मूर्ख कहलाते हैं ऐसे लोग
- चाणक्य नीति के अनुसार जो व्यक्ति बिना सोचे-समझे कोई काम करता है और उसमें असफलता पाता है तो व्यक्ति को समाज में मूर्ख ही समझा जाता है. क्योंकि किसी भी काम को करने से पहले लोगों को उसके लाभ व हानि के बारे में ठीक प्रकार से पता कर लेना चाहिए
- जो व्यक्ति स्वंय को बुद्धिमान समझता है और किसी नई चीज को समझने की कोशिश नहीं करता. वह भी समाज के लिए मूर्ख ही है. क्योंकि नई नई चीजें सीखने से आपका ज्ञान बढ़ता है और आपको कोई मूर्ख भी नहीं बना सकता
- आचार्य चाणक्य का कहना है कि जो लोग अपने मुंह मियां मिट्ठू बनते हैं यानि अपनी तारीफ खुद ही करते रहते हैं उन्हें भी समाज मूर्ख ही समझता है. ऐसे लोगों को समाज में कोई मान-सम्मान नहीं मिलता. इसलिए अपनी तारीफ करने की बजाय दूसरों को तारीफ करने का मौका दें
- जो लोग खुद को दूसरों की तुलना ज्यादा ज्ञानी और बुद्धिमान समझते हैं वह भी किसी मूर्ख से कम नहीं हैं. चाणक्य नीति के अनुसार ऐसे लोगों की बातों को समाज में अधिक भाव नहीं दिया जाता
- जो लोग बिना सोचे-समझें दूसरों का अपमान करते हैं और खुद को सम्मान के लायक समझते हैं ऐसे लोग कभी भी समाज में सम्मान हासिल नहीं कर पाते. इन लोगों को मूर्ख ही कहा जाता है
disclamire : ( यह जानकारी केवल सामान्य जानकारियों पर आधारित है हम इसकी पुष्टि नहीं करते है )