आज भास्कर,भोपाल । भ्रष्टाचार पर रोक लगाने के लिए मप्र सरकार ने एक अनोखी पहल शुरू की है। इसमें अगर कोई भी सरकारी कर्मचारी रिश्वत मांगता है। वहीं अगर पीडि़त के पास रिश्वत देने के लिए पैसे नहीं हैं तो उसे सरकार पैसे देगी। सरकार रिश्वत की मांग करने वाले सरकारी अधिकारियों को पकड़वाने के लिए ट्रैप मनी के रूप में 45 से 50 लाख रुपए का रिवॉल्विंग फंड बनाएगी। बता दें कि अभी मप्र में किसी भ्रष्ट अधिकारी को पकड़वाने के लिए पीडि़त को ही पैसे का इंतजाम करना पड़ता है। वहीं कई बार पीडि़त पैसों का जुगाड़ नहीं कर पाता है तो विजिलेंस को अधिकारियों को ट्रैप करने में परेशानी होती है। वहीं अगर ट्रैप मनी फंड बनने के बाद रिश्वत के पैसे के लिए पीडि़त को परेशानी नहीं उठानी पड़ेगी। गौरतलब है कि अभी जब लोकायुक्त किसी की शिकायत पर रिश्वतखोर अधिकारी-कर्मचारी को ट्रैप करती है तो घूस की जो रकम दी जाती है, वह केस खत्म होने पर ही आपको वापस मिलेगी। इसमें 5 से 7 साल भी लग जाते हैं। प्रदेश में इस साल लोकायुक्त के हत्थे चढ़े 130 भ्रष्टाचारियों के फेर में पीडि़तों के 75 लाख रुपए फंसे हैं। लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। भ्रष्टों की मांग पर अब आपको जेब से पैसा नहीं निकालना होगा। यह फंड सरकार देगी। इसके लिए रिवॉल्विंग फंड होगा। दरअसल, यदि कोई अफसर रिश्वत में मांगता है तो शिकायतकर्ता को भरोसा दिया जाता है कि जो रकम वह घूस में देगा, वह लौटा दी जाएगी। भ्रष्टों को पकडऩे के बाद रिवॉल्विंग फंड से शिकायतकर्ता को वह राशि लौटाई जाती है। जब केस का निराकरण होता है, तब घूस की रकम कोर्ट से रिलीज करा एजेंसियां फंड में रख लेती हैं।
आज भास्कर,भोपाल । भ्रष्टाचार पर रोक लगाने के लिए मप्र सरकार ने एक अनोखी पहल शुरू की है। इसमें अगर कोई भी सरकारी कर्मचारी रिश्वत मांगता है। वहीं अगर पीडि़त के पास रिश्वत देने के लिए पैसे नहीं हैं तो उसे सरकार पैसे देगी। सरकार रिश्वत की मांग करने वाले सरकारी अधिकारियों को पकड़वाने के लिए ट्रैप मनी के रूप में 45 से 50 लाख रुपए का रिवॉल्विंग फंड बनाएगी। बता दें कि अभी मप्र में किसी भ्रष्ट अधिकारी को पकड़वाने के लिए पीडि़त को ही पैसे का इंतजाम करना पड़ता है। वहीं कई बार पीडि़त पैसों का जुगाड़ नहीं कर पाता है तो विजिलेंस को अधिकारियों को ट्रैप करने में परेशानी होती है। वहीं अगर ट्रैप मनी फंड बनने के बाद रिश्वत के पैसे के लिए पीडि़त को परेशानी नहीं उठानी पड़ेगी। गौरतलब है कि अभी जब लोकायुक्त किसी की शिकायत पर रिश्वतखोर अधिकारी-कर्मचारी को ट्रैप करती है तो घूस की जो रकम दी जाती है, वह केस खत्म होने पर ही आपको वापस मिलेगी। इसमें 5 से 7 साल भी लग जाते हैं। प्रदेश में इस साल लोकायुक्त के हत्थे चढ़े 130 भ्रष्टाचारियों के फेर में पीडि़तों के 75 लाख रुपए फंसे हैं। लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। भ्रष्टों की मांग पर अब आपको जेब से पैसा नहीं निकालना होगा। यह फंड सरकार देगी। इसके लिए रिवॉल्विंग फंड होगा। दरअसल, यदि कोई अफसर रिश्वत में मांगता है तो शिकायतकर्ता को भरोसा दिया जाता है कि जो रकम वह घूस में देगा, वह लौटा दी जाएगी। भ्रष्टों को पकडऩे के बाद रिवॉल्विंग फंड से शिकायतकर्ता को वह राशि लौटाई जाती है। जब केस का निराकरण होता है, तब घूस की रकम कोर्ट से रिलीज करा एजेंसियां फंड में रख लेती हैं।