नई दिल्ली । आगामी लोकसभा चुनाव के मद्देनजर कांग्रेस पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी जहां भारत जोड़ो न्याय यात्रा के दौरान जाति जनगणना की वकालत कर रहे हैं, वहीं कांग्रेस कार्य समिति के सदस्य और वरिष्ठ नेता आनंद शर्मा ने मल्लिकार्जुन खड़गे को पत्र लिखकर जाति जनगणना कराने के लिए पार्टी के आक्रामक अभियान पर सवाल उठाए हैं। पूर्व केंद्रीय मंत्री शर्मा ने पत्र में लिखा है कि पार्टी कभी भी पहचान की राजनीति में शामिल नहीं हुई और न ही इसका समर्थन किया है। उन्होंने अपने पत्र में इंदिरा गांधी हवाला देकर कहा है कि 1980 के लोकसभा चुनावों में उनका नारा था ना जात पर, न पात पर, मोहर लगेगी हाथ पर और सितंबर 1990 में राजीव गांधी ने लोकसभा में चर्चा के दौरान भाषण देकर कहा था कि, अगर हमारे देश में जातिवाद को स्थापित करने के लिए जाति को परिभाषित किया जाता है तब हमें समस्या है...कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शर्मा का कहना है कि गठबंधन में वे दल भी शामिल हैं जिन्होंने लंबे समय से जाति-आधारित राजनीति की है। हालांकि, सामाजिक न्याय पर कांग्रेस की नीति भारतीय समाज की जटिलताओं की परिपक्व और समझ पर आधारित है। राष्ट्रीय आंदोलन के नेता उन लोगों को मुक्ति दिलाने के लिए दृढ़ता से प्रतिबद्ध थे, जिन्होंने ऐतिहासिक रूप से भेदभाव का सामना किया था। जैसा कि संविधान में निहित है कि सकारात्मक कार्रवाई अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षण का प्रावधान करती है। यह भारतीय संविधान निर्माताओं के सामूहिक ज्ञान को दर्शाता है। दशकों बाद ओबीसी को एक विशेष श्रेणी के रूप में शामिल किया गया और तदनुसार आरक्षण का लाभ दिया गया।
कांग्रेस नेता शर्मा ने कहा कि जाति जनगणना न रामबाण हो सकती है और न ही बेरोजगारी और मौजूदा असमानताओं का समाधान हो सकती है। उन्होंने कहा कि विभाजनकारी एजेंडा, लैंगिक न्याय के मुद्दे, बेरोजगारी, मुद्रास्फीति और बढ़ती असमानता कांग्रेस, उसके गठबंधन सहयोगियों और प्रगतिशील ताकतों की साझा चिंताएं हैं। उन्होंने कहा है कि भले ही जाति भारतीय समाज की एक वास्तविकता है, लेकिन कांग्रेस कभी भी पहचान की राजनीति में शामिल नहीं हुई है और न ही इसका समर्थन करती है। शर्मा ने पत्र में लिखा कि मेरी विनम्र राय में इस इंदिरा जी और राजीव जी की विरासत का अपमान माना जाएगा।