- भारतीय ज्ञान परंपरा एवं राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के संदर्भ में भौतिक विज्ञान विषय पर आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला का समापन
आज भास्कर : जबलपुर 08 अगस्त। भारत के सांस्कृतिक ऐश्वर्य के स्वर्णिम अध्यायों के पुनर्पाठ की दरकार सदा ही बनी रही है। भारत की ज्ञान परंपरा को लेकर नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति ने भारत के सांस्कृतिक मूलाधारों को ठीक से जानने-समझने और पारंपरिक ज्ञान तथा कला-कौशल को शिक्षा से जोड़ने और उसके नये प्रयोगों पर बल दिया है। रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय में आयोजित इस राष्ट्रीय संगोष्ठी में विषय पर आधारित व्याख्यान, संवाद और हस्तक्षेप की सार्थक दिशायें खोली हैं। यह वैचारिक समागम परिकल्पना, प्रतिभागिता और संयोजन की दृष्टि से अपने मकसद में एक सफल कोशिश कहा जा सकता है। यह बात माननीय कुलगुरु प्रो. राजेश कुमार वर्मा ने गुरुवार को विश्वविद्यालय के एकात्म भवन में राष्ट्रीय कार्यशाला के समापन सत्र की अध्यक्षता करते हुए व्यक्त किये।
भारतीय ज्ञान परंपरा एवं राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के संदर्भ में भौतिक विज्ञान विषय पर आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला के समापन सत्र में विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित विषय विशेषज्ञ प्रो. कैलाश विश्वकर्मा, हमीरपुर ने कहा कि वर्तमान में वैश्विक पटल पर प्रयोग, प्रगति, नवाचार और उपलबिध्यों के साथ ही मनुष्यता के सामने नैतिक संकट उत्पन्न हो रहा है। तब एक बार फिर भारत की उस ज्ञान परंपरा के परचम को थामना जरूरी लगता है, जो अनुभव की कसौटी पर खरा है। हजारों बरसों की यात्रा में भारत की सभ्यता ज्ञान की इसी रोशनी में अपनी उत्कर्ष की दिशाएं तय करती रही है।
वैज्ञानिक प्रगति के अंतरराष्ट्रीय मानकों में भारत की प्रज्ञा और कौशल अहम्-
समापन सत्र का संचालन और आभार प्रदर्शन करते हुए कार्यशाला मुख्य समन्वयक एवं नोडल अधिकारी प्रो. राकेश बाजपेयी ने बताया कि मध्यप्रदेश शासन उच्च शिक्षा विभाग के आदेशानुसार विश्वविद्यालय में ‘भारतीय ज्ञान परंपरा एवं राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के संदर्भ में भौतिक विज्ञान‘ विषय पर आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला के विभिन्न सत्रों में विन्यस्त इस संगोष्ठी की विशेषता इस बात में रही कि युवा से लेकर वरिष्ठजनों ने भारतीय ज्ञान परंपरा से जुड़े उन उपेक्षित, अनदेखे या अल्पचर्चित पहलुओं पर भी खुलकर अपने विचार रखे जिन पर अक्सर एक पक्षीय संवाद के आग्रह में चर्चा ही नहीं होती। इन वक्ताओं ने जोर देकर कहा कि अगर समग्रता या समावेशिता भारत की ज्ञान परंपरा की आधारभूत विशेषता है तो इसकी मीमांसा खुलकर की जानी चाहिए। वैज्ञानिक प्रगति के अंतरराष्ट्रीय मानकों में भारत की प्रज्ञा और कौशल अहम् है।
द्वितीय दिवस इन विशेषज्ञों ने रखी अपनी बात-
राष्ट्रीय कार्यशाला के द्वितीय दिवस विवि के एकात्म भवन में भौतिक विज्ञान विषय पर स्नातक स्तर पाठ्यक्रम में शामिल भारतीय ज्ञान परंपरा पर विमर्श हुआ। इस सत्र के अध्यक्ष प्रो. साधना सिंह, अध्यक्ष केंद्रीय अध्ययन बोर्ड भौतिक विज्ञान एवं प्रतिवेदक डॉ. कपिला शर्मा, डॉ. सुमन यादव रहीं। इसके पश्चात भौतिक विज्ञान विषय पर स्नातक स्तर पाठ्यक्रम में शामिल भारतीय ज्ञान परंपरा से संबंधित नवीन सुझाव पर विचार विमर्श में सत्र अध्यक्ष प्रो. रवि कटारे, शासकीय आदर्श विज्ञान महाविद्यालय एवं प्रतिवेदक डॉ. रिंकेश भट्ट, डॉ. सरिता यादव की उपस्थिति रही। दोपहर बाद पाठ्यक्रम का स्वरुप एवं शिक्षा पद्धति पाठ्य सामग्री पर चर्चा का आयोजन किया गया। इसमें सत्र अध्यक्ष प्रो. गिरीश वर्मा, शासकीय होम साइंस महिला महाविद्यालय एवं प्रतिवेदक डॉ. पल्लवी शुक्ला, डॉ. गौरव सिंह की मौजूदगी रही। अंत में कार्यशाला, संगोष्ठी समाहार एवं समापन सत्र में सभी प्रतिवेदनों का प्रस्तुतीकरण किया गया इसमें प्रो. वेंकटरमण इंदौर ने अपनी बात रखी।
कोर टीम के सदस्य रहे मौजूद-
विवि में आयोजित राष्ट्रीय कार्यशाला समापन कार्यक्रम में डॉ. पल्लवी शुक्ला, डॉ. रिन्केश भट्ट, डॉ. अरुणेन्द्र कुमार पटेल, डॉ. रवि कटारे, डॉ. आर.एस. चंडोक, प्रो. कलोल दास, प्रो. गिरीश वर्मा, डॉ. आर.के. गुप्ता सहित सभी कोर कमेटी सदस्ययों एवं विभाग के सभी अधिकारियों, कर्मचारियों, छात्र-छात्राओं की उपस्थिति रही।