ऑपरेशन सिंदूर को मिला अंतरराष्ट्रीय समर्थन, ब्रिटिश सांसद ने कहा- सही कदम - Aajbhaskar

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Friday, May 9, 2025

ऑपरेशन सिंदूर को मिला अंतरराष्ट्रीय समर्थन, ब्रिटिश सांसद ने कहा- सही कदम

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लंदन। पाकिस्तान के खिलाफ भारत के ऑपरेशन सिंदूर की सराहना अब दुनिया भर में हो रही है। ब्रिटेन की संसद में कंजर्वेटिव पार्टी की सांसद प्रीति पटेल ने भारत को समर्थन दिया है। प्रीति पटेल ने भारत के ऑपरेशन सिंदूर के फैसले को सही बताया है।

सांसद प्रीति पटेल ने कहा, उसे अपनी रक्षा के लिए उचित और सही कदम उठाने का अधिकार है, साथ ही उस घृणित आतंकवादी ढांचे को नष्ट करने का अधिकार है, जो उसे लगातार खतरे में डाल रहा है। प्रीति पटेल ने आतंकवाद को बढ़ावा देकर भारत और पश्चिमी हितों के लिए खतरा पैदा करने के लिए पाकिस्तान की आलोचना की है।

प्रीति पटेल ने आगे कहा,

पाकिस्तान में स्थित आतंकवादी भारत और पश्चिमी हितों के लिए खतरा हैं। यह वह देश था जिसमें ओसामा बिन लादेन छिपा हुआ था - और भारत पर आतंकवादियों द्वारा की जा रही हिंसा के लंबे इतिहास के कारण, ब्रिटेन ने भारत के साथ लंबे सुरक्षा सहयोग समझौते किए हैं।'

ब्रिटेन सरकार से सांसद प्रीति पटेल की बड़ी अपील

प्रीति पटेल ने सरकार से वैश्विक आतंकवाद के खतरों से निपटने में ब्रिटेन के सहयोगियों के साथ सहयोग करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा, 'इन संबंधों को देखते हुए, ब्रिटेन सरकार को हमारे मित्रों और सहयोगियों के साथ मिलकर काम करने में सबसे आगे रहना चाहिए, ताकि हम सामूहिक रूप से जिन आतंकवादी खतरों का सामना कर रहे हैं, उनसे निपटा जा सके।'

'पहलगाम हमले में भारत की मदद की?'

उन्होंने ब्रिटेन सरकार से पूछा कि क्या उसने पहलगाम में हुए क्रूर आतंकवादी हमले के बाद भारत की सहायता की थी। मंत्री ब्रिटेन और भारत के बीच खुफिया जानकारी के आदान-प्रदान के बारे में बात नहीं कर पाएंगे, लेकिन क्या वे कम से कम इस बात की पुष्टि करेंगे कि क्या हमारी खुफिया और सुरक्षा सेवाएं हुई घटनाओं के बारे में भारत के संपर्क में थीं और क्या वे इसकी जांच में सहायता कर रही हैं?

हमास-लश्कर-ए-तैयबा के संबंधों के बारे में रिपोर्टों पर जोर देते हुए पटेल ने पूछा, 'क्या मंत्री इस बात की पुष्टि करेंगे कि क्या ब्रिटेन सरकार को लश्कर-ए-तैयबा और हमास के बीच किसी सहयोग और संबंधों के बारे में जानकारी है? पटेल ने सवाल किया कि क्या विदेश सचिव इस क्रूर हमले के बाद अपने भारतीय समकक्षों के साथ हुई चर्चा का सबूत दे पाएंगे।'