
जबलपुर से वरिष्ठ पत्रकार दिग्विजय सिंह की रिपोर्ट
आज भास्कर\जबलपुर. गतांक 14 मे भाजपा सरकार के दिग्गज पंचशील पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह, वर्तमान विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर, पूर्व विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम, पूर्व कृषिमंत्री गौरीशंकर बिसेन, वर्तमान कुलगुरु डॉक्टर प्रमोद कुमार मिश्रा के दामाद और भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बीडी शर्मा ने अशासकीय सेवक की शासकीय सेवा में प्रतिनियुक्ति और संविलियन के प्रकरण को 9 दिन में भोपाल लोकायुक्त पुलिस कार्यालय में दाखिल दफ्तर अर्थात नस्तीबंद कराया, आज इसके तार खोलने की कोशिश करते हैं। धारणा बिसेन की अशासकीय धोटेबंधु साइस कॉलेज गोंदिया से शासकीय राजा भोज कृषि कॉलेज वारासिवनी जिला बालाघाट में 16.08.2017 को नियुक्ति,25. 08 .2017 को पदग्रहण, और 5.10.18 को संविलियन हुआ है।
विशेष स्थापना
के नाम से जांच में लिया गया। इस पूरे मामले की जांच विशेष पुलिस स्थापना लोकायुक्त भोपाल, समाधान भवन में विधि सलाहकार - प्रथम ओंकारनाथ की टेबल पर पहुंच ओमकारनाथ ने मार्च 2023 में तत्कालीन रजिस्ट्रार रेवासिंह सिसोदिया को कथानक दर्ज करने भोपाल बुला लिया। ओंकार नाथ ने 2 मई 23 को धारणा बिसेन को ससुर पीके बिसेन के साथ कथन दर्ज कराने भोपाल भुला लिया। ओंकार नाथ ने धारणा से विश्वविद्यालय अधिनियम के अंतर्गत नियम और परीनियम की प्रतिलिपि हस्तगत कर ली। ढोटे बंधु साइंस कॉलेज गोंदिया शासकीय है या अशासकीय है इस आशय की जानकारी धारणा से और कृषि विश्वविद्यालय जबलपुर से ऑन रिकार्ड हस्तगत करली ।
ओंकारनाथ, विशेष स्थापना पुलिस के प्रथम श्रेणी के प्रथम विधि सलाहकार हैं, बे यह जानते हैं बल्कि इतना सब करने के पूर्व ही वह यह जान गए और समझ गए कि यह कूटरचना , कदआचरण, लाभ के पद पर बैठकर सगे रक्तसंबंधी को लाभ देने हेतु पद का दुरुपयोग, दो राज्यों के पांच जिलो में हुआ अंतरराज्यीय सामूहिक, सुविचारित ,सुनियोजित, सुसंगठित सरकारी षड्यंत्र है ,दांडिक अपराध है। प्रकरण जिला पुलिस बल में जांच के लिए स्थानांतरित करने के स्थान पर ओंकारनाथ नें प्रकरण नस्तीबद्ध अर्थात समाप्त कर दिया। माना कि यह आए से अधिक संपत्ति का मामला नहीं है लेकिन जब विशेष स्थापना पुलिस पुलिस अधीक्षक जबलपुर में 5 अगस्त 2023 को प्रकरण पंजीवद्ध करते हुए अग्रिम कार्रवाई के लिए भोपाल अग्रेषित किया, तभी स्पष्ट हो गया था कि प्रकरण में दम है।
लेकिन समाधान भवन भोपाल में 14 अगस्त 2023 को प्रकरण क्रमांक 226/ई/22-23 बस्तीबद्ध कर दिया गया।
लेकिन इसके बाद विशेष पुलिस स्थापना भोपाल ले जो कुछ भी किया वह और गजब है और इसी वजह से इस पूरे मामले में पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह, वर्तमान विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र तोमर, पूर्व विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम, पूर्व कैसी मंत्री गौरीशंकर बिसेन, और इन सब के बीच उस्तादों के उस्ताद मौसम देखकर गिरगिट की तरह रंग बदलने वाले भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बीडी शर्मा का हाथ होने का प्रभावीं शक पैदा होता है।
मार्च से लेकर मई 23 तक पूरी जांच और प्रकरण का समाप्त कर दिया जाना, इससे साफ संकेत मिलता है कि सामूहिक सुसंगठित षड्यंत्र में पर्दे के पीछे से सभी प्रभावी भाजपा के नेता शामिल है।
अपने कथन को पक्का करने के लिए आर्टिआई क्रमांक 104 /39 दिनांक 09.05.2014 मैं संविलियन की संपूर्ण फाइल का तलाशी ,जाप्ता फॉजदारी की धारा 497 के तहत जापतीनामा 29.12 .2023 संलग्न मिला है।
विशेष स्थापना पुलिस लोकायुक्त भोपाल की ओर से डॉक्टर धारणा की संविलियन की फाइल के 600 भेज का व्यक्ति नाम सब सेक्टर रेखा प्रजापति ने बनाया है।गौर करिए लोकायुक्त पुलिस के विधि सलाहकार प्रथम ने 5 अगस्त 2023 को दर्ज प्रकरण 14 अगस्त 2023 को दाखिल दफ्तर कर दिया। प्रकरण को दाखिल दफ्तर करने के बाद धारणा की मूल संविलियन और प्रतिनियुक्ति की फाइल को साढ़े चार माह बाद भोपाल बुला लिया गया। वर्ष 2023 के बाद वर्ष 2025 लगभग आधा बीता जा रहा है और संविलियन की फाइल कृषि विश्वविद्यालय जबलपुर को वापस नहीं लौट आई गई है।
अर्थात किसी भी जांच के लिए मूल फाइल के अभाव में दिक्कत पैदा करने के लिए प्रभावी राजनैतिक ताकतो ने रोड़े अटकाने का मध्य मार्ग अपनाया है। यह कवायद वास्तव में वर्तमान कुलगुरु और भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष डॉक्टर प्रमोद कुमार मिश्रा को बचाने के लिए कि गई है। क्योंकि कुलगुरु प्रमोद कुमार मिश्रा इसमें सीधे-सीधे शामिल है।लेकिन यह सभी लोग या भूल जाते हैं कि कोई भी फाइल अदालत में लगाए जाने पर अदालत के पास सभी अभिलेख केस के अंदर बुलाने की शक्ति है। वैसे भी वर्तमान कुलगुरु डाक्टर प्रमोद कुमार मिश्रा को फाइल की फाइल गायब कर देने पचा जाने में महारत हासिल है।
सुधीपाठक समझ गए होंगे की मध्य प्रदेश की सत्ता के रिंग मास्टर के कार्यकाल में दो बार भोपाल स्थित सचिवालय और संचनालय की फाइल में आग लगने के दो बड़े कांड हो चुके हैं। लेकिन इसे बड़े कांड को करने वाले यह नहीं समझते कि फाइलें अभी भी कहीं ना कहीं मौजूद है, यदि खोजी पत्रकारिता के अंतर्गत इन फाइलों को निकालने का प्रयास किया जाए तो वह हकीकत सामने आ जाएगी जिसका सामना भाजपा की प्रदेश सरकार और केंद्र में बैठी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार भी नहीं कर पाएगी
यह तो भाजपा के लिए शुक्र की बात है कि विपक्ष केवल अल्पसंख्यक की राजनीति कर रहा है, यदि विपक्षी सबका साथ और सबके विकास की राजनीति करने लगा तो अंदाज और आगाज क्या होगा अनुमान लगाया जा सकता है।
इस खबर में धारणा की संविलियन की फाइल वर्ष 2023 से विशेष स्थापना पुलिस की अलमारी में आज तक बंद रखने के विषय को ऊपर उठाना है।
या सही है कि विषय स्थापना पुलिस लोकायुक्त आए से अधिक आमदनी के प्रकरणों को न्यायालय के सम्मुख प्रस्तुत करता है। और धारणा का मामला को आए से कई गुना अधिक आमदनी के पैमाने पर ही फेल किया गया है। मेरा वर्तमान मुख्यमंत्री मोहन यादव से निवेदन है कि वह इस फाइल को वापस जिला पुलिस बल जबलपुर के हाथ सौंप दें,। सुप्रीम कोर्ट के न्याय दृष्टांतके अनुसार जिंजर किरण में जिन प्रकरण में साक्ष्य उपलब्ध हो तो एफ़ाइआर करने में 14 दिन से ज्यादा का विलंब नहीं लगना चाहिए।