आखिर क्यों किया था आचार्य चाणक्य ने इस राजा के वंश का नाश, जानिए - Aajbhaskar

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Tuesday, January 30, 2024

आखिर क्यों किया था आचार्य चाणक्य ने इस राजा के वंश का नाश, जानिए


आचार्य चाणक्य देश में नहीं, बल्कि दुनियाभर में एक लोकप्रिय अर्थशास्त्री और कूटनीतिज्ञ के तौर पर जाने जाते हैं. इनकी नीतियों का संग्रह चाणक्य नीति लोगों के बीच काफी प्रसिद्ध है और इसमें दी गई नीतियों का पालन कर कई लोगों ने दुनिया में एक बड़ा मुकाम हासिल किया है. चाणक्य नीति के जरिए आचार्य चाणक्य ने लोगों के जीवन में सफलता पाने और सही-गलत के भेद को समझने का तरीका बताया है. सभी जानते हैं कि आचार्य चाणक्य ने नंद वंश का अंत कर एक साधारण से बालक चंद्रगुप्त को मौर्य वंश का सम्राट बनाया था. लेकिन क्या आप जानते हैं कि आखिर ऐसा क्या हुआ था कि आचार्य चाणक्य को नंद वंश का नाश करना पड़ा? आज हम आपके इस सवाल का जवाब लेकर आए हैं.

जानिए आचार्य चाणक्य की कहानी

आचार्य चाणक्य को कौटिल्य नाम से भी जाना जाता है और वह चंद्रगुप्त मौर्य के महामंत्री थे. उनका जन्म एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था और उनका असली नाम विष्णुगुप्त था. आचार्य चाणक्य का गौत्र कोटिल था और इसलिए उनका नाम कौटिल्य भी पड़ गया

आचार्य चाणक्य को लगभग हर विषय की जानकारी थी और खगोल विज्ञान का तो पूरा ज्ञान था. यहां तक कि उन्होंने समुद्र शास्त्र में ही महारथ हासिल की थी और व्यक्ति के चेहरे व हाव-भाव को देखकर उसका व्यक्तित्व बता देते थे

अपने ज्ञान के दम पर आचार्य चाणक्य मगध साम्राज्य में न्यायालय विद्वान बने. एक बार चाणक्य मगध राज्य में आयोजित हुए किसी यज्ञ में शामिल होने गए और वहां प्रधान आसन पर जाकर बैठ गए. नंद वंश के राजा धनानंद ने आसन पर बैठे चाणक्य की वेशभूषा देखकर उसका अपमान किया और आसन से उठने का आदेश दिया. भरी सभी में हुए इस अपमान से क्रोधित होकर चाणक्य ने अपनी चोटी खोल दी और कसम खाई कि जब तक मैं नंद वंश का नाश नहीं करूंगा तब तक चोटी नहीं बांधूंगा. बस अपने इस अपमान का बदला लेने के लिए ही चाणक्य ने नंद वंश का नाश करने के लिए नीतियां बनाईं

अपनी प्रतिज्ञा पूरी करने के लिए चाणक्य ने एक साधारण के बालक चंद्रगुप्त को शिक्षा-दिक्षा दी और मौर्य वंश की स्था​पना की. फिर उसे बच्चे को मौर्य वंश का सम्राट बनाकर गद्दी पर बैठाया. इस दौरान चाणक्य अपने अपमान का बदला लेने के लिए नई-नई नीतियां बनाने लगे और पोरस समेत कई राजाओं को अपने साथ मिला लिया. कई देश के राजाओं को साथ मिलाकर चाणक्य ने नंद वंश के राजा घनानंद पर आक्रमण कर दिया जीत हासिल की

आचार्य चाणक्य का मानना है कि यदि आप अपने दुश्मन को हराना चाहते हैं तो कभी भी उसकी बात पर गुस्सा न हों. बल्कि मुस्करा वहां से निकल जाएं और फिर ठंडे दिमाग के साथ रणनीति तैयार करें.