वरिष्ठ पत्रकार दिग्विजय सिंह की रिपोर्ट
कमजोर विपक्ष नहीं उठा पा रहा घोटाले पर आवाज़
आज भास्कर,जबलपुर।गोंदिया की मूल निवासी धारणा रामकिशोर टेमभरे विसेन की अशासकीय सेवा से शासकीय सेवा में अंतर राज्य प्रतिनियुक्ति के मामले में पूर्व मुख्यमंत्री और वर्तमान केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान शामिल है या नहीं, इस बिंदु पर सुधी पाठकों ने चर्चाएं की है। खबर के मुताबिक केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान का नाम जबरन लपेट जा रहा है ऐसा निष्कर्ष चर्चा में निकाल कर आया है।
इस प्रकरण को सिलसिले बार ऐसे समझते हैं: -
केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान की ससुराल गोंदिया है, उनके पूर्व कृषि मंत्री बालाघाट गौरी शंकर बिसेन की ससुराल गोंदिया है, गौरी शंकर बिसेन के सगे छोटे भाई पूर्व कुलगुरु पीके बिसेन के बेटे शरद बिसेन की ससुराल गोंदिया है, शरद की पत्नी धरना गोंदिया की है।
इसे मैं केवल योग संयोग मानता हूं। खबर में कहीं भी ससुराल पक्ष के हस्तक्षेप का संकेत नहीं दिया है। अब केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह जब पूर्व में मुख्यमंत्री थे तब बालाघाट के गौरीशंकर बिसेन शिवराज जी के मंत्रिमंडल में कृषि मंत्री थे, उसी दरमियान स्वाभाविक तौर पर सत्ता और सरकार में प्रभावित होने के कारण गौरीशंकर बिसेन ने ही मुख्यमंत्री शिवराज सिंह जी से सलाह मशवरा किया, और अपने सगे रक्त संबंधी भाई डॉक्टर प्रदीप कुमार बिसेन को जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय जबलपुर का कुलगुरु अक्टूबर 2017 में बनवा दिया। कुलगुरु बनने के पूर्व ही पीके विसेन ने डीएसडब्ल्यू के पद पर रहते हुए अपने साथी और वर्तमान कुलगुरु पीके मिश्रा के साथ अपनी रक्त संबंधी बहू को गोंदिया से बालाघाट के कृषि कॉलेज में प्रतिनियुक्ति पर सहायक प्राध्यापक किट शास्त्र के पद पर 16 अगस्त 2017 को प्रतिनियुक्ति करवा दिया था।
इसमें सरकार का हस्तक्षेप अर्थात सीधा आरोप शिवराज पर आता है कि जब मूलभूत नियम जिसे अंग्रेजी में एमपी फंडामेंटल रूल कहते हैं, अशासकीय सेवक को शासकीय सेवा में अंतर राज्य प्रतिनियुक्ति का कोई मार्गदर्शन नहीं है तो फिर यह धोखाधड़ी साशय फेरफॉर और षड्यंत्र कैसे संभव हुआ। उच्च स्तरीय प्रभावित राजनीतिक हस्तक्षेप के बिना यह संभव ही नहीं है।
इसे तीन बिंदुओं से समझे पहला यह कि विशेष स्थापना पुलिस समाधान भवन भोपाल के विधि सलाहकार प्रथम ओंकार नाथ ने 5 अगस्त 2023 की प्रथम सूचना रपट को 14 अगस्त 2023 को दाखिल दफ्तर अर्थात नस्तीबद्ध कर दिया जांच समाप्त कर दी गई।
जांच समाप्ति के साढ़े 4 माह बाद विशेष स्थापना पुलिस लोकायुक्त भोपाल की उप निरीक्षक रेखा प्रजापति ने 29 दिसंबर 2023 को धरना की संपूर्ण प्रति नियुक्ति और संविलियन की फाइल की जपती बनाकर भोपाल लेकर चली गई। प्रकरण में आगे क्या हुआ या क्या हो रहा है यह किसी को पता नहीं है।
पूरा मामला मध्य प्रदेश विधानसभा में अगस्त 2022 को उठाया गया, सितंबर 2022 में विधानसभा में जवाब प्रस्तुत करने के लिए कृषि विश्वविद्यालय के जनसंपर्क अधिकारी भोपाल को अपर संचालक ईटी किसान कल्याण और कृषि विकास विभाग भोपाल ने विधानसभा में जानकारी प्रस्तुत करने के लिए अत्यंत आवश्यक तत्काल से पत्राचार किया। कृषि विश्वविद्यालय जबलपुर से धोतेबंधु साइंस कॉलेज गोंदिया को पत्र क्रमांक 241/ 14.03. 2023 लिखकर सहायक अध्यापक धरना विसेन जूलॉजी की जानकारियां मंगाई गई।
इस जानकारी में धोते बंधु साइंस कॉलेज गोंदिया का संचालन करने वाली अशासकीय संस्था गोंदिया एजुकेशन सोसाइटी ने धरना का नियुक्तिपत्र दिनांक 10.9.2012 भी भेजा,
धरना ने अपने प्रतिनियुक्ति आवेदन 19.10. 16 में पहले पैराग्राफ में 10. 9. 2012 से महाराष्ट्र शासन में सहायक प्राध्यापक के पद पर सेवा देने का लेख किया है, यह कूटरचना और कदाचरण भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बीडी शर्मा के ससुर और वर्तमान कुलगुरु डॉक्टर प्रमोद कुमार मिश्रा को मालूम है, कुलगुरु प्रमोद कुमार मिश्रा deen बालाघाट व्ही. बी. उपाध्याय के पात्र 23. 3. 18 में 28. 3.18 को दस्तक करके फंसे हुए हैं। विधानसभा में इस सामूहिक कूट रचना षड्यंत्र और कदाचरण की जानकारी प्रस्तुत नहीं हो पाए, कथित तौर पर यही सब प्रयास किए गए और इसमें विश्वविद्यालय प्रशासन को सफलता भी मिली, क्योंकि सभी को मालूम है कि धरना एक प्राइवेट संस्था gec द्वारा संचालित धोतेबंधु साइंस कॉलेज में नौकरी करती है महाराष्ट्र शासन में उसकी नियुक्ति नहीं हुई है।
यह कूट रचना पकड़ में आ जाती यदि सही जवाब विधानसभा के पटल पर रख दिया जाता, इसीलिए विधानसभा के पटल पर तोड़ मरोड़ कर जवाब रखा गया कि प्रमंडल 24. 2.2001 के मुताबिक सभी विश्वविद्यालय में प्रतिनियुक्ति के लिए कुलपति को अधिकृत किया है। यहां यह नहीं बताया गया कि कुलपति केवल शासकीय अधिकारी कर्मचारी और वैज्ञानिकों के लिए अधिकृत किए गए हैं , अशासकीय कर्मचारियों को प्रतिनियुक्ति के लिए अधिकृत करने की कोई कलम प्रमंडल के निर्णय 24. 02. 2001 में दर्ज नहीं है। उसे समय मुख्यमंत्री के पद पर वर्तमान केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान थे और संभवत विधानसभा अध्यक्ष रीवा ुरहट के विधायक गिरीश गौतम थे, गिरीश गौतम ने धरना विषय के कृषि विश्वविद्यालय के प्रजामंडल की 221 में बैठक 11.4.18 में दस्तखत भी किए हैं। ऐसी स्थिति में यदि विधानसभा अध्यक्ष स्वयं इस कूटरचना , षड्यंत्र कदाचरण का हिस्सेदार हो तो किसी भी मुख्यमंत्री हो या केंद्र सरकार का पदाधिकारी हो उसका स्वाभाविक रूप से प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष, हस्तक्षेप या दखल होता ही होता है। क्योंकि सरकार की प्रतिष्ठा का सवाल है। भ्रष्टाचार मुक्त भारत भाजपा का नारा है और इस समय-समय पर आदरणीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सार्वजनिक तौर पर अपने भाषणों में बोलते आ रहे हैं। लेकिन यह मामला भाजपा की कटनी और करनी को आइना दिखा रहा है, इस मामले ने भाजपा की रीति नीति और सिद्धांतों को आइना दिखा दिया है, इस खोजी रपट का लेखक यह नहीं चाहता कि एक कानूनी मसाला राजनीति का शिकार हो, इसीलिए पूरी गहराई से खोजी पत्रकारिता के माध्यम से तथ्यों को सामने लाया गया है। अंत में यह मैं और स्पष्ट कर दूं कि डॉक्टर धरना रामकिशोर टैमरे बिसेन की सेवा पुस्तिका गोयल प्रिंटिंग प्रेस करमचंद चौक जबलपुर की है। तो इसमें धरना की गोंदिया में नियुक्ति आदेश 10-9- 2012 और झूठे बंधु में जॉइनिंग 14. 9. 2012 की तमाम एंट्री कैसे और क्यों हो सकती हैं। यह सारी एंट्री यदि होना है तो छोटे बंधु साइंस कॉलेज की सर्विस बुक अर्थात सेवा पुस्तिका में होना है और बालाघाट के शासकीय कृषि कॉलेज में वह अशासकीय सर्विस बुक को कैरी फॉरवर्ड करके क्यों नहीं लाया गया है इसका जवाब कौन देगा।
क्रमशः