********* मेरा जबलपुर **********
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चिराग लेकर दिन में कोई ढूंढे
नहीं मिलेगा ऐसा जबलपुर
मेरा जबलपुर मेरा जबलपुर
कहीं झांक रही गिट्टी सड़कों से
धूल और गड्ढे इसकी शान ।
दुर्घटना से घायल होवे
या फिर निकले किसी की जान ।
बेशर्मी की चादर तान
सोता प्रशासन बंद है कान ।
चिराग लेकर दिन में कोई ढूंढे - -
जब जी चाहे खोदें सड़कें
जनता चाहे कितना भी भड़के
रातोंरात खुद जाता है गड्ढा
भले ही टूटे किसी का हड्डा
चाहे कहीं भी बनाते ब्रेकर
नेता जी का हरदम फेवर ।
चिराग लेकर दिन में कोई ढूंढे - - -
कहीं पे दिन भर पानी बहता
फुर्सत नहीं कोई किसी से कहता
दिन भर खंभे में बिजली जलती
काहे किसी को ये बात न खलती ?
गर प्रयास करना जो चाहे
इन फिजूल खर्चों को बंद
कानाफूसी होती है पीछे
क्यों करता है बे ये सब दंदफंद ?
चिराग लेकर दिन में कोई ढूंढे - - -
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डॉ मन्तोष भट्टाचार्य
मदर टेरेसा नगर
जबलपुर ( म.प्र )