आज भास्कर, भोपाल। एमपी के संजय टाइगर रिजर्व के माड़ा के जंगल के आसपास के गांव में घूमने के दौरान ग्रामीणों से बात हुई। ग्रामीणों ने बताया कि पिछले कुछ दिनों से कुछ नए चेहरे देखने को मिले हैं। ये लोग कौन है, कहां से आए हैं, हमें नहीं पता। ये इंटेलिजेंस ब्यूरो के एक अफसर की रिपोर्ट के अंश हैं जो पिछले दिनों केंद्र सरकार को दी गई है। अफसर ने ये भी लिखा कि आशंका इस बात की है कि ये नक्सली हैं, जो छत्तीसगढ़ से भागकर मप्र की सीमा में दाखिल हुए हैं। दरअसल, इसी रिपोर्ट के आधार पर मप्र सरकार ने पिछले दिनों केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के साथ हुई बैठक में सीआरपीएफ की दो बटालियन की मांग की है। सीधी-सिंगरौली के जंगल से सटा माड़ा का जंगल नक्सलियों का नया ठिकाना है। इससे पहले वे कान्हा के रास्ते बालाघाट, मंडला और डिंडौरी में दाखिल होते रहे हैं। आखिर नक्सलियों ने माड़ा के जंगल को सेफ जोन क्यों बनाया है, सुरक्षा बल इससे निपटने के लिए क्या रणनीति बना रहे हैं?
आज भास्कर, भोपाल। एमपी के संजय टाइगर रिजर्व के माड़ा के जंगल के आसपास के गांव में घूमने के दौरान ग्रामीणों से बात हुई। ग्रामीणों ने बताया कि पिछले कुछ दिनों से कुछ नए चेहरे देखने को मिले हैं। ये लोग कौन है, कहां से आए हैं, हमें नहीं पता। ये इंटेलिजेंस ब्यूरो के एक अफसर की रिपोर्ट के अंश हैं जो पिछले दिनों केंद्र सरकार को दी गई है। अफसर ने ये भी लिखा कि आशंका इस बात की है कि ये नक्सली हैं, जो छत्तीसगढ़ से भागकर मप्र की सीमा में दाखिल हुए हैं। दरअसल, इसी रिपोर्ट के आधार पर मप्र सरकार ने पिछले दिनों केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के साथ हुई बैठक में सीआरपीएफ की दो बटालियन की मांग की है। सीधी-सिंगरौली के जंगल से सटा माड़ा का जंगल नक्सलियों का नया ठिकाना है। इससे पहले वे कान्हा के रास्ते बालाघाट, मंडला और डिंडौरी में दाखिल होते रहे हैं। आखिर नक्सलियों ने माड़ा के जंगल को सेफ जोन क्यों बनाया है, सुरक्षा बल इससे निपटने के लिए क्या रणनीति बना रहे हैं?