कांग्रेस कार्यकताओं में अभी से निराशा भर गई आलाकमान की सरेंंडर-नीति से - Aajbhaskar

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Friday, October 13, 2023

कांग्रेस कार्यकताओं में अभी से निराशा भर गई आलाकमान की सरेंंडर-नीति से


  • मैनेज जिला मानकर तीनों विधानसभाओ में अपने पैर पर कुल्हाडी मारने के संकेत
  • कटनी से प्रेम बत्रा, विजयराघवगढ़ से ध्रुवप्रताप सिंह और बहोरीबंद से निशीथ पटेल के नाम लीड कर रहे
  • जनाक्रोश को विजयी मतों तक लाने में सक्षम विजेन्द्र मिश्रा, सौरभ सिंह पर बंटाढार की तलवार लटकी

आज भास्कर,कटनी : जिले का कांग्रेस कार्यकर्ता चौथी बार हताशा में भर गया है, क्योंकि स्क्रीनिंग कमेटी में जिस तरह से नामों की वरीयता नजर आ रही है उसमें कांग्रेस का रूख कटनी को मैनेज जिला मानकर सरेंडर जैसा कर देने की आहट अनुभवी पार्टी कार्यकर्ता सुन-समझ रहा है।भोपाल दिल्ली तक दौडऩे वाले नेताओं के अनुसार उन्हें लगता है कि- कमलनाथ-दिग्गी ने कटनी में अपनी हार पहले से मान ली है और मैनेज नीति पर प्रत्याशी चुना जाने वाला है। जिसमें भाजपा से अयातित बुजुर्गवार ध्रुव प्रताप सिंह को विजयराघवगढ से, कटनी से नव-स्फुरित प्रेम बत्रा का प्रत्याशी बनना लगभग तय है। बहोरीबंद से उस प्रत्याशी का टिकट नहीं बल्कि हाथ पैर जैसा काटे जाने का संकेत मिल रहा है जो हार के बाद भी जनता के सतत संपर्क में रहा है यानि सौरभ सिंह सिसोदिया को सामंती नेता टिकट के योग्य नहीं मान रहे हैं उनके स्थान पर जबलपुर के निशीथ पटेल का नाम तय माना जा रहा है कारण जबलपुरिया कांग्रेस नेताओं की लॉबी हावी है।


कार्यकर्ता इन हलचलों से अभी से हताश है क्योंकि वह मानकर चलता है कि जिले में दो सीट ऐसी हैं - कटनी और बहोरीबंद जहां कांटे का मुकाबला किया जा सकता है,भाजपा से सीट वापस छीनी जा सकती है l लेकिन मैनेज सीट का गणित बंटाढार नीति के हावी होने को दर्शा रहा है।

अल्पसंख्यक प्रत्याशी हारते आए हैं फिर होंगे रिपीट

कटनी मुड़वारा से अल्पसंख्यक का प्रतिनिधित्व करने वाले प्रत्याशियों को मतदाता ने स्वीकार नहीं किया है, बहुमत से वे काफी दूर रहे हैं, इसलिए अल्प संख्यक पर दाव लगाकर कांग्रेस आलाकमान अपने कार्यकर्ता को पहले ही मायूस करेंगे फिर उनसे आशा करेंगे की जीत का जादू दिखाओ ।

पिछड़ा वर्ग से किसी संघर्षशील नेता का नाम आगे लाने के लिए देर हो चुकी है अलबत्ता सामान्य वर्ग से अनुभवी विजेंन्द्र मिश्रा राजा भैया को टिकट मिलने की इस बार मजबूत उम्मीद कार्यकर्ताओं को थी l वे ऐसी मानसिकता भी बना चुके थे, जिनका नाम अब बंटाढार नीति में ढकेल दिया गया है।

विपक्ष में युवा ही नजर आए पर....

जिले में विपक्ष की भूमिका में सदैव युवा कांग्रेस आगे रही है बल्कि यह कहना ठीक होगा की कांग्रेस की विपक्षी भूमिका को युवाओं ने ही जिन्दा बनाकर रखा है l इनकी भूमिका के आधार पर दिव्यांशु मिश्रा की अपनी दावेदारी उचित बनती है, लेकिन महापौर के चुवाव में एक योग्य प्रत्याशी श्रेहा रौनक खंडेलवाल को अप्रत्याशित रूप से मिली पराजय से जिले के मतदाता ने अपने चयन का एक मापदंड जनता और राजनैतिक दलों को बता दिया है। इसके बाद एक लंबी फेरहिस्त है जिनमें जिला बार एसो. के अध्यक्ष पं. अमित शुक्ला, प्रियदर्शन गौर, ट्रास्पोर्ट एसो. के अध्यक्ष बी.एम.तिवारी, पं. हरीशंकर शुक्ला के नाम आलाकमान की नीति में पीछे चले गए हैं। यह चर्चा कांग्रेस कार्यकर्ताओं की है।

बहोरीबंद बाहरी प्रत्याशी को पसंद नहीं करेगा

पिछले कई साल से बहोरीबंद में नागरिकों की सभाएं होती रही हैं और उसमें साफ कहा जाता रहा कि स्थानीय प्रत्याशी चाहिए। इसके बाद जो कांग्रेस की जनाक्रोश यात्रा या रैली हुई उनमें सौरभ सिंह सिसौदिया की लोकप्रियता साफ नजर आई। स्थानीय नेताओं में राकेश पटेल की प्रभावी छाप स्पष्ट है। किंतु बंटाढार लॉबी अब धनाढ्य प्रत्याशी को टिकट देकर मैनेज करती नजर आ रही है और कार्यकर्ता बेहद निराश हो रहा है । परोक्ष रूप से ऐसे टिकट वितरण करना एक तरह से भाजपा के सामने चुनाव पूर्व सरेंडर करना मानकर कांग्रेस कार्यकर्ता बुरी तरह हताश हो चला है।

अंतिम क्षण तक आशा तो बनी रहेगी

फिलहाल जब तक टिकट की अधिकृत घोषणा नहीं होती कार्यकर्ता अपनी उम्मीद जिंदा किए है और जनाक्रोश को विजय मत में बदलने के लिए वह कमर कसे बैठा है, शेष भारी भरकम दिमाग वाले जानें।


पूर्व ननि अध्यक्ष संतोष शुक्ला के बगावती तेवर

संजय-संदीप दोनों को बताया रोड़ा

कटनी। भाजपा प्रत्याशी संदीप जायसवाल का चयन एक दोषणूर्ण फैसला है और इससे पूर्व ननि अध्यक्ष तथा वर्तमान मेयर इन कौंसिल सदस्य पार्षद संतोष शुक्ला भी क्षुब्ध नजर आए, प्रत्याशी का विरोध उन्होंने एक प्रेसवार्ता में किया। वार्ता में संतोष शुक्ला ने संजय पाठक को भी विकास में रोड़ा बताया और स्मरण किया कि किस तरह उन्होंने नगर निगम अध्यक्ष पद चुनाव के लिए अपने चचरे भाई के सामने उनको समर्थन नहीं होने दिया। संतोष शुक्ला के आक्रोश की वजह यह रही कि संदीप जायसवाल ने मेयर के चुनाव में पार्टी प्रत्याशी के लिए निष्ठा से अपनी भूमिका नहीं निभाई और परोक्ष रूप से निर्दलीय प्रत्याशी को लाभ मिला। पार्टी विरोधी गतिविधियों के चलते उनका चयन किया जाना दोषपूर्ण निर्णय है और हर जमीनी कार्यकर्ता इससे नाराज है।

वैसे संतोष शुक्ला ने भाजपा की प्राथमिक सदस्यता से स्तीफा नहीं दिया है मगर यह जरूर कहा कि जरूरत समझूंगा तो निर्दलीय चुनाव मैदान में उतर सकता हूं।