आज भास्कर,मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने राज्य सरकार की जुलाई 2019 में लागू की गई इकोनॉमिकली वीकर सेक्शन (ईडब्ल्यूएस) नीति को असंगत मानते हुए सरकार से 30 दिन में जवाब मांगा है। जस्टिस संजीव सचदेवा और जस्टिस विनय सराफ की युगलपीठ ने मंगलवार को सुनवाई के दौरान सवाल उठाया कि अनुसूचित जाति (एससी), अनुसूचित जनजाति (एसटी) और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के गरीबों को ईडब्ल्यूएस प्रमाणपत्र क्यों नहीं दिया जा रहा है, जबकि संविधान के अनुच्छेद 15 (6) में सभी वर्गों को इसका लाभ देने का प्रावधान है।
याचिका एडवोकेट यूनियन फॉर डेमोक्रेसी एंड सोशल जस्टिस संस्था द्वारा दायर की गई थी। याचिकाकर्ता के वकीलों ने दलील दी कि सरकार की नीति गरीबों में जातीय भेदभाव करती है, जो संविधान के अनुच्छेद 14, 15 (6) और 16 (6) का उल्लंघन है।
सरकार की ओर से कोर्ट को बताया गया कि ईडब्ल्यूएस आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों की संवैधानिक पीठ ने पहले ही निर्णय लिया है। इस पर याचिकाकर्ता के वकीलों ने तर्क दिया कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले में उठाए गए सभी मुद्दों पर विचार नहीं किया गया है। हाईकोर्ट ने इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट के सात जजों के निर्णय का संदर्भ देते हुए शासन से जवाब तलब किया है।