे।)
विधानसभा में जिन मुद्दों पर जांच करना थी वह सभी बिन्दु उठाए गए हैं, इन मुद्दों पर ध्यान केंद्रित किए बिना आधा - अधूरा, भ्रामक जवाब, कृषि विश्वविद्यालय के वर्तमान कुलगुरु पीके मिश्रा ने प्रस्तुत किया है। विधानसभा में जवाब प्रस्तुत करने की एक निश्चित शब्दसीमा लगभग 130 से 150 की होती है। भ्रामक और अधूरे जवाब से विधानसभा संतुष्ट हो गई या कर दी गई या फिर गिरीश गौतम ने अपने बचाव में वह सब कर लिया जो जरूरी था। 


(इस मुद्दे पर हम आगे फिर बहस करेंगे )लेकिन अभी धारणा और शरद की अत्यंत महत्वपूर्ण कूटरचनाओं को आपके सामने प्रस्तुत करते हैं।कूटरचना पर वापस लौटते हैं । भविष्य में न्यायालय में कूटरचना , कदाचरण, सामूहिक षड्यंत्र, पद का दुरुपयोग, सगे रक्तसंबंधी को लाभ के पद का फायदा देना, सुविचारित , सुनियोजित योजना के साथ वास्तविक तथ्यों को छुपाना अर्थात सत्य को छुपाना और झूठ अर्थात असत्य को स्थापित करना आज के बिंदु यही है। इसमें सबसे पहले है मूलभूत नियम के अनुसार क्या धारणा ने प्रतिनियुक्ति का आवेदन प्रस्तुत किया है। इसका उत्तर है नहीं बिल्कुल नहीं। मात्र एक सादे कागज पर मिथ्या जानकारी युक्त आवेदन 19. 10.16 और 30. 6. 2017 प्रस्तुत किया है। 


मूलभूत नियम में ऐसी कोई व्यवस्था नहीं है कि वह एकमात्र अभ्यर्थी से प्रतिनियुक्ति का आवेदन बुलाए और फिर बिना किसी प्रतिस्पर्धी की उपस्थिति के प्रतिनियुक्ति कर दी जाए। मूलभूत नियम के अनुसार कम से कम तीन अभ्यर्थियों के आवेदन रिकॉर्ड पर होना चाहिए जो नहीं है। शासकीय अभिलेखों के अनुसार यहां पहले क्रम पर ही कृषि विश्वविद्यालय और डीबी साइंस कॉलेज गोंदिया ने जानबूझ कर गलती की है।

अब आगे चलते हैं कि गलती क्या-क्या हुई है

1..सबसे पहले और महत्वपूर्ण गलती है धरना ने प्रतिनियुक्ति आवेदन 19.10. 16 में महाराष्ट्र शासन में 10. 09.2012 से पदस्थ होने का सेवारत होने का लेख किया है। इसका जवाब है कि अभी तक आरटीआई से मांगे गए अभिलेखों में एक भी अभिलेख महाराष्ट्र शासन के राजचिन्ह के साथ महाराष्ट्र शासन में नियुक्ति का आदेश10. 09. 2012 प्रस्तुत नहीं किया है।प्रथम अपील अधिकारी ने, कृषि विश्वविद्यालय प्रशासन को इस बात का आदेश दे चुके हैं कि 10 दिन में धरना के आवेदन 19. 10. 2016 मैं वर्णित महाराष्ट्र शासन में नियुक्ति के अभिलेख प्रस्तुत करें ।लेकिन स्थापना एक ने जवाब दिया है कि उनके पास महाराष्ट्र शासन में नियुक्ति के संबंध में कोई अभिलेख नहीं है। इस तरह डॉक्टर धरना और शरद बिसेन का पहला कूटरचना प्रमाणित होता है।


2.मध्य प्रदेश मूलभूत नियम क्या इस बात की इजाजत देता है कि केवल और केवल एकमात्र अभ्यर्थी धारणा बिसेन ,प्रतिनियुक्ति और संविलियन के चार आवेदन प्रस्तुत करें जिनमें से केवल एक आवेदन पर विभाग की टीप और आवक जावक दर्ज हो और शेष तीन आवेदन पर कोई टीप आवक जावक नहीं हो।


यह कृषि विश्वविद्यालय की मिलीभगत को दर्शाता है,। क्योंकि धरना ने चार आवेदन किस आधार पर प्रस्तुत किए हैं इस आशय का कोई पत्राचार उपलब्ध नहीं है। और यही बिंदु वर्तमान केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान को शक के दायरे में खड़ा करता है कि उनके और गिरीश गौतम के दबाव में पूर्व कृषिमंत्री गौरीशंकर बिसेन की बहू को उपकृत किया गया है यह दूसरी कूटरचना इसीलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि धरना ने प्रतिनियुक्ति और समविलियन के चार आवेदन विश्वविद्यालय के किस विज्ञापन या पत्र के आधार पर प्रस्तुत किए हैं, इस आशय की सूचना आरटीआई 9.12.2022 के अंतर्गत चाहे गए 12 बिंदुओं में नहीं दी गई है। प्रथम अपील अधिकारी आदेश पारित कर चुके हैं, लेकिन जानकारी विश्वविद्यालय प्रशासन ने नहीं दी है इसीलिए यह दूसरी कूटरचना भी प्रमाणित है।


3. तीसरी महत्वपूर्ण कूटरचना है कि बालाघाट के डीन वी बी उपाध्याय ने वर्तमान कुलपति पीके मिश्रा को भेजें सम्मविलीयन के पत्र और प्रस्ताव 23.03.2018 में लेख किया है कि धरना का आवेदन प्राप्त। यह आवेदन मांगने पर भी आरटीआई से प्राप्त नहीं हुआ है प्रथम अपील अधिकारी इसे उपलब्ध कराने का आदेश दे चुके हैं, लेकिन विश्वविद्यालय प्रशासन ने इसे उपलब्ध नहीं कराया। राजा भोज कृषि महाविद्यालय वारासिवनी बालाघाट ने आरटीआई 26.11. 2024 में जवाब दिया है कि तदविषयक धरना का समविलियन का आवेदन उनके रिकॉर्ड में नहीं है अर्थात पूरी तरह से पत्र 23. 03. 2018 झूठ, असत्य है, जानबूझकर कदाचरण और सामूहिक षड्यंत्र के अंतर्गत इस पत्र पर डीन फैकल्टी वर्तमान कुलगुरु पीके मिश्रा ने 28.03. 2018 को हस्ताक्षर किए हैं।


4.चौथा महत्वपूर्ण कूटरचना यह है कि डीन बालाघाट वीबी उपाध्याय ने पत्र 23. 03. 2018 में एकसाथ अचानक 2 वर्ष की प्रतिनियुक्ति को एक वर्ष कर दिया। विधि के सहायक कुल सचिव प्रशांत श्रीवास्तव ने भी एक वर्ष की प्रतिनियुक्ति का लेख प्रशासनिक परिषद के प्रस्ताव में करके इस कूट रचना पर पुख्ता मोहर लगा दी और डीबी साइंस कॉलेज गोंदिया से 1 वर्ष की लियन पर आने का लेख किया है। बालाघाट के प्रस्ताव को वर्तमान कुलगुरु पीके मिश्रा और उनके अधीनस्थ विधि और बैठक के सहायक कुल सचिव प्रशांत श्रीवास्तव सहायक कुल सचिव स्थापना प्रशांत श्रीवास्तव डीएसडब्ल्यू अमित शर्मा ने सहर्ष स्वीकार किया है। अर्थात बिना आपत्ति किए आंख मूंदकर सम्मेलन की कार्रवाई के लिए झूठे तथ्य प्रमंडल की बैठक मे बुलाए है। सुधी पाठकों के लिए यहां स्पष्ट करना आवश्यक है कि प्रतिनियुक्ति, संविलियन, और लियन,, तीनों के नियम अलग-अलग है।


इन तीनों प्रक्रिया के लिए डीबी साइंस कॉलेज गोंदिया और कृषि विश्वविद्यालय जबलपुर के मध्य कोई विधिक पत्राचार उपलब्ध नहीं है। जिससे यह माना जा सके कि डीबी साइंस कॉलेज के प्राचार्य अंजन कुमार नायडू से लेकर वर्तमान कुलगुरु डॉ प्रमोद कुमार मिश्रा तक ने विधि विरुद्ध, अवैध कार्य नहीं किया है।

5. ऊपर मैंने चर्चा की है कि धरना रामकिशोर टेंभरे बिसेन की गोंदिया से पांच पदमुक्ति अर्थात रिलीविंग की तारीख है उपलब्ध है। इसमें से पांचवी तारीख एकदम नई और ताजा आरटीआई प्रकरण क्रमांक 145 / 440 दिनांक 03. 04. 2025 को प्राप्त हुई है।


धरना की गोयल प्रिंटिंग प्रेस करमचंद चौक जबलपुर से खरीद कर बनाई गई सर्विस बुक में प्राचार्य गोंदिया अंजन कुमार नायडू की एक प्रविष्टि है जिसमें लिखा है कि लियन पर कृषि महाविद्यालय वारासिवनी बालाघाट में पद ग्रहण करने के लिए धारणा को 24 अगस्त 2017 को पदमुक्त अर्थात रिलीव किया है।


अब आगे हम आपको बताते हैं की धारणा को डीबी साइंस कॉलेज गोंदिया के प्राचार्य अंजन कुमार नायडू ने कितनी बार कृषि विश्वविद्यालय के प्रतिनियुक्ति आदेश 16.08.2017 के प्रकाश में पदमुक्त अर्थात रिलीज/ रिलीव किया है।


1.पहली तारीख
अंजन कुमार नायडू ने धरना का अंतिम वेतन प्रमाण पत्र 24. 08.2017 को जारी किया है। इस एलपीसी में 31.07.2017 तक का वेतन देना बताया है।
अर्थात रिलीविंग की पहली तारीख हुई 31.07.2017 है।

2. इसके बाद डीबी साइंस कॉलेज के प्राचार्य अंजन कुमार नायडू ने 13.08.2017 को धरना का इस्तीफा स्वीकृत करने का प्रमाण पत्र दिया है। अर्थात धारण की दूसरी रिलीविंग डेट हुई 13.08.2017।

3. धरना ने डीबी साइंस कॉलेज में कब पदभार ग्रहण किया है और अंतिम वेतन कब प्राप्त किया है और रिलीव कब हुई है इसके लिए लगाए गए आरटीआई आवेदन पर डीबी साइंस कॉलेज गोंदिया के आरटीआई के अधिकारी ने 20.06.2023 को नवीनतम लोकसूचना में बताया है कि धरना ने 14 सितंबर 2012 को डीबी साइंस कॉलेज में पदभार ग्रहण किया है और 17 अगस्त 2017 तक वेतन प्राप्त किया है। इस तरह धारणा की तीसरी रिलीविंग डेट गोंदिया से 17.08.2017 प्राप्त हुई है।

4. चौथी रिलीविंग डेट धारण की हस्तलिपि में रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय जबलपुर में सहायक प्राध्यापक पद के लिए भरे गए फार्म के अनुभव के कॉलम में जानकारी दी है, उसमें दर्ज है कि धरना ने अपनी हस्तलिपि से अनुभव के कॉलम में डीबी साइंस कॉलेज में नियुक्ति की तिथि 14 सितंबर 2012 और पदमुक्ति अर्थात पदभार मुक्ति अर्थात रिलीविंग की तिथि 23 अगस्त 2017 का लेख किया है। सुधी पाठक समझ लें की चौथी रिलीविंग डेट गोंदिया डीबी साइंस कॉलेज की 23.8.2017 है,धरना की हस्तलिपि में है ।और कृषि विश्वविद्यालय के रिकॉर्ड में धारण की सम्मविलयन की फाइल में मौजूद है।

5. धरना की पांचवी रिलीविंग की तारीख नवीनतम आरटीआई की लोक सूचना 03. 04. 2025 में प्राप्त, धारण की सर्विसबुक में दर्ज है, सर्विस बुक के पेज 14 पर प्राचार्य डीबी साइंस कॉलेज गोंदिया अंजन कुमार नायडू ने टीप दी है कि धारणा को 18.08. 2017 को 1 वर्ष की लियोन के लिए 24 अगस्त 2017 को पदमुक्त अर्थात भारमुक्त अर्थात रिलीव किया जाता है।


यहां गौर करें कि कृषि विश्वविद्यालय से धरना का प्रतीक नियुक्त आदेश 16.08.2017 के 2 दिन बाद यह लियन का टिप सर्विस बुक में मिला है


सुधी पाठक विचार करें कि यह सब किसके दबाव में हुआ होगा निश्चित है कि बिना राजनीतिक दबाव के यह सब संभव नहीं है, यह राजनीतिक दबाव वर्तमान केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान, उनके रिश्ते के साडू और पूर्व कृषिमंत्री बालाघाट के गौरीशंकर बिसेन, शिवराज के विधानसभा अध्यक्ष रहे और कृषि विश्वविद्यालय की प्रमंडल के सदस्य रहे गिरीश गौतम के हस्तक्षेप के बिना नहीं हो सकता है। डॉक्टर धरना रामकिशोर टेंभरे बिसेन पांच रिलीविंग तारीख है, शासकीय अभिलेख में रिकॉर्ड पर है। जाहिर है मुख्यमंत्री सचिवालय और विधानसभा अध्यक्ष सचिवालय से बार-बार फोन आने पर दबाव में इस तरह की गलतियां होना स्वाभाविक है।


इन सब महान नेताओं का नाम मैं बार-बार इसीलिए उद्धृत करता हूं, क्योंकि इन पांचो लोगों के दबाव के कारण ही विधानसभा का ध्यान आकर्षण सूचना क्रमांक 57 जिसे 09.09.2022 को कृषि विश्वविद्यालय को जवाब प्रस्तुत करने के लिए सूचना भेजी गई है। को विधानसभा में गोलमाल कर दिया है। या गोलमाल करने के केंद्रीय कृषिमंत्री शिवराज सिंह चौहान आदतन हेवीचुएल हैं , क्योंकि वह इकलौते मध्य प्रदेश के ऐसे मुख्यमंत्री रहे हैं जिनके कार्यकाल में दो बार विधानसभा संचालनालय और सचिवालय में भयंकरतम आग लगाकर रिकॉर्ड नष्ट करने का कांड हुआ है।


राष्ट्रीय स्तर पर शिवराज ने जो कृषि कर्मण पुरस्कार प्राप्त किया है वह भी अभी संदेह के घेरे में है ऐसा लेखक का व्यक्तिगत मानना है यह सही या गलत अभी इसकी पुष्टि नहीं हो सकती है लेकिन संदेह पैदा हो गया है। जब शिवराज अपने रिश्ते के साडू भाई और कृषिमंत्री गौरी शंकर बिसेन की बहू के लिए सारे बंधन शिथिल कर सकते हैं तो शिवराज कुछ भी कर सकते हैं यह संभव नहीं है इसके लिए गहरी खोजबीन में जाना पड़ेगा यदि कोई मददगार मिला तो यह गहरी खोजबीन भी कर ली जाएगी।


आगे अभी बहुत विस्तार बाकी है सुधी पाठकगण इंतजार करें।