सुबह जब सरस्वती उठीं और किचन की सफाई करने लगीं, तब उन्होंने देखा कि कोबरा सिलेंडर के पास फन फैलाए बैठा था। इसके बावजूद, उन्होंने अपनी रोज़मर्रा की दिनचर्या पूरी की—नहाना, पूजा करना, और चाय बनाना। सरस्वती ने कोबरा को कोई नुकसान नहीं पहुंचाया, और वह जानती थीं कि अगर सांप को छेड़ा न जाए तो वह हमला नहीं करता।
सुबह साढ़े 10 बजे सरस्वती ने अपने पड़ोसियों को बताया कि सांप अभी भी किचन में है। इसके बाद सर्प विशेषज्ञ गजेन्द्र दुबे को बुलाया गया, जिन्होंने 45 मिनट की कोशिश के बाद कोबरा का सफलतापूर्वक रेस्क्यू किया और उसे जंगल में छोड़ दिया।
विशेषज्ञों के अनुसार, कोबरा का जहर न्यूरोटॉक्सिक होता है, जो नर्वस सिस्टम को प्रभावित करता है और अगर समय पर इलाज न मिले तो यह घातक हो सकता है।