Jabalpur News: भविष्य की चमत्कृत करने वाली तकनीक देख रोमांचित हुए विद्यार्थी - Aajbhaskar

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Thursday, November 21, 2024

Jabalpur News: भविष्य की चमत्कृत करने वाली तकनीक देख रोमांचित हुए विद्यार्थी

  • रादुविवि एकात्म भवन में आयोजित चार दिवसीय प्लाज्मा प्रदर्शनी के तीसरे दिन लगभग पांच सौ छात्र-छात्राओं ने किया प्रदर्शित मॉडल्स का अवलोकन

आज भास्कर,जबलपुर ।
रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय में प्लाज्मा अनुसंधान संस्थान के आउटरीच डिवीजन द्वारा माननीय कुलगुरु प्रो राजेश कुमार वर्मा के दिशा निर्देशन में आयोजित चार दिवसीय प्लाज्मा प्रदर्शनी में बुधवार को तीसरे दिन विभिन्न शैक्षणिक संस्थानों के लगभग पांच सौ छात्र-छात्राओं प्रदर्शनी का अवलोकन किया। यहां मौजूद 19 प्लाज्मा प्रदर्शों से वैज्ञानिकों एवं वॉलेंटेयर ने उन्हें अवगत कराया तो, भविष्य की चमत्कृत करने वाली तकनीक को देख सभी विद्यार्थी खासे रोमांचित हुए।

प्रर्दशनी के तीसरे दिन सरस्वती शिशु विद्या मंदिर आधारताल, लिटिल वल्र्ड विद्यालय तिलवारा, सेंट. अलायसिस विद्यालय रिमझा, शासकीय महाकौशल विद्यालय, शासकीय विज्ञान महाविद्यालय, जबलपुर इंजीनियरिंग महाविद्यालय, नचिकेता महाविद्यालय एवं श्री राम प्रौद्योगिकी संस्थान जबलपुर से बड़ी संख्या में विद्यार्थी एवं शिक्षक रादुविवि पहुंचे। प्लाज्मा प्रर्दशनी में मुख्य संयोजक प्रो. राकेश बाजपेयी एवं सह समन्वयक डॉ. राजेंद्र कुमार दुबे एवं प्लाज्मा अनुसंधान संस्थान, गांधीनगर गुजरात के वैज्ञानिक चेतन जरीवाला, मनु बाजपेई , हर्षा मछर एवं राहुल लाड की महती भूमिका रही। इस अवसर पर श्री एसएन बागची, डॉ. जया बाजपेई, डॉ. प्रदीप दुबे, आरके एलोनी, डॉ. देवेंद्र कुमार पांडेय, डॉ. रिंकेश भट्ट एवं डॉ. पल्लवी शुक्ला की विशेष उपस्थिति रही। प्लाज्मा प्रदर्शनी में सर्वाधिक चर्चा में रहे मॉडल्स निम्नलिखित हैं।

क्या है प्लाज्मा नाइट्राइडिंग-

प्लाज्मा नाइट्राइडिंग एक उन्नत सतह उपचार प्रक्रिया हैं, जिसका उपयोग धातु के हिस्सों विशेष रूप से स्टील की कठोरता घिसाव प्रतिरोध और संक्षारण प्रतिरोध में सुधारने के लिए किया जाता है। यह गैस नाइट्राइडिंग का एक प्रकार हैए लेकिन इसमें अंतर यह है कि इसमें सिर्फ गर्न गैसों की बजाय प्लाज्मा (आयनित गैस) का उपयोग किया गया जाता है जो प्रक्रिया पर बेहतर निमंत्रण प्रदान करता है और सतह उपचार में अधिक समानता लाता है। प्लाज्मा नाइट्राइडिंग एक प्रक्रिया है जिसमें नाइट्रोजन गैस की आपनित करके धातु की सतह पर नाइट्राइड्स का निर्माण किया जाता है। इसका प्रयोग आयरन या स्टील की सतह को को कठोर व सत्म करने के लिए किया जाता है इसका प्रभाग डी रूम कंम्पनियों द्वारा भी किया जाता है।

हेलिकॉन प्लाज्मा थ्रस्टर-

प्लाज्मा प्रदर्शनी में कार्यरत छात्र हाफिजुर रहमान एवं छात्रा कृतिका श्रीवास्तव ने हेलिकॉन प्लाज्मा थ्रस्टर नामक प्रदर्श की जानकारी देते हुए बताया कि यह थ्रस्टर रेडियो आवृत्ति में कार्य करने वाला उपकरण है। इसी के साथ ड्यूटीरियम, जेनॉन एवं ऑर्गन जैसी अक्रिय गैसों के उपयोग से इसकी लागत क्षमता कम होने के साथ ही दक्षता में 20 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी देखी गई है। इसका उपयोग अंतरिक्ष यान के प्रणोदन उपकरण के रूप में आगे आने वाले समय में अंतरिक्ष यात्रा में किया जाने वाला है।

प्लाज्मा फॉर पर्सनल ग्रूमिंग-

प्लाज्मा तकनीक व्यक्तिगत सौंदर्य और ग्रूमिंग के क्षेत्र में तेजी से लोकप्रिय हो रही है । यह त्वचा और बालों की देखभाल में प्रभावी और उन्नत विकल्प प्रदान करती है । इसमें त्वचा पर नियंत्रित उर्जा का उपयोग करके कोलीजेन उत्पादन को बढ़ावा दिया जाता है, जिससे झुर्रियां, दाग, धब्बे और ढीली त्वचा में सुधार होता है। प्लाज्मा पेन या यंत्र का उपयोग करके प्लास्मा की ऊपरी परतों का इलाज किया जाता है, जिससे त्वचा निखार और ऊर्जा पूर्ण दिखती है । यह एक गैर शल्य चिकित्सा प्रक्रिया है जो दर्द रहित और तेज परिणाम देती है।

इंटरनेशनल थर्मोन्यूक्लियर एक्सपेरिमेंटल रिएक्टर मॉडल-

‘इटर’ एक मेगा प्रोजेक्ट है इसका पूरा नाम इंटरनेशनल थर्मोन्यूक्लियर एक्सपेरिमेंटल रिएक्टर है। सूर्य का तापमान 15 लाख डिग्री सेंटीग्रेड होता है पर श्इटरश् का तापमान 150 लाख डिग्री सेंटीग्रेड होता है। यह 7 देश के द्वारा बनाया जा रहा है उसमें से भारत भी एक देश है रूस, चीन, यूरोपीय नेशनस, साउथ कोरिया, जापान के द्वारा बनाया जा रहा है। इसका उपयोग प्लाज्मा से बनाई हुई ऊर्जा का उपयोग कर नाभिकीय संलयन प्रक्रिया में करते हैं। भविष्य में, प्रदूषण मुक्त विद्युत ऊर्जा का उपयोग इस प्रक्रिया से किया जा सकेगा।

प्लाज्मा टॉर्च टेक्सटाइल और प्लास्टिक पर पैटर्निंग-

प्लाज्मा टॉर्च टेक्सटाइल और प्लास्टिक पर पैटर्निग के लिए एक उन्नत तकनीक है। इसमे एक उच्च ऊर्जा वाले प्लाज्मा कोएगैस के माध्यम से उत्पन्न किया जाता है। जो सामग्री की सतह को संशोधित करता है। इस प्रक्रिया से सतह की संरचना बदल जाती है। जिससे रंगाई, मुद्रण और पैटर्निंग के लिए बेहतर अवशोषण होता है, साथ ही सामग्री की मजबूती और टिकाऊपन को भी बढ़ाता हैं। इसे फैशन, ऑटोमोटिव और पैकेजिंग उद्योगों में उपयोग किया जाता हैं।

प्रदर्शनी का समापन आज

चार दिवसीय प्लाज्मा प्रदर्शनी का समापन आज विश्वविद्यालय के माननीय कुलगुरु प्रो राजेश कुमार वर्मा की अध्यक्षता में किया गया।