कुलगुरु को बचाने, चेलो की टीम सक्रिय, उत्तर मध्य विधानसभा भाजपा विधयाक के भी शामिल होने आया नाम - Aajbhaskar

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Monday, April 28, 2025

कुलगुरु को बचाने, चेलो की टीम सक्रिय, उत्तर मध्य विधानसभा भाजपा विधयाक के भी शामिल होने आया नाम

जबलपुर से वरिष्ठ पत्रकार दिग्विजय सिंह की रिपोर्ट

  • उत्तर मध्य विधानसभा भाजपा विधयाक के भी शामिल होने आया नाम
  • भाजपा और संघ का बड़ा षड्यंत्र सामने आया


आज भास्कर\जबलपुर। विधानसभा में अशासकीय सेवक की शासकीय सेवा में अंतरप्रांतीय प्रतिनियुक्ति पर झूठी जानकारी देने वाली कृषि विश्वविद्यालय जबलपुर की मास्टरमाइंड गैंग पर है यह तीसवां अंक है। वर्तमान केंद्रीय कृषिमंत्री और पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के मंत्रिमंडल में कृषिमंत्री रह चुके गौरीशंकर बिसेन ने अपने भाई पीके बिसेन को कृषि विश्वविद्यालय जबलपुर का कुलपति अक्टूबर 2017 में बनवाया था। वर्ष 2015 से वर्ष 2017 तक वर्तमान कुलगुरु डॉक्टर प्रमोद कुमार मिश्रा अधिष्ठाता कृषि और संचालक विस्तार सेवा के पद पर थे। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बीडी शर्मा के ससुर वर्तमान कुलगुरु डॉक्टर प्रमोद कुमार मिश्रा को वर्ष 2021-22 में कुलगुरु बनने के लिए राजनीतिक रूप से दो लोगों को साधना था, उनमें से पहले कृषिमंत्री गौरीशंकर बिसेन और उनके सहारे पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान।इन दोनों को खुश करने के लिए कुलगुरु पीके मिश्रा ने अपना तन मन धन अर्पण कर दिया और गौरीशंकर बिसेन की बहू को महाराष्ट्र के अशासकीय कॉलेज गोंदिया से उठाकर मध्य प्रदेश के बालाघाट में स्थित कृषि महाविद्यालय बालाघाट में सहायक प्राध्यापक एंटोंमोलॉजी के पद पर पदस्थ कर दिया।इन लोगों ने यह भी नहीं देखा कि सामान्य जूलॉजी विषय से एमएससी करने वाली धरना बिसेन कृषि के कीटशास्त्र को कैसे पढ़ सकती है।


गत 29 वे अंक में लेखक ने इस संबंध में विधानसभा भोपाल में उठे ध्यान आकर्षण सूचना क्रमांक 57 का जवाब बनाने वाले मास्टरमाइंड अधिकारियों से स्पष्टीकरण लेने की मांग उठाई थी। इस गैंग में शामिल कर्मचारियों को 15 दिन का नोटिस देकर विधानसभा में गलत जवाब देने पर स्पष्टीकरण लेने का एक ज्वलंत प्रश्न उठाया है।
वर्तमान कुलगुरु डॉ प्रमोद कुमार मिश्रा ऐसा कर पाएंगे इसकी संभावना कम है। इस गैंग में शामिल वर्तमान एक्टिंग डायरेक्टर एक्सटेंशन और पूर्व उप कुलसचिव तोताराम शर्मा, अधिष्ठाता छात्र कल्याण अमित शर्मा, पूर्व डिप्टी रजिस्ट्रार एमके हरदहा, सहायक कुलसचिव विधि और बैठक प्रशांत श्रीवास्तव, सहायक कुल सचिव स्थापना एक प्रशांत श्रीवास्तव और इसे संबद्ध अधिकारी शामिल हैं।इस गैंग में से एक अत्यंत महत्वपूर्ण कड़ी है एम के हरदहा जो एसोसिएट प्रोफेसर होने पर भी जिंदगी भर छात्रों को पढाने के बजाय दो कुलगुरुओं की चमचागिरी में व्यस्त रहे, उसी चापलूसी और ठकुरसुहाती के सहारे आज प्रमंडल के सदस्य बन गए हैं।एमके हरदा प्रमंडल के सदस्य क्यों बनाए गए हैं इसका मैं खुलासा कर देता हूं।
 

खबर के मुताबिक जब पूर्व कृषिमंत्री गौरीशंकर बिसेन के भाई डॉक्टर प्रदीप कुमार बिसेन कृषि विश्वविद्यालय के अधिष्ठाता छात्र, फिर संचालक विस्तार सेवा, और आनशिक समय के लिए अधिष्ठाता फैकेल्टी बनाए गए थे तब इस गैंग ने जबरदस्त मास्टर प्लान तैयार किया था।इस मास्टर प्लान के तहत विश्वविद्यालय में भरती की गई है। और इस योजना को आगे इंप्लीमेंट करने के लिए एम के हरदहा , बीडी शर्मा के प्रिय विधायक अभिलाष पांडे को प्रमंडल का सदस्य बनाकर लाया है। अब इस गेम की मास्टरमाइंड प्लानिंग पर चलिए खबर के मुताबिक विश्वविद्यालय के जितने भी खाली पद हैं उनमें अपने किस आदमी को लेकर आना है इस पर विचार विमर्श गहन चिंतन और मनन यह गैंग करती है और उन लोगों से वैसी ही कागजी कार्रवाई की पूर्ति कराती है जो संबंधित पद को भरने के लिए जरूरी हैं।


गैंग यह सब पहले से ही तय कर लेता है और इसी डायरेक्शन पर स्थापना एक के कर्मचारियों से काम कराया जाता है। भर्ती प्रक्रिया एक दिखावा है पहले से ही बता दिया जाता है कि इनका इनका इस इस तरीके से स्कोर कार्ड बनाना है।।इसीलिए इस आवेदक द्वारा जब आरटीआई के माध्यम से पिछले दो सालों से आवेदन क्रमांक 59 से लेकर आवेदन क्रमांक 59 ए एच तक की जानकारी मांगी तो लोक सूचना अधिकारी ने कह दिया है कि लोग लोकहित में जानकारी दिया जाना संभव नहीं है। आवेदन 59आहे में कुलगुरु डॉक्टर प्रमोद कुमार मिश्रा की विश्वविद्यालय में सेवा शुरू होने से लेकर आज दिनांक तक की अवकाश गणना का विवरण प्रतिलिपि मांगा है। लोकसूचना अधिकारी एके जैन ने इसे देना स्वीकार नहीं किया है।


इसी तरह तोताराम शर्मा का भी विश्वविद्यालय में सेवा शुरू करने से लेकर अद्यतन अवकाश गणना का रिकॉर्ड मांगा है। लोकसूचना अधिकारी द्वारा लिखित में जानकारी देने से इनकार करने से यह स्पष्ट है कि विश्वविद्यालय में दाल में काला नहीं है, बल्कि पूरी दाल ही काली है। 


लोक सूचना अधिकारी जबलपुर का यह डबल स्टैंडर्ड है। एक ही इंस्टीट्यूशन में अर्थात कृषि विश्वविद्यालय में एक कर्मचारी का हाजिरी रिकॉर्ड देना और सर्वोच्च दो अधिकारियों का हाजिरी रिकॉर्ड नहीं देना, सुधीर पाठक तराजू के दोनों पल्लू का तोल देख ले,लोक सूचना अधिकारी का एक ही कैलेंडर वर्ष में, वर्ष 2024 - 25 और 2025- 26 में यह दोहरा मानक ऑन रिकॉर्ड है, रिकॉर्ड पर मौजूद है, सामने आ गया है। 


लोक सूचना अधिकारी एके जैन ने जब सहायक कुलसचिव विधि बैठक और गोपनीय प्रशांत श्रीवास्तव की हाजिरी रजिस्टर और अन्य विभागों के हाजिरी रजिस्टर की प्रतिलिपि दे दिए हैं।तो तोताराम शर्मा और कुलगुरु डॉक्टर प्रमोद कुमार मिश्रा का हाजरी रिकॉर्ड देने में इनकार या नाही ,नहीं करना चाहिए। पर लोक सूचना अधिकारी ने ऐसा करके सूचना अधिकार अधिनियम का उल्लंघन किया है। 


जब कृषि विश्वविद्यालय बालाघाट से डॉक्टर धरना रामकिशोर टेंभरे - बिसेन का अवकाश आवेदन और सर्विस बुक की प्रतिलिपि , सूचना अधिकार अधिनियम के तहत प्राप्त हो सकती है, तो फिर कुलगुरु डॉक्टर प्रमोद कुमार मिश्रा और उनके खासमखास तेनालीराम, विश्वविद्यालय के नारदमुनि तोताराम शर्मा के आज तक लिए गए अवकाश की गणना की प्रतिलिपि क्यों नहीं मिल सकती। 


ऐसा अनुमान है कि कृषि विश्वविद्यालय जबलपुर के लोक सूचना अधिकारी ने अवकाश गणना की जानकारी लोकहित में नहीं देने का जो पत्र दिया है, वह अपनी मर्जी से नहीं दिया है वह कुलगुरु डॉक्टर प्रमोद कुमार मिश्रा के संकेत पर दिया है, अभी इस मामले में प्रथम अपील का समय बाकी है । लेखक प्रथम अपील में जाकर अपना पक्ष और तर्क प्रस्तुत करेगा।


क्योंकि जिस तरह धारणा बिसेन के भ्रष्ट आचरण का खुलासा उसके शिशु देखभाल अवकाश आवेदन और सर्विस बुक से हुआ है इस तरह कथिततौर पर तोताराम शर्मा और कुलगुरु डॉक्टर प्रमोद कुमार मिश्रा के कथीत भ्रष्टाचार का खुलासा भी उनके अवकाश आवेदनों के माध्यम से ही हो सकता है। इसमें देर लग सकती है, लेकिन जानकारी नहीं देने के लोग सूचना अधिकारी के पत्र से भ्रष्टाचार होने की आशंका बलवती है, क्योंकि जानकारी देने से लिखित में इनकार किया गया है।


सुधीर पाठक याद करें धरना बिसेन की प्रतिनियुक्ति से संबंधित 12 बिंदुओं में से मात्र चार बिंदुओं की जानकारी 9 दिसंबर 2022 के आवेदन में देते वक्त भी ऐसी विश्वविद्यालय के अधिकारियों ने जानकारी देने से स्पष्ट इनकार लिखित में कर दिया था लेकिन बाद में मजबूरी वचन है जानकारी देना पड़ी है। और लेखक का स्पष्ट आरोप है कि इस तरह संघ और भाजपा से जुड़े लोगों का एक बड़ा भ्रष्टाचार सामने आ गया है। यह सामान्य तौर पर कह सकते हैं कि संघ का स्वयंसेवक होना अलग बात है और जब वह भ्रष्टाचार कर तो वह संघ का स्वयंसेवक नहीं है बोलकर किनारे होना अलग बात है लेकिन यह सभी लोग इस समय छाती ठोक ठोक कर अपने आप को संघ का स्वयंसेवक बताते हैं यह बड़ी बात है।।


सभी पाठक इस तीसवें अंक में इस बात का अनुमान लगा लीजिए की कृषि विश्वविद्यालय का मीठा खाने के लिए संघ और भाजपा के लोग किस कदर लालच के गुड़ में लिपट गए हैं कि, किसी समय देश का नंबर एक कृषि विश्वविद्यालय अब सबसे पीछे हो गया है। इस लालच के गुण में लिप्त मक्खियां किसी भी तरह से निकलना भी नहीं चाहती। 


विश्वविद्यालय की प्रतिष्ठा को धूमिल करने वालों को वहां से निकालने का एक ही रास्ता है वह है न्यायालय। इस लेखक को अंततह न्यायालय तक का सफर करना ही पड़ेगा, अभी तक की स्थितियां यही बता रही है।

क्रमशः...........