आज भास्कर,जबलपुर। मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने स्पष्ट रूप से कहा है कि माता-पिता का भरण-पोषण करना बच्चों का कर्तव्य है। न्यायमूर्ति गुरपाल सिंह अहलूवालिया की एकलपीठ ने एसडीएम और एडीएम नरसिंहपुर द्वारा पारित आदेश को बहाल रखते हुए चार बेटों को अपनी मां को दो-दो हजार रुपये मासिक भरण-पोषण देने का आदेश दिया।
हाईकोर्ट ने यह भी कहा कि यदि बेटा अपनी मां से संपत्ति वितरण को लेकर असंतुष्ट है, तो वह इसके लिए सिविल मुकदमा दायर कर सकता है। लेकिन संपत्ति विवाद का मामला अलग है, और वह मां के भरण-पोषण का दायित्व निभाने से नहीं बच सकता।
मामला नरसिंहपुर निवासी एक वृद्ध मां से संबंधित है, जिसके भरण-पोषण के लिए अपर कलेक्टर द्वारा पारित आदेश को एक बेटे ने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। बेटे ने दलील दी थी कि उसे कोई संपत्ति नहीं दी गई, इसलिए वह भरण-पोषण के लिए उत्तरदायी नहीं है। हाईकोर्ट ने उसकी इस दलील को खारिज करते हुए कहा कि माता-पिता का भरण-पोषण करना बच्चों का नैतिक और कानूनी दायित्व है।
हाईकोर्ट ने माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों के भरण-पोषण और कल्याण अधिनियम के तहत पारित आदेश को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज कर दिया और मां को मासिक भरण-पोषण के रूप में आठ हजार रुपये की राशि देने का आदेश बरकरार रखा