जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय के इतिहास में सबसे घटिया प्रशासन देने वाले कुलगुरु डॉक्टर प्रमोद कुमार मिश्रा पर खुलासा - Aajbhaskar

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Thursday, March 13, 2025

जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय के इतिहास में सबसे घटिया प्रशासन देने वाले कुलगुरु डॉक्टर प्रमोद कुमार मिश्रा पर खुलासा


  • बीजेपी के शासन अपनों को बांट रहे रेवड़ी

जबलपुर से वरिष्ठ पत्रकार दिग्विजय सिंह की रिपोर्ट

आज भास्कर,जबलपुर। खजुराहो से भाजपा सांसद और भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष बीडी शर्मा की दम पर योग्य प्रत्याशियों को किनारे कर ऐसी विश्वविद्यालय के कुल गुरु बने पीके मिश्रा का प्रशासन सबसे लाचार प्रशासन में गिना जा रहा है।  पिछले तीन माह से कृषि विश्वविद्यालय के नियमित अधिकारी और कर्मचारी और पेंशनर 3 माह से पेंशन और वेतन नहीं मिलने से उद्वेलित हैं। धरना आंदोलन में आसार हैं, क्योंकि भाजपा सरकार और भाजपा पार्टी दोनों का व्रत पीके मिश्रा पर बना हुआ है। पहला मौका है जब भाजपा सरकार की कीरकीरी हो रही है।

  • यशस्वी मुख्यमंत्री मोहन यादव की छवि प्रभावित हो रही है। 
  • महत्वपूर्ण विषय यह है की स्थापना व निश्चित होता है। स्थापना व्यय राज्य शासन से स्वीकृत होता है। स्वीकृत पदों का वेतन और बजट प्रति माह आता है। 
  • तब प्रतिमा आने वाला कर्मचारियों अधिकारियों का वेतन बजट किस बैंक में डिपॉजिट रखा जा रहा है। और करोड़ों की इस डिपाजिट रकम को बैंक में रखने के आवाज में बैंक मैनेजर कथित तौर पर कुलगुरु पीके मिश्रा और पद के अयोग्य वित्त नियंत्रक अजय खरे को कितना कमीशन दे रहे हैं इस पर तो जांच बैठाने चाहिए
  • यह सही है कि विभिन्न बड़े-बड़े शासकीय और अशासकीय प्रतिष्ठानों से करोड़ों रुपए का एचडी लेने के एवरेज में बैंक मैनेजर एक निश्चित रकम कमीशन या इनाम के तौर पर देते हैं। यह इनाम एक नंबर का होता है एक नंबर में बैंक में सैमसंग होता है लेकिन जब किसी की जेब में जाता है अर्थात एचडी देने वाले की जेब में जब जब यह जाता है तो यह दो नंबर का हो जाता है। 
  • क्योंकि यह अन रिकार्डेड फंड होता है और किसकी जेब में जा रहा है यह केवल बैंक के रिकॉर्ड में होता है।
  • बैंक मैनेजर पर यह दबाव होता है कि आपको इसी शर्त पर बैंक मैनेजर बनाया जा रहा है कि आपको 10 करोड़ या 20 करोड़ या 40 करोड़ की एफडी लाना है। 
  • यह बैंक मैनेजर की योग्यता पर निर्धारित करता है कि बाजार में उसकी पकड़ कितनी है। 
  • यह प्रतिस्पर्धा ही बैंक मैनेजर से लेकर सभी को आचरण के निचले स्तर तक जाने के लिए मजबूर करती है।
  • ऐसी ही कुछ चर्चा जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय के वर्तमान कुलगुरु पीके मिश्रा और वित्त नियंत्रक अजय खरे को लेकर है। 
  • सभी विश्वविद्यालय के वित्त नियंत्रक के पदों पर राज्य वित्त सेवा के प्रशासनिक अधिकारी बैठते हैं। 
  • यह पहली बार है जब कुलगुरु पीके मिश्रा ने अपनी राजनीतिक पहुंच का फायदा उठाकर वित्त नियंत्रक और कुल सचिव के पद पर दो ऐसे गैर प्रशासनिक अधिकारियों को बैठाया है जिन्हें प्रशासन चलाने का कोई अनुभव नहीं है। 
  • अब मैं वापस मुद्दे पर आता हूं की प्रति माह स्वीकृत बजट के आधार पर कृषि विश्वविद्यालय के कर्मचारियों अधिकारियों की सैलरी पिछले 3 महीने से क्या राज्य शासन ने जबलपुर नहीं भेजी है। 
  • और यदि नहीं भेजी है तो यह पूरे रूप से मुख्यमंत्री मोहन यादव की गैर जिम्मेदार आना प्रशासनिक व्यवस्था है। मुख्यमंत्री मोहन यादव जी को इस संबंध में अपने वित्त मंत्री और वित्त सचिवालय से पूछताछ करना चाहिए कि पिछले तीन माह से कृषि विश्वविद्यालय के अधिकारियों कर्मचारियों को वेतन क्यों नहीं मिला है। 
  • और यदि वित्त मंत्रालय से वेतन स्थापना व्यय का बजट कृषि विश्वविद्यालय में आया है तो फिर क्या कारण है कि पिछले तीन माह से कर्मचारियों अधिकारियों को वेतन नहीं बनता है। 
  • वेतन बजट की राशि किस मद में स्थानांतरित की गई है। 
  • काशी विश्वविद्यालय के आज तक के इतिहास में तीन माह तक वेतन नहीं होना बाद गंभीर संकट प्रकट कर दिया है। अगले 48 घंटे के बाद होली और ध्वनि मनाई जाएगी। लेकिन कृषि विश्वविद्यालय के 3000 से अधिक अधिकारी कर्मचारी श्रमिक के घरों में होली नहीं मनाई जाएगी। बच्चों का मन तो रख लिया जाएगा लेकिन सबके मन भीतर से उदास रहेंगे। 
  • ऐसी स्थिति में जब कृषि विश्वविद्यालय का प्रशासन एक अक्षम कुलगुरु पीके मिश्रा के हाथ में है तो इसे मुख्यमंत्री सचिवालय के स्तर पर विशेष नजर से देखा जाना चाहिए। 
  • यह बहुत ही आश्चर्य और शुभ का विषय है कि भाजपा प्रदेश अध्यक्ष के ससुर डॉक्टर प्रमोद कुमार मिश्रा जो पिछले 25 सालों से इसी विश्वविद्यालय में विभिन्न पदों पर रहे हैं क्यों कुछ करने की स्थिति में नहीं है। इसका मतलब साफ है कि वर्तमान भाजपा की मोहन यादव सरकार के सामने कुछ ऐसे मुद्दे उठ गए हैं जिनका जवाब डॉक्टर प्रमोद कुमार मिश्रा के पास नहीं है। 
  • जो कुलगुरु अपने विश्वविद्यालय के हित में वित्त सचिव कृषि सचिव केंद्रीय कृषि मंत्री और केंद्रीय कृषि सचिवों से बात करने में परहेज करता हो उसे विश्वविद्यालय की बेहतरीन की उम्मीद आप कैसे कर सकते हैं। 
  • वैसे भी डॉक्टर प्रमोद कुमार मिश्रा ने महामहिम राज्यपाल के यहां से कुलगुरु के पद का जो नामांकन प्राप्त किया है वह विधि संगत नहीं है ऐसी चर्चा है। 
  • सामान्यतया पूरे प्रदेश में कल गुरु की नियुक्ति या नामांकन की अवधि 4 वर्ष होती है। डॉ प्रमोद कुमार मिश्रा पहले ऐसे बिरला कुलगुरु हैं जिन्हें 5 वर्ष की अवधि के लिए नामांकित किया गया है। किसी भी हालत में कुलगुरु की आयु 70 वर्ष से अधिक होने की स्थिति में पद पर नहीं रह सकते हैं। लेकिन भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बीडी शर्मा के ससुर होने के नाते डॉक्टर प्रमोद कुमार मिश्रा के लिए कुलाधिपति के कार्यालय से यह छूट मिलना कोई आश्चर्य की बात नहीं है।