भोपाल । अप्रैल-मई में प्रस्तावित लोकसभा चुनाव की तैयारी में जुटी कांग्रेस अब बूथ सम्मेलन करेगी। इसे भारतीय जनता पार्टी द्वारा प्रदेश में चलाए जा रहे गांव चलो अभियान का जवाब माना जा रहा है। विधानसभा के बजट सत्र के बाद इसकी शुरुआत होगी। इसमें युवा कांग्रेस, महिला कांग्रेस, सेवादल समेत पार्टी के अन्य संगठन मतदान केंद्र स्तर पर सम्मेलन करेंगे और विधानसभा चुनाव के समय भाजपा ने जो वादे किए थे, उनका सच बताएंगे। साथ ही बूथ, मंडलम और सेक्टर समितियों के पदाधिकारी मतदाता संपर्क अभियान चलाएंगे।प्रदेश कांग्रेस लोकसभा चुनाव के लिए कार्यकर्ताओं को सक्रिय करने के लिए विधानसभा स्तर पर सम्मेलन कर चुकी है। इसमें संभावित प्रत्याशियों से लेकर आगामी चुनाव की तैयारी मतदान केंद्र स्तर पर करने के निर्देश दिए गए थे। अब पार्टी ने तय किया है कि जिस तरह भाजपा गांव-गांव में संपर्क अभियान चला रही है, उसी तरह मतदान केंद्र स्तर पर सम्मेलन किए जाएं। इसमें लोगों को बताया जाए कि भाजपा ने विधानसभा चुनाव के समय जो वादे किए थे, सत्ता में आने पर उन पर कोई काम नहीं किया। न तो धान का मूल्य प्रति क्विंटल 3,100 और गेहूं का 2,700 रुपये प्रति क्विंटल देने की कोई पहल की गई और न ही महिलाओं को 450 रुपये में रसोई गैस सिलेंडर देने की दिशा में कोई कदम उठाया।
भोपाल । अप्रैल-मई में प्रस्तावित लोकसभा चुनाव की तैयारी में जुटी कांग्रेस अब बूथ सम्मेलन करेगी। इसे भारतीय जनता पार्टी द्वारा प्रदेश में चलाए जा रहे गांव चलो अभियान का जवाब माना जा रहा है। विधानसभा के बजट सत्र के बाद इसकी शुरुआत होगी। इसमें युवा कांग्रेस, महिला कांग्रेस, सेवादल समेत पार्टी के अन्य संगठन मतदान केंद्र स्तर पर सम्मेलन करेंगे और विधानसभा चुनाव के समय भाजपा ने जो वादे किए थे, उनका सच बताएंगे। साथ ही बूथ, मंडलम और सेक्टर समितियों के पदाधिकारी मतदाता संपर्क अभियान चलाएंगे।प्रदेश कांग्रेस लोकसभा चुनाव के लिए कार्यकर्ताओं को सक्रिय करने के लिए विधानसभा स्तर पर सम्मेलन कर चुकी है। इसमें संभावित प्रत्याशियों से लेकर आगामी चुनाव की तैयारी मतदान केंद्र स्तर पर करने के निर्देश दिए गए थे। अब पार्टी ने तय किया है कि जिस तरह भाजपा गांव-गांव में संपर्क अभियान चला रही है, उसी तरह मतदान केंद्र स्तर पर सम्मेलन किए जाएं। इसमें लोगों को बताया जाए कि भाजपा ने विधानसभा चुनाव के समय जो वादे किए थे, सत्ता में आने पर उन पर कोई काम नहीं किया। न तो धान का मूल्य प्रति क्विंटल 3,100 और गेहूं का 2,700 रुपये प्रति क्विंटल देने की कोई पहल की गई और न ही महिलाओं को 450 रुपये में रसोई गैस सिलेंडर देने की दिशा में कोई कदम उठाया।