Jabalpur News : रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय, जबलपुर - Aajbhaskar

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Saturday, August 24, 2024

Jabalpur News : रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय, जबलपुर

  • रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय, जबलपुर
  • भारतीय ज्ञान और परंपरा को लेकर लालायित हैं दुनिया भर के विद्वानः डॉ. अतुल कोठारी
  • रादुविवि में राष्ट्रीय शिक्षा नीतिः भारतीय ज्ञान परंपरा के संदर्भ में विमर्श कार्यक्रम का आयोजन
आज भास्कर : जबलपुर 24 अगस्त। वर्तमान समय में दुनियाभर के विद्वान हमारे भारतीय ज्ञान और परंपराओं को जानने के लिए लालायित हैं। विदेशों तक में योग, खगोल विज्ञान से लेकर आयुर्वेद तक प्रत्येक क्षेत्र में लोगों की जिज्ञासाएं और उनके व्यवहारिक उपयोग की मांग बढ़ी है। ऐसे में हमें भी इसके लिए तैयार होना पड़ेगा। भारतीय ज्ञान परंपरा को राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में केंद्रीय स्तंभ माना गया है। इस नीति का उद्देश्य भारतीय ज्ञान परंपरा के अध्ययन-अध्यापन को बढ़ावा देना है, इसके लिए, हर विषय की पाठ्यचर्या में भारतीय ज्ञान परंपरा से जुड़े संप्रत्यय जोड़ने की पहल प्रारंभ हुई है। इसका उद्देश्य नई पीढ़ी को भारतीय ज्ञान परंपरा से जोड़ना और उन्हें भारतीय होने का गौरवबोध जगाना है। यह बात शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के राष्ट्रीय सचिव डॉ. अतुल भाई कोठारी ने शनिवार को रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय में मुख्य अतिथि के रूप में व्यक्त किये।

विश्वविद्यालय के एकात्म भवन में राष्ट्रीय शिक्षा नीतिः भारतीय ज्ञान परंपरा के संदर्भ में विषय पर आयोजित विमर्श कार्यक्रम में मुख्य अतिथि एवं मुख्य वक्ता के रूप में डॉ. अतुल भाई कोठारी ने कहा कि भारतीय ज्ञान परंपरा में वैदिक और उपनिषद् काल का ज्ञान शामिल है। यह बौद्ध और जैन काल में भी रहा और विभिन्न विश्वविद्यालयों की स्थापना और शिक्षा व्यवस्था से भी स्पष्ट होता है। हालांकि, पिछले 200-300 सालों में इसका लोप हुआ है और राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में इसे भी उचित रूप से प्रतिबिंबित करने की कोशिश की गई है। यह नीति अंतरविषयी और अंतरविषयी ज्ञान पर ध्यान केंद्रित है। यह वर्तमान और भविष्य की चुनौतियों का समाधान करने के लिए आईकेएस में निहित समकालीन ज्ञान को एकीकृत कर सकती है। उन्होंने कहा की अभी तक भारत में शिक्षा कैसी हो, इसपर रणनीति बनती थी। लेकिन अब शिक्षा में भारत कैसा हो, इसपर कार्य हो रहा है। वर्तमान समय में शिक्षा केवल सूचनाओं का संकलन मात्र नहीं है। बच्चे सूचनाओं के माध्यम से अपने अनुभव के आधार पर नवीन ज्ञान का सृजन करते हैं। सरलता से कठिन की जाना यही सही तरीका है।

शिक्षा का मुख्य उद्देश्य अच्छे चरित्र का निर्माण करना-

विमर्श कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए माननीय कुलगुरू प्रो. राजेश कुमार वर्मा ने कहा कि शिक्षा का मुख्य उद्देश्य अच्छे चरित्र का निर्माण करना है। ऐसा चरित्र जो ईमानदारी और लगन से अपने व्यक्तित्व को चमकाता है और समाज और राष्ट्र के विकास में भी योगदान देता है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के संकल्प में मूल्य आधारित एवं व्यक्तित्व विकास के शिक्षण को रेखांकित किया गया है। यह शिक्षा छात्रों को आचरण और मानवीय मूल्यों के साथ ज्ञान की भावना को जागरुक करती है। कार्यक्रम के प्रारंभ में प्रस्तावना प्रस्तुत करते हुए राष्ट्रीय शिक्षा नीतिः भारतीय ज्ञान परंपरा नोडल अधिकारी प्रो. राकेश बाजपेयी ने बताया कि मध्यप्रदेश शासन उच्च शिक्षा विभाग के आदेशानुसार रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय को ‘भारतीय ज्ञान परंपरा एवं राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के संदर्भ में भौतिक विज्ञान विषय दिये गए दायित्वों के निर्वहन की दिशा में प्रभावी पहल की गई है। प्राचीन भारतीयों द्वारा अविष्कृत विचारों और आधुनिक विज्ञान और प्रौद्योगिकी का मूल आधार को दृृढ़ करने में अभूतपूर्व योगदान रहा है। भारतीय ज्ञान परम्परा हजारों वर्ष पुरानी है इस ज्ञान परम्परा मे आधुनिक विज्ञान प्रबंधन सहित सभी क्षेत्रों के लिए अभूतपूर्व खजाना है

प्रतिभागियों से किया संवाद-

मुख्य अतिथि एवं मुख्य वक्ता के रूप में डॉ. अतुल भाई कोठारी ने वहां मौजूद प्रतिभागियों से संवाद भी किया। इस दौरान उन्होने इस क्षेत्र में व्यापक अनुसंधान और कार्य कौशल को बढ़ावा देने का आव्हान करते हुए सभी प्रतिभागियों की जिज्ञासाओं का प्रभावी निराकरण भी किया। विमर्श कार्यक्रम का संचालन प्रो. सुरेन्द्र सिंह एवं आभार प्रदर्शन कुलसचिव डॉ. दीपेश मिश्रा ने किया।


इस अवसर पर प्रो. एन.जी. पेंडसे, प्रो. विशाल बन्ने, प्रो. गिरीश वर्मा, प्रो. रवि कटारे, प्रो. राजेन्द्र कुररिया, सांस्कृतिक प्रभारी डॉ. आर.के. गुप्ता, डॉ. अजय मिश्रा, डॉ. शैलेष प्रसाद, डॉ. मोहम्मद जावेद, डॉ. अनुज प्रताप सिंह, डॉ. प्रवेश पाण्डेय सहित अन्य विद्वतजन एवं प्रतिभागीगण मौजूद रहे।