आज भास्कर,जबलपुर : अन्नपूर्णा ज्योतिष संस्थान की ओर से सभी को रक्षाबंधन पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं दी गई हैं। इस वर्ष रक्षाबंधन का पर्व अत्यंत शुभ योगों से युक्त है, क्योंकि रक्षाबंधन के दिन सावन सोमवार और श्रावण पूर्णिमा एक साथ पड़ रहे हैं, जो एक दुर्लभ संयोग है।
रक्षाबंधन की तिथि और भद्रा काल:
रक्षाबंधन का पर्व इस वर्ष 19 अगस्त को मनाया जाएगा। पूर्णिमा तिथि 19 अगस्त को रात्रि 2:12 बजे से प्रारंभ होकर 20 अगस्त रात्रि 12:17 बजे तक रहेगी। 19 अगस्त को पूर्णिमा तिथि के साथ विष्टि करण यानी भद्रा भी दोपहर 1:32 बजे तक रहेगी। चूंकि भद्रा में रक्षाबंधन का पर्व नहीं मनाया जाता, इसलिए भद्रा के उपरांत दोपहर 1:32 बजे से रक्षाबंधन का शुभ मुहूर्त प्रारंभ होगा।रक्षाबंधन का शुभ मुहूर्त:
- दोपहर 01:32 बजे से रात 09:08 बजे तक।
- विशेष मुहूर्त: दोपहर 01:32 बजे से शाम 04:19 बजे तक।
- प्रदोष काल: शाम 06:55 बजे से रात 09:08 बजे तक।
रक्षाबंधन की पौराणिक कथा:
रक्षाबंधन की शुरुआत की पौराणिक कथा राजा बलि और भगवान वामन अवतार से जुड़ी है। जब दानवीर राजा बलि अश्वमेध यज्ञ करा रहे थे, तब भगवान विष्णु ने वामन अवतार लिया और तीन पग में सब कुछ लेकर राजा बलि को पाताल लोक का राज्य दे दिया। भगवान ने बलि पर प्रसन्न होकर वरदान मांगने को कहा। बलि ने भगवान से पहरेदार बनने का वरदान मांगा, जिसे भगवान ने स्वीकार किया और पाताल लोक में पहरेदार बन गए।जब भगवान विष्णु कई दिनों तक वैकुंठ नहीं लौटे, तो देवी लक्ष्मी चिंतित हो गईं। नारद जी के मार्गदर्शन से देवी लक्ष्मी ने श्रावण पूर्णिमा के दिन राजा बलि को राखी बांधकर भाई बना लिया और दक्षिणा में भगवान विष्णु को मांग लिया। राजा बलि ने अपना सेवक यानी भगवान विष्णु को देवी लक्ष्मी को दे दिया। तभी से रक्षाबंधन का पर्व शुरू हुआ, जो भाई-बहन के प्रेम और सुरक्षा का प्रतीक बन गया।
रक्षाबंधन के दौरान "येन बद्धो राजा बलि..." मंत्र का उच्चारण भी इसी पौराणिक कथा से जुड़ा हुआ है, जो सुरक्षा के बंधन की महत्ता को दर्शाता है। इस दिन भाई-बहन एक-दूसरे के प्रति प्रेम, सम्मान और सुरक्षा की भावना रखते हैं।