आज भास्कर
*********झोलाछाप *********
कितनी भी सेवा कर लें हम
शासन कहती झोलाछाप
फैली कोरोना छुपे सभी तब
उन दिनों थे हम सबके बाप ।
दर दर भटकते मरीज़ तड़पते
ऐसी थी महामारी की गंध
नामी गिरामी लोगों ने तब
गिराए शटर मोबाइल भी बंद ।
एक बार जो निकले घर से
और पहुंचा वो बड़े अस्पताल
वापस कभी न लौटा घर को
घरवालों का बुरा था हाल ।
ऐसी उस विपदा की घड़ी में
हम जैसे चिकित्सक खड़े रहे
जितना बन पाया उतना ही
करते सेवा सेवा अड़े रहे।
बड़ी स्वार्थी है ये दुनिया
और बड़ी ही अहसान फरामोश
भूल गई वो कोरोना के दिन
आज आया है इनको होश।
कहते सबको बंद करो ये
सब नाकारे झोलाछाप
बड़े बड़े अधिकारियों से बोले
जाओ तुरंत इन्हें पकड़ो आप।