आज भास्कर,जबलपुर। मध्यप्रदेश में शिक्षकों को अब उनके मनपसंद स्कूलों और जिलों में नियुक्ति का अवसर मिलेगा। जबलपुर हाईकोर्ट ने एक अहम फैसले में आदेश दिया है कि राज्य के मेरिटोरियस आरक्षित श्रेणी के प्राइमरी शिक्षकों को उनके चुने हुए स्कूलों में पोस्टिंग दी जाए। यह फैसला हाईकोर्ट की जस्टिस संजीव सचदेवा और जस्टिस विनय सराफ की खंडपीठ ने सुनाया है, जिसमें संबंधित शिक्षकों को मनपसंद स्थान पर नियुक्ति की सुविधा देने का निर्देश दिया गया है।
दरअसल, दो दर्जन से अधिक प्राइमरी शिक्षकों ने याचिका दायर की थी, जिसमें कहा गया कि उच्च मेरिट के बावजूद उन्हें उनकी प्राथमिकता के स्कूल शिक्षा विभाग के बजाय जनजातीय कार्य विभाग के स्कूलों में पदस्थ किया गया, जबकि कम अंक वाले शिक्षकों को उनकी मनपसंद जगह पर पोस्टिंग मिली। याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया कि उच्च मेरिट होने के बावजूद उनके लिए यह स्थिति वरदान के बजाय अभिशाप बन गई।
हाईकोर्ट के फैसले के अनुसार, मेरिट में उच्च स्थान प्राप्त करने वाले आरक्षित श्रेणी के शिक्षकों को अनारक्षित श्रेणी के अंतर्गत गिना जाएगा, और उन्हें प्राथमिकता के आधार पर चुने हुए स्कूलों में पोस्टिंग दी जाएगी। कोर्ट ने इसके क्रियान्वयन के लिए 30 दिन की समय सीमा तय की है।
हालांकि, राज्य सरकार ने इस फैसले को चुनौती देने के लिए सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका (एसएलपी) दायर करने की योजना बनाई है। सरकार का तर्क है कि आदेश लागू होने पर जनजातीय कार्य विभाग के कई पद खाली हो सकते हैं, जिससे विभाग में शिक्षकों की कमी हो सकती है।