भाजपा नेता का खेल, शासकीय पदों पर लगाया दांव - Aajbhasker

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Sunday, March 23, 2025

भाजपा नेता का खेल, शासकीय पदों पर लगाया दांव



जबलपुर से वरिष्ठ पत्रकार विजय सिंह की रिपोर्ट

शिवराज के मंत्री गौरीशंकर बिसेन ने बहू धारणा बिसेन की अशासकीय सेवा से शासकीय सेवा में अंतरराज्यीय प्रतिनियुक्ति करवाने के लिए खेल दांव पेच पर रिपोर्ट।

इस रिपोर्ट से जनता को यह तुलना करने में मदद मिलेगी कि कांग्रेसी इमानदार होता है या भाजपाई।

आज भास्कर,जबलपुर। बालाघाट के पूर्व कृषि मंत्री गौरी शंकर बिसेन ने अपने सगे रक्त संबंधी भाई पीके बिसेन को जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय का वर्ष 2017- 18 मे कूलगुरु बनाने के साथ ही बहू धारणा रामकिशोर टेंभरे बिसेन को महाराष्ट्र के गोंदिया से लाकर मध्य प्रदेश के जबलपुर विश्वविद्यालय के अंतर्गत बालाघाट स्थित राजा भोज शासकीय कृषि कॉलेज वारासिवनी जिला बालाघाट में अशासकीय सहायक प्राध्यापक की शासकीय सेवा में अंतर राज्य प्रतिनियुक्ति का सुसंगठित अपराध ,की व्यू रचना शुरू कर दी थी। वारासिवनी स्थित कृषि कॉलेज के भवन निर्माण के शिलान्यास और उद्घाटन के अवसर पर तत्कालीन कुलगुरु विजय सिंह तोमर को बालाघाट बुला लिया गया। विजय सिंह तोमर जब बालाघाट पहुंचे और पूरे एक दिन रेस्ट हाउस में रुके, तब गौरी शंकर बिसेन ने कुलगुरु वीएस तोमर को यह बता दिया कि अगला कुलगुरु कृषि विश्वविद्यालय जबलपुर में मेरा भाई पीके बिसेन बन रहा है। कुलगुरु वीएस तोमर को वारासिवनी में कृषि मंत्री गौरीशंकर बिसेन ने यह भी बता दिया कि आपको मेरी बहू और शरद की पत्नी धारणा की अशासकीय सेवा से शासकीय सेवा में अंतरराज्यीय प्रतिनियुक्ति करना है। इसके एवज/बदले में मेरी (गौरी शंकर बिसेन की) तत्कालीन केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर से बातचीत हो गई है । आपको नए-नए खुले ग्वालियर के कृषि विश्वविद्यालय में वाइस चांसलर का मौका दिया जाएगा। वीएस तोमर समझ गए, वीएस तोमर ने कृषि मंत्री गौरीशंकर बिसेन की मंशा के अनुरूप महाराष्ट्र के गोंदिया जिले स्थित अशासकीय धोते बंधु साइंस कॉलेज

मैं कथित अशासकीय सहायक प्राध्यापक जूलॉजी धरना बिसेन का सादे कागज पर आवेदन 19. 10 .2016 प्राप्त किया और प्रशासनिक परिषद की 166 में बैठक 217 2017 में 2 वर्ष की अस्थाई प्रति नियुक्ति के अनुमोदन का प्रस्ताव पारित किया। इसके बाद धारणा बिसेन पति शरद बिसेन, की प्रतिनियुक्ति का आदेश 16 .8. 2017 तत्कालीन रजिस्टर अशोक कुमार इंग्ले ने निकाल दिया। उसे वक्त कृषि कॉलेज तहसील वारासिवनी जिला बालाघाट में बहुत ही ईमानदार और शासकीय सेवा के प्रति समर्पित गौतम जी सबसे बड़ी बाधा बनकर खड़े थे।

क्योंकि गौरीशंकर बिसेन के भाई पीके बिसेन कृषि विश्वविद्यालय में डीएसडब्ल्यू अर्थात कल्याण और डीन फैकेल्टी की जिम्मेदारी संभाल रहे थे, भाजपा सरकार होने के कारण प्रभाव में थे। कुलगुरु वीएस तोमर उनके डॉक्टर प्रदीप कुमार बिसेन के इशारे पर नाच रहे थे इसीलिए सब आसान हो गया। सबसे पहले ईमानदार अधिकारी और डीन श्री गौतम को हटाया गया। श्री गौतम के स्थान पर अत्यंत चरित्रहीन और यौन उत्पीड़न के कई प्रकरणों - शिकायत और जांच का सामना कर रहे बिहार के पटना निवासी विजय बहादुर उपाध्याय को ट्रांसफर पर बालाघाट भेज दिया।

विजय बहादुर उपाध्याय के खिलाफ बाहर से आने वाली रिसर्च स्कॉलर, पीएचडी करने वाली साइंटिस्ट और वैज्ञानिक से हम बिस्तर होने की मांग की गई। 3 माह की दूध मुही बच्चों को लेकर बाहरी प्रदेश से रिसर्च स्कॉलर महिला ने इस मामले से पूरी तरह इनकार करते हुए लिखित में शिकायत है सभी स्तर पर भेजें और जबलपुर हाईकोर्ट में भी प्रकरण लगा दिया। ऐसे कई यौन उत्पीड़न के आरोप की विभागीय जांच मैं क्लीन चिट पाने के लिए विजय बहादुर उपाध्याय बेताब था। हादस्थता छात्र कल्याण अर्थात डीएसडब्ल्यू पीके बिसेन के पास विजय बहादुर उपाध्याय की जांच लंबित थी। योजना के तहत सबसे पहले डीएसडब्ल्यू पी के बिसेन ने पूरे प्रदेश में कृषि कॉलेज बालाघाट को नंबर एक पर लाने वाले डॉक्टर गौतम को हटाकर विजय बहादुर उपाध्याय को बालाघाट भेज दिया।

अंधा क्या चाहे दो आंख, विजय बहादुर उपाध्याय को वफादारी दिखाने का मौका मिला, चापलूसी करने का मौका मिला, यौन उत्पीड़न के गंभीर मामलों की विचाराधीन जांच से से बच निकलने का रास्ता दिखाई दिया।

विजय बहादुर उपाध्याय ने 25 अगस्त 2017 को धरना बिसेन को सहायक प्राध्यापक के पद पर प्रतिनियुक्ति आदेश 16. 8. 2017 अनुसार कार्यभार सौंप दिया।

डीएसडब्ल्यू पीके बिसेन ने अपने पुत्र शरद की पत्नी धरना विषय की पूरी तरह विधि विरुद्ध , बोगस अंतरराज्यीय प्रतिनियुक्ति के पांसे बालाघाट से जबलपुर तक बैठा दिए थे। बालाघाट निवासी लिपिक प्रशांत श्रीवास्तव को सहायक कुलसचिव विधि/गोपनीय/बैठक के पद पर कृषि विश्वविद्यालय जबलपुर ले आया गया था। रजिस्टर अशोक कुमार इंग्ले भी बालाघाट के ही निवासी थे। वारासिवनी कटंगी निवासी राकेश बोरकर को पीए टू रजिस्टर बनाकर कुलसचिव कार्यालय में पदस्थ कर दिया था। केवीके के नरसिंहपुर मैं पदस्थ वैज्ञानिक जबलपुर के जेडीए बाजना मठ निवासी प्रशांत श्रीवास्तव को स्थापना एक का सहायक कुल सचिव और अनुभाग अधिकारी बनकर लाया गया।

गोटियां सब बैठ गई थी, भविष्य में कुलगुरु बनने की प्रत्याशा में तत्कालीन डीन फैकेल्टी पीके मिश्रा पूरी तरह शरण में और नतमस्तक थे। पीके मिश्रा अगस्त 2015 से लेकर दिसंबर 2019 तक फैकल्टी के पद पर पदस्थ होने के कारण विश्वविद्यालय अधिनियम के अनुसार चयन समिति के अध्यक्ष और सर्वेसर्वा थे। विश्वविद्यालय अधिनियम के अनुसार डीन फैकेल्टी और डीन डीएसडब्ल्यू विश्वविद्यालय में किसी भी चयन के लिए कमेटी के अध्यक्ष और स्कोर कार्ड कमेटी के अध्यक्ष, अर्थात पदेन अध्यक्ष होते हैं। इन दो लोगों के हस्ताक्षर के बिना किसी भी उम्मीदवार का स्कोर कार्ड और नियुक्ति का आदेश जारी नहीं होता है।

इस तरह वर्ष 2017-18 मैं पूर्व कुलगुरु विजयसिंह तोमर का कार्यकाल पूरा हुआ और नए कुलगुरु कृषि मंत्री गौरी शंकर बिसेन के भाई डॉक्टर प्रदीप कुमार बिसेन बन गए।

प्रदीप कुमार बिसेन ने कुलगुरु का पदभार ग्रहण करते ही, युद्ध स्तर पर सबसे पहले अपने सगे बेटे अर्थात रक्त संबंधी बेटे शरद की बहू धारणा को समविलियन अर्थात मर्ज करने की कार्रवाई शुरू कर दी।

कुलगुरु पीके बिसेन को अपनी बहू धरना का संविलियन करने की इतनी जल्दी थी की पीके बिसेन ने प्रति नियुक्ति के लिए अत्यंत अनिवार्य शर्त न्यूनतम 2 वर्ष की प्रति नियुक्ति समाप्त होने की प्रतीक्षा नहीं की और 11 माह बाद ही समविलियन का प्रस्ताव ले आए।




(बालाघाट से विजय बहादुर उपाध्याय द्वारा जबलपुर भेजे गए संविलियन के पत्र और प्रस्ताव 23. 3. 2018 में शुद्ध धोखाधड़ी, साशय फ़ेरफार और सामूहिक सुसंगठित सुविचारीत कूटरचना और कदाचरण है इस पर हम बाद में कूटरचना, कदाचरण, धोखाधड़ी का विश्लेषण करेंगे, जिसमें हम वर्तमान कुलगुरु पीके मिश्रा बालाघाट के दिन बीवी उपाध्याय और जबलपुर में सहायक कुल सचिव बैठक विधि प्रशांत श्रीवास्तव की चमत्कारी इस कार्यशैली और धांधली बताएंगे।)

इस जल्दबाजी में धरना बिसेन से हवा में ही एक संविलियन का आवेदन 5. 4 . 2018 पैदा करवा लिया गया। इस आवेदन पर बालाघाट से लेकर जबलपुर में किसी भी अधिकारी की कोई आवक जावक और टीप दर्ज नहीं होने से स्पष्ट है कि पीके मिश्रा के नाम प्राप्त किया गया यह आवेदन पूरी तरह बोगस झूठा और गलत है।

यह आवेदन सीधे सहायक कुलसचिव बैठक प्रशांत श्रीवास्तव के हाथ में पहुंचा। प्रशांत ने प्रशासनिक परिषद की 171 में बैठक 7. 4. 2018 में संविलियन आवेदन 5. 4. 2018 को प्रस्तुत करके अनुमोदन प्राप्त किया। और विश्वविद्यालय के प्रमंडल की 221 में बैठक 11. 4 .2018 को अशासकीय कॉलेज की सहायक प्राध्यापक धरना रामकिशोर टेंपर बिसेन का मध्य प्रदेश की शासकीय सेवा में अंतरराज्यीय संविलयन कर दिया गया।

अंतर राज्य अशासकीय सेवा की शासकीय सेवा में संविलियन करने की प्रमंडल की 221 बैठक मैं वित्तमंत्री तरुण भनोट नहीं पहुंचे लेकिन विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम के हस्ताक्षर मौजूद है। इसके बाद बहुत धीमी गति से जैसा कि सरकारी कार्य पद्धति होती है संविलियन आदेश की फाइल चलती चली गई और लगभग 7 माह बाद सम्मेलन का आदेश 5 .10. 2018 रजिस्टर अशोक कुमार इंग्ले ने जारी किया।

अंतर राज्य अशासकीय सेवक की शासकीय सेवा में प्रतिनियुक्ति और संविलियन में वर्तमान कुलगुरु पीके मिश्रा कितनी गंभीरता से शामिल है । पूरे देश में अत्यंत दुर्लभ प्रकृति की धोखाधड़ी छल कपट पर अगले अंक में चर्चा करेंगे। नागपुर, गोंदिया, बालाघाट, जबलपुर और भोपाल की संलिप्तता के हर चरण का खुलासा करेंगे।


क्रमशः -------------