
जबलपुर से वरिष्ठ पत्रकार दिग्विजय सिंह की रिपोर्ट
आज भास्कर\जबलपुर। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पिछले 50 वर्षों से राजनीति में प्रशासन में शुचिता, पवित्रता, पारदर्शिता नीति और सिद्धांत की बात बार-बार करते हैं। पर उन्ही की टीम के सदस्य भाजपा मध्यप्रदेश के प्रदेश अध्यक्ष बीडी शर्मा के ससुर और जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय में राजनीतिक कृपा के जरिए कुलगुरु बने पी के मिश्रा ने अशासकीय सेवक को शासकीय सहायक प्राध्यापक बनाकर सब कुछ तार तार कर दिया है।
यदि यही मामला विपक्ष की भूमिका में भाजपा के सामने होता तो आसमान सिर पर उठा लिया होता। मेरा तो मानना है कि ऐसे कमअक्ल और निम्नस्तरीय प्रशासनिक क्षमता वाले भाजपा विचारधारा के पोषक को, जैसे लाढ प्यार से बंदरिया अपने मृत बच्चे को छाती से चिपका कर रखती है ,वैसे ही इस चरित्र के लोगों को रखने से भाजपा के चरित्र का भी पता चलता है।
इस अंक 34 में कहानी वही है लेकिन कुलगुरु डॉक्टर पीके मिश्रा को बेनकाब करने वाले तथ्य नए हैं। सुधी पाठक , नए कलेवर वाली मोहन सरकार के कार्यकाल में कुलगुरु पीके मिश्रा के, विश्वविद्यालय में नियुक्तियों के प्रकरण में दोहरी प्रशासनिक मानक/मानदंड का उदाहरण पढ़ेंगे और देखेंगे कि कुलगुरु पीके मिश्रा पिछले 20 वर्षों से नियुक्ति संबंधी हर मामले में गर्दन तक फंसे हैं, लेकिन खुद को बचाते हैं और दूसरे को फांसते हैं,
पहला उदाहरण अशासकीय सहायक प्राध्यापक को मध्य प्रदेश शासन में सहायक प्राध्यापक बनाने के लिए अंतरप्रांतीय प्रतिनियुक्ति पाने वाली डॉक्टर धारणा रामकिशोर टेंभरे बिसेन के खिलाफ 30 लिखित शिकायतें कुलगुरु डॉक्टर पीके मिश्रा के नाम से दी हैं।
पिछले ढाई सालों में दी गई इन सभी शिकायतों में से एक भी शिकायत पर कुलगुरु डॉक्टर प्रमोद कुमार मिश्रा ने संज्ञान नहीं लिया है। क्योंकि कुलगुरु डॉक्टर प्रमोद कुमार मिश्रा सगे रक्तसंबंधियों को कृषि विश्वविद्यालय जबलपुर में नौकरी देने और दिलाने के मामले में सबसे आगे हैं।
इस सामूहिक सुविचारित संयोजित सुसंगठित पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान समर्थित और प्रवर्तित भ्रष्टाचार में कथित तौर पर केंद्रीय कृषिमंत्री का दबाव की चर्चा के बीच
इन 30 शिकायतों मैं से 20 शिकायतें कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉक्टर प्रमोद कुमार मिश्रा के नाम से दी हैं। इन 20 की 20 शिकायतों पर कुलपति डॉक्टर प्रमोद कुमार मिश्रा ने इसीलिए संज्ञान नहीं लिया क्योंकि वह इस विधिविरुद्ध नियुक्ति के प्रकरण में प्रथम 10 महत्वपूर्ण आरोपियों में से एक हैं।
(यह 10 प्रमुख आरोपी में से नंबर एक है पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, उनके पूर्व कृषिमंत्री बालाघाट के गौरीशंकर बिसेन नंबर दो है। गौरीशंकर बिसेन के भाई पूर्व कुलगुरु डॉक्टर प्रदीप कुमार बिसेन नंबर तीन है। प्रदीप कुमार बिसेन का बेटा बालाघाट में सहायक प्राध्यापक शरद बिसेन नंबर चार है। प्रतिनियुक्ति का आवेदन 19. 10.2016 करने वाली शरद की पत्नी डॉक्टर धारणा का नंबर पांच है। प्रशासनिक परिषद में अनुमोदन करने वाले डॉक्टर पी के मिश्रा नंबर छः है। पीके मिश्रा के हस्ताक्षर वाली प्रशासनिक परिषद के अनुमोदन पर प्रतिनियुक्ति के आदेश की अनुशंसा करने वाले पूर्व कुलगुरु डॉक्टर विजय सिंह तोमर नंबर सात है। विजय सिंह तोमर की अनुशंसा पर आदेश निकलने वाले कुलसचिव एके इनगले का नंबर 8 है। बालाघाट में ज्वाइन कराने वाले अधिष्ठाता विजयबहादुर उपाध्याय का नंबर 9 है। विजय बहादुर उपाध्याय द्वारा प्रतिनियुक्ति कर्मी को न्यूली अपॉइंटेड की चिट्ठी 29. 08. 2017 डीन फैकल्टी पीके मिश्रा और डीएसडब्ल्यू अमित शर्मा को भेजना और उसे स्वीकार करने वाले अमित शर्मा का नंबर 10 है। कदाचरण, पद का दुरुपयोग शासकीय राशि का गबन, सामूहिक सुविचारित षड्यंत्र, शासकीय अभिलेखों में फ़ेरफार और मिथ्या जानकारी को सत्य के रूप में प्रस्तुत करने और स्वीकार करने के पूरे प्रकरण में आरोपियों की संख्या 100 से अधिक जा सकती है।)
शेष 10 शिकायतें संभाग आयुक्त अभय वर्मा के मार्फत राज्य शासन को और वित्तीय अनियमितता के कारण संयुक्त संचालक ऑडिट और संयुक्त संचालक कोष एवं लेखा सहित अन्य विभागों को गई हैं। विश्वविद्यालय के अलावा अन्य सभी प्रशासकीय अधिकारियों ने अशासकीय सहायक प्राध्यापक को शासकीय सहायक प्राध्यापक के पद पर प्रतिनियुक्ति करने के प्रकरण में शिकायतों पर कार्रवाई की है। प्रशासकीय अधिकारियों की करवाई का नतीजा सामने है, विश्वविद्यालय में राज्य शासन वित्तसेवा का वित्त नियंत्रक बैठ गया है, शासकीय राजा भोज कृषि कॉलेज बालाघाट का भ्रष्टाचार करने वाला डीन नरेश कुमार बिसेन और उनके साथी उत्तम कुमार bisen डीडीओ ऋषिकेश ठाकुरऔर सीताराम सोमनाथ सरोदे अन्य की टीम अपदस्त हो गई है।
कुलपति डॉक्टर पीके मिश्रा का दूसरा उदाहरण तृतीय और चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों की बैकलॉग भर्ती के आदेश जारी करना है। यह आदेश पूर्व कुलसचिव और वर्तमान कुलगुरु डॉ पी के मिश्रा के अनुशंसा और हस्ताक्षर से हुआ है। लेकिन पीके मिश्रा ने इस मामले में 100 प्रतिशत संलिप्त सहायक कुलसचिव प्रशांत श्रीवास्तव और स्थापना एक के लोगों को साफ-साफ बचा लिया और एक लिपिक अरुण कुमार केवट को शोकॉज नोटिस देकर निलंबित करते हुए मुख्यालय रीवा कर दिया।
क्या इस मामले में केवल अरुण केवट पर ही कार्रवाई होनी चाहिए थी।
बाकी कुलपति डॉक्टर प्रमोद कुमार मिश्रा सहित अन्य कर्मी पाक साफ है, इन पाक साफ लोगों में विधि और गोपनीय शाखा का कुलसचिव प्रशांत श्रीवास्तव ,स्थापना एक का कुलसचिव प्रशांत श्रीवास्तव उनका अनुभाग का लिपिक स्टाफ फिर फाइल को कुलपति तक पहुंचने वाले उप कुलसचिव तोताराम शर्मा ,और अंतिम निर्णय के द्वारा बैकलॉग पदों को भरने वाले फाइल पर हस्ताक्षर करने वाले कुलपति पीके मिश्रा खुद शामिल हैं। लिपिक अरुण केवट ने जवाब प्रस्तुत करने के लिए संदर्भित समस्त अभिलेख आरटीआई से मांगे हैं जो उसे नहीं दिए जा रहे हैं।
जैसा कि मैं पूर्व में संकेत दे चुका हूं जो कागज और फाइल कुलपति डॉक्टर पीके मिश्रा के खिलाफ जाती हुई महसूस होती है उसे जड़ से नष्ट करने का काम कथित तौर पर कुलपति डॉक्टर प्रमोद कुमार मिश्रा करते हैं। एससी एसटी ओबीसी कोटा के बैकलॉग की तय पद सीमा 30 पद से अधिक 40 या जो भी संख्या हो, को बैकलॉग की भर्ती में दूरदराज के क्षेत्र में नियुक्ति के आरोपी के मामले में क्या कुलपति डॉक्टर प्रमोद कुमार मिश्रा के सामने तथ्य नहीं आए होंगे, यह विचारणीय है।
इस फाइल पर हस्ताक्षर या अनुशंसा कुलगुरु डॉक्टर प्रमोद कुमार मिश्रा ने नहीं की होगी? इस पर भी सवाल खड़ा होता है।
और फिर उनके साथ, दाहिने हाथ उप कुलसचिव तोताराम शर्मा साए की तरह रहते हैं, तो यह कैसे संभव है कि कोई चीज गलत हो जाए। तोताराम शर्मा भी अपनी सगी बेटी रजनी शर्मा को विश्वविद्यालय में नौकरी लगवाने के कथित प्रकरण में संदेह के दायरे में है। यह मामला भी अभी आगे विस्तार से आ सकता है । कृषि विश्वविद्यालय जबलपुर में पदस्थ कुलपति और उनके अधीनस्थ एसोसिएट प्रोफेसर और अन्य कर्मचारियों ने विश्वविद्यालय को अपने सगे रक्तसंबंधियों को विभिन्न पदों पर नियुक्त करने और भर्ती करने का अखाड़ा बना रखा है।
क्या संवेदनशील मुख्यमंत्री मोहन यादव की सरकार इस बात पर मुख्यमंत्री सचिवालय के माध्यम से पूछताछ करेगी कि पिछले ढाई सालों से लगातार दिए गए 20 से अधिक शिकायत आवेदन पत्रों पर क्यों संज्ञान नहीं लिया गया। डॉ प्रमोद कुमार मिश्रा एक झूठ का सहारा लेंगे कि विशेष स्थापना पुलिस लोकायुक्त भोपाल में जांच लंबित है। मेरे पास विशेष स्थापना पुलिस लोकायुक्त भोपाल समाधान भवन के विधि सलाहकार प्रथम ओंकार नाथ की जांच दाखिल दफ्तर करने की सूचना प्राप्त है।अर्थात केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान के चहते पूर्व कृषिमंत्री गौरीशंकर बिसेन के भाई पीके बिसेन और उनकी बहू धारणा रामकिशोर टेंभरे बिसेन की जांच विशेष स्थापना पुलिस लोकायुक्त भोपाल से बंद करने की विश्वविद्यालय की आरटीआई में प्राप्त सूचना उपलब्ध है। और यह सूचना भी उपलब्ध है कि शिकायत आवेदनों पर किसी को भी नोटिस जारी करने की कार्रवाई नहीं हुई है।
अगले अंक 35 वां मैं पढ़े , विधानसभा ध्यानाकर्षण सूचना क्रमांक 57 का जवाब जब सितंबर 2022 में किसान कल्याण विभाग के अपर संचालक ईटी भोपाल के माध्यम से विधानसभा के समक्ष सितंबर 2022 में प्रस्तुत कर दिया था , तो 7- 8 माह बाद कृषि विश्वविद्यालय के स्थापना शाखा एक से तक्कालीन डीन बालाघाट जीके कोतू को 9 मई 2023 को विधानसभा में जानकारी प्रस्तुत करने के लिए 6 बिंदुओं की जानकारी भेजने का पत्र क्यों रवाना किया गया।
खास बात यह है कि यह जानकारी ना तो शासकीय कृषि कॉलेज बालाघाट से कृषि विश्वविद्यालय जबलपुर आई और ना ही यह जानकारी कृषि विश्वविद्यालय जबलपुर से विधानसभा भोपाल भेजी गई। सोच सकते हैं की किस कदर भ्रष्टाचार है और यह स्थापना एक के अंतर्गत किया गया सोचा समझा खेल(निश्चित तौर पर गोंदिया बालाघाट जबलपुर और भोपाल तक कथित तौर पर खूब लिफाफे बांटे हैं।
जब जानकारी विधानसभा के पटल पर सितंबर 2022 में पहुंच गई है तो सात माह बाद स्थापना एक से बालाघाट भेजने के लिए पत्र क्यों लिखा गया ।और वह पत्र विधानसभा में जानकारी भेजने के नाम पर लिखा गया है।
क्रमशः --------
क्या संवेदनशील मुख्यमंत्री मोहन यादव की सरकार इस बात पर मुख्यमंत्री सचिवालय के माध्यम से पूछताछ करेगी कि पिछले ढाई सालों से लगातार दिए गए 20 से अधिक शिकायत आवेदन पत्रों पर क्यों संज्ञान नहीं लिया गया। डॉ प्रमोद कुमार मिश्रा एक झूठ का सहारा लेंगे कि विशेष स्थापना पुलिस लोकायुक्त भोपाल में जांच लंबित है। मेरे पास विशेष स्थापना पुलिस लोकायुक्त भोपाल समाधान भवन के विधि सलाहकार प्रथम ओंकार नाथ की जांच दाखिल दफ्तर करने की सूचना प्राप्त है।अर्थात केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान के चहते पूर्व कृषिमंत्री गौरीशंकर बिसेन के भाई पीके बिसेन और उनकी बहू धारणा रामकिशोर टेंभरे बिसेन की जांच विशेष स्थापना पुलिस लोकायुक्त भोपाल से बंद करने की विश्वविद्यालय की आरटीआई में प्राप्त सूचना उपलब्ध है। और यह सूचना भी उपलब्ध है कि शिकायत आवेदनों पर किसी को भी नोटिस जारी करने की कार्रवाई नहीं हुई है।
अगले अंक 35 वां मैं पढ़े , विधानसभा ध्यानाकर्षण सूचना क्रमांक 57 का जवाब जब सितंबर 2022 में किसान कल्याण विभाग के अपर संचालक ईटी भोपाल के माध्यम से विधानसभा के समक्ष सितंबर 2022 में प्रस्तुत कर दिया था , तो 7- 8 माह बाद कृषि विश्वविद्यालय के स्थापना शाखा एक से तक्कालीन डीन बालाघाट जीके कोतू को 9 मई 2023 को विधानसभा में जानकारी प्रस्तुत करने के लिए 6 बिंदुओं की जानकारी भेजने का पत्र क्यों रवाना किया गया।
खास बात यह है कि यह जानकारी ना तो शासकीय कृषि कॉलेज बालाघाट से कृषि विश्वविद्यालय जबलपुर आई और ना ही यह जानकारी कृषि विश्वविद्यालय जबलपुर से विधानसभा भोपाल भेजी गई। सोच सकते हैं की किस कदर भ्रष्टाचार है और यह स्थापना एक के अंतर्गत किया गया सोचा समझा खेल(निश्चित तौर पर गोंदिया बालाघाट जबलपुर और भोपाल तक कथित तौर पर खूब लिफाफे बांटे हैं।
जब जानकारी विधानसभा के पटल पर सितंबर 2022 में पहुंच गई है तो सात माह बाद स्थापना एक से बालाघाट भेजने के लिए पत्र क्यों लिखा गया ।और वह पत्र विधानसभा में जानकारी भेजने के नाम पर लिखा गया है।
क्रमशः --------