स्ट्रांग रूम में समय से पूर्व डाक मतपत्रों को खोलने की प्रक्रिया पूरी तरह दोषपूर्ण और दोषित - Aajbhaskar

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Wednesday, November 29, 2023

स्ट्रांग रूम में समय से पूर्व डाक मतपत्रों को खोलने की प्रक्रिया पूरी तरह दोषपूर्ण और दोषित


आज भास्कर :

बालाघाट जिले के स्ट्रांग रूम में समय से पूर्व डाक मतपत्रों को खोलने की प्रक्रिया पूरी तरह दोषपूर्ण और दोषित और राजनीति से प्रेरित अर्थात सत्ता पक्ष के प्रभाव में की गई मानने के लिए पर्याप्त कारण मौजूद हैं।

सबसे पहला कारण यह कि डाक मत पत्रों के संयोजन के लिए जो प्रक्रिया निर्वाचन आयोग ने तय की है , वह प्रक्रिया सुनिश्चित नहीं की गई थी इसीलिए कांग्रेस के नेताओं ने खुला छापा मारा है।

स्ट्रांग रूम की सील खोलने से पहले जिला निर्वाचन अधिकारी के प्रतिनिधि की उपस्थिति में चपरा वाली सील खोलने की क्रिया की जाती है, यह क्रिया नहीं की गई है।

इस सुनिश्चित प्रक्रिया की वीडियोग्राफी कराकर सभी पक्षों के हस्ताक्षर लिए जाते हैं, यह क्रिया भी नहीं की गई है।

दूसरा कारण बहुत महत्वपूर्ण है वह यह है कि कांग्रेस ने जो आप भाजपा सरकार पर लगाए हैं कि सत्ता पक्ष प्रशासनिक अधिकारियों को अपने नियंत्रण में लेकर डाक मत पत्रों में हेर फेर कर रहा था, यह आंशिक तौर पर तो स्पष्ट दिख रहा है।

स्ट्रांग रूम खोलने का जो दूसरा महत्वपूर्ण कारण मैंने बताया है उसके पीछे का तार किया है कि भाजपा के मंत्री गौरी शंकर बिसेन के रक्त संबंधी भाई और जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय जबलपुर के पूर्व कुलपति प्रदीप कुमार बिसेन का बेटा सहायक अध्यापक शरद बिसेन कि वहां स्ट्रांग रूम में मौजूदगी विधि सम्मत है या नहीं है,। मेरी नजर में शरद बिसेन की स्ट्रांग रूम में उपस्थित किसी भी स्थिति में विधि सम्मत नहीं मानी जा सकती है।

स्ट्रांग रूम के ही अंदर शरद बिसेन का खड़ा रहना और स्ट्रांग रूम के ही अंदर शरद बिसेन का फोन बजाना अर्थात सेलुलर फोन की घंटी बजना बड़ी जांच का विषय है।

स्ट्रांग रूम के अंदर शरद बिसेन किस हैसियत से उपस्थित थे और जिला निर्वाचन अधिकारी ने शरद बिसेन की उपस्थिति किस लिखित आदेश के आधार पर तय की थी इस मसले पर जिला निर्वाचन अधिकारी और जिलाधीश डॉक्टर गिरीश मिश्र को शो का नोटिस दिया जा कर लिखित में जवाब तलब किया जाना चाहिए।

घटना दिनांक 27 नवंबर 2023 अर्थात अर्थात रविवार और सोमवार के दरमियान शरद बिसेन के सेल फोन नंबर पर कितने लोगों से क्या-क्या बात हुई। डाक मत पत्रों को लेकर शरद बिसेन को अपने बड़े पापा अर्थात गौरीशंकर बिसेन से क्या डायरेक्शन मिले यह इस पूरे कांड के जांच का मुख्य बिंदु है।

बालाघाट के स्ट्रांग रूम में उपस्थित कांग्रेस नेताओं ने कृषि महाविद्यालय वाराणसी मुनि के सहायक प्राध्यापक शरद बिसेन की उपस्थिति पर आपत्ति नहीं की यह एक अलग से जांच का विषय है कि शरद बिसेन को कांग्रेस के लोगों ने पहचान है या नहीं पहचान है।

कृषि कॉलेज वारासिवनी के सहायक प्राध्यापक शरद बिसेन यदि वहां जिला निर्वाचन अधिकारी के आदेश से उपस्थित थे तो भी उन पर जिम्मेदारी अर्थात आरोप तय होने चाहिए। यदि शरद बिसेन अपनी मर्जी से वहां थे तो भी यह एक गंभीर प्रशासनिक अपराध है की उप निर्वाचन अधिकारी ने किन करण और दबाव में अनादिकृत रूप से स्ट्रांग रूप में मौजूद शरद बिसेन को बाहर जाने के लिए नहीं कहा है।

डाक मत पत्रों में छेड़छाड़ के शक का तीसरा महत्वपूर्ण कारण यह है 

स्ट्रांग रूम के वायरल वीडियो से यह प्रतीत हो रहा है कि सारे कर्मचारी रात भर जगे हैं और रात को ही डाक मत पत्रों के साथ छेड़छाड़ करने के बाद उन्हें अपने अंदाज में व्यवस्थित करने का काम कर रहे थे कि उनकी चोरी पकड़ी गई और अब राष्ट्रीय स्तर पर हंगामा मच गया है। इसे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का राजनीतिक अपच माना जा रहा है।

यदि स्ट्रांग रूम रात भर खुल रहा और स्ट्रांग रूम के अंदर चल रहे सारे मोबाइल रात भर काम करते रहे तो यह स्पष्ट है कि लगभग 10 से लेकर 20000 वोटो की हेर फेर आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता है।

डाक मत पत्रों से छेड़छाड़ में शंका करने का चौथा महत्वपूर्ण कारक यह है कि पुलिस प्रशासन की ओर से वहां किन अधिकारियों की और कर्मचारियों की तैनाती थी। अर्थात कितना पुलिस बल स्ट्रांग रूम के समक्ष मौजूद था और उन्हें स्ट्रांग रूप खोलते समय कितने लोगों को स्ट्रांग रूम के अंदर प्रवेश करने की अनुमति देने का आदेश मिला था या की स्ट्रांग रूम में हो रही छेड़छाड़ से आंख मूंद लेने का आदेश मिला था।

निर्वाचन आयुक्त अनुपम राजन को स्ट्रांग रूम में मौजूद समस्त कर्मचारी, जिला निर्वाचन अधिकारी, उप जिला निर्वाचन अधिकारी, गौरी शंकर बिसेन शरद बिसेन और अन्य के कॉल डिटेल रिकॉर्ड निकाल कर मिलान करना चाहिए और जांच करनी चाहिए की यह सब क्या गड़बड़ घोटाला चल रहा है।

जहां तक सीसीटीवी कैमरा लगे होने की बात है उससे यह स्पष्ट नहीं हो रहा है कि सीसीटीवी कैमरा की पकड़ अर्थात उसका कमांड एरिया कहां तक का है कमरे के अंदर है या नहीं है।

स्ट्रांग रूम के अंदर या स्पष्ट दिखाई दे रहा है कि सारा काम बहुत बेतरतीब और बेढंगा चल रहा है, वायरल वीडियो तो यही बता रहा है।

वायरल वीडियो में जो बातचीत सामने आई है उसमें कांग्रेस के लोग स्पष्ट यह कह रहे हैं कि यह सब किसके निर्देश पर हो रहा है।

कांग्रेस और अन्य दल के लोगों को लिखित में सूचना नहीं दी गई, लिखित सूचना भी मांगी गई लेकिन कोई स्पष्ट प्रमाण मौके पर प्रस्तुत नहीं किया गया।

वायरल वीडियो में यह भी सुनाई दे रहा है कि हम लोग भोपाल से प्रशिक्षण लेकर लौटते हैं और मतगणना से पूर्व दो तारीख को विधिवत बताई गई और सिखाई गई प्रक्रिया के अनुसार डाक मत पत्रों की गणना एक टेबल पर जिम्मेदार अधिकारी की उपस्थिति में की जानी चाहिए।

इस प्रकरण में इस प्रकरण में मुख्य निर्वाचन आयुक्त भोपाल अनुपम राजन को भोपाल से ही जांच अधिकारी की नियुक्ति करके सभी संलिपित कर्मचारियों के नाम से शो कॉज नोटिस निकलना प्राथमिक जिम्मेदारी है।

केवल प्प्रक्रियात्मक त्रुटि या भूल बात कर पूरे मामले पर पर्दा डालना एक गलत परंपरा की शुरुआत कहीं जा सकती है।

यह भी देखना पड़ेगा की निर्वाचन आयोग की गाइडलाइन में किन धाराओं का उल्लंघन हुआ है।

बालाघाट विधानसभा के डाक मत पत्रों की छेड़छाड़ कांड पर पत्रकार दिग्विजय सिंह का लेख क्रमांक 2 दिनांक 29 11 2023

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