
जबलपुर से पत्रकार दिगविजय सिंह की रिपोर्ट
आज भास्कर: धरना के समविलियन का सामूहिक कूटरचित अभिलेख तैयार करने में सीधे-सीधे शामिल है डॉक्टर प्रमोद कुमार मिश्रा
कुलगुरु डॉक्टर प्रमोद कुमार मिश्रा जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय जबलपुर को लेकर मुझ पर आरोप लगाया गया कि आप जबरदस्ती कुलगुरु डॉक्टर प्रमोद कुमार मिश्रा के पीछे पड़े हो। क्योंकि डॉक्टर प्रमोद कुमार मिश्रा वर्तमान भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बीडी शर्मा के ससुर है और स्तुति के पिता हैं, इसीलिए आप पीछे पड़े हैं।
चर्चा के दौरान मैंने कहा कि ऐसा नहीं है जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय में सगे रक्त संबंधियों को पद का लाभ देने की परंपरा पिछले 15 वर्षों से चल रही है।
सौभाग्य से इस परंपरा का निर्वाह करने वाले सभी कुलपति भारतीय जनता पार्टी से नामित है और भारतीय जनता पार्टी की विचारधारा को पोषित करते हैं।
अभी तक कांग्रेस के कार्यकाल के दौरान का कोई कुलपति मेरी जानकारी में नहीं आया है, यदि ऐसा है तो भी पत्रकारों की जिम्मेदारी है कि वह वस्तुस्थिति को सामने रखें।
पिछले अंक में मैं स्पष्ट कर चुका हूं कि भावी कुलगुरु बनने की प्रत्याशा में वर्तमान कुलगुरु डॉक्टर प्रमोद कुमार मिश्रा ने वह सब कर दिया जो उन्हें नहीं करना था। बालाघाट के मंत्री और केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह के खास गौरी भाऊ की सगी भतीजी बहू शरद की पत्नी कृषि कॉलेज बालाघाट की सहायक प्राध्यापक धारणा रामकिशोर टेमरे बिसेन का ऐसा ही मामला है।
विश्वविद्यालय की प्रशासनिक परिषद और प्रमंडल को नीतिगत विषय में विश्वविद्यालय के अधिकार क्षेत्र में निर्णय लेने का अधिकार विश्वविद्यालय अधिनियम 1964 देता है। धरना का मामला विश्वविद्यालय अधिनियम से बाहर का है, अधिनियम का सीधा उल्लंघन है,।
अधिनियम का उल्लंघन करने वाले बालाघाट के डीन विजय बहादुर उपाध्याय के पत्र और प्रस्ताव 23 3 18 की पूरी पटकथा डॉ प्रमोद कुमार मिश्रा ने लिखी है।
वर्तमान कुलगुरु प्रमोद कुमार मिश्रा ने अशासकीय सेवक की शासकीय सेवा में अंतरराज्य प्रतिनियुक्ति के प्रकरण में अधिनियम का उल्लंघन किया है।
रक्त संबंधियों को सीधे तौर पर विश्वविद्यालय में अपनी उपस्थिति और पद के माध्यम से रक्तसंबंधियों को शासकीय सेवा का लाभ देने के मामले में पूर्व कुलगुरु विजय सिंह तोमर, प्रदीप कुमार बिसेन, प्रमोद कुमार मिश्रा, और तोताराम शर्मा का नाम सामने आया है।
सबसे पहले जो प्रकरण विवेचना में आया वह प्रदीप कुमार बिसेन की बहू डॉक्टर धरना रामकिशोर टेमरे बिसेन का है। इसके बाद वर्तमान कुलगुरु और बीडी शर्मा के ससुर डॉक्टर प्रमोद कुमार मिश्रा और तोताराम शर्मा के प्रकरण जांच में सही पाए जाने पर या आंशिक तौर पर भी यदि दोनों का रक्तसंबंधियों को पद का लाभ देने में पद और प्रभाव का दुरुपयोग सामने आता है तो जांच के पश्चात उजागर किया जाएगा। प्रथमदृष्टया संकेत मिले हैं, इसीलिए मैंने आज इन्हें खबर में शामिल किया है।
आज तेरहवें (१३वें) अंक में प्रशासनिक परिषद की 166 वीं बैठक 21 07 2017 मैं कुलगुरु डॉक्टर प्रमोद कुमार मिश्रा के द्वारा अशासकीय सेवक को शासकीय सेवा में लेने का अनुमोदन करने पर और पूर्व के अंक में स्पष्ट किया है । बालाघाट से प्राप्त संविलियन का पत्र और प्रस्ताव 23 3 2018 को आगे बढ़ाने और प्रशासनिक परिषद की 170 वीं बैठक, और 171 वीं बैठक, के बाद आखिर में प्रजामंडल की 221 में बैठक 11 04 2018 में समस्त झूठे और असत्य तथ्यों को सत्य के रूप में स्वीकार करने में कुलगुरु डॉक्टर प्रमोद कुमार मिश्रा की महिती और प्रत्यक्ष भूमिका है।
यह एवजी, इसीलिए डॉक्टर प्रमोद कुमार मिश्रा ने ढोई है, क्योंकि उन्हें अपनी पुत्री स्तुति का भविष्य संवारना था। साथ में कृषि मंत्री गौरी भाऊ के सहारे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह को साधना था।
यह जग जाहिर था कि अंदरूनी तौर पर शिवराज और बीडी शर्मा की नहीं पटती है।
डॉ प्रमोद कुमार मिश्रा वर्ष 2015 से वर्ष 2019 तकडीन फैकल्टी होने के नाते चयन समिति के पदेन अध्यक्ष होते हैं। दिन फैकल्टी के चयन समिति के पदेन अध्यक्ष होने की स्पष्ट घोषणा विश्वविद्यालय अधिनियम 1964 में दी हुई है। डीन पीके मिश्रा ने चयन समिति के पदेन अध्यक्ष का लाभ का पद पर होकर,सगे रक्तसंबंधियों को पद का लाभ देने का आरोप कुलगुरु डॉक्टर पीके मिश्रा सहित इन सब लोगों पर लगा रहा हूं।
जैसे ही जानकारी जुटेगी काशी विश्वविद्यालय में बेटे बेटियों को सहायक प्राध्यापक बनने के खेल का खुलासा हो जाएगा ।
अशासकीय सेवक की शासकीय सेवा में अंतर प्रांतीय प्रतिनियुक्ति फिर पद ग्रहण और फिर संविलियन के कूट रचित अभिलेख तैयार करने के सामूहिक सुविचारित सुनियोजित षड्यंत्र में सीधे तौर पर शामिल होने का आरोप डॉक्टर प्रमोद कुमार मिश्रा पर है। तदविषयक सभी कूटरचित अभिलेख पर वर्तमान कुलगुरु प्रमोद कुमार मिश्रा ने आगे बढ़कर हस्ताक्षर किए हैं।
सुधीजन इस बात पर विचार करें कि गौरीभाऊ ने अपने भाई और पूर्व कुलपति पी के बिसेन से कितने शातराना अंदाज में प्रतिनियुक्ति के प्रथम दो आवेदन 19 10 2016 और 30 06 2017
कुलसचिव के नाम लिखवाए।और जब कुलसचिव अशोक कुमार इंग्ले से प्रतिनियुक्ति का काम सिद्ध हो गया।
तो सीधे समवलियन की कार्रवाई प्रभावित नहीं हो इसीलिए संविलियन का प्रस्ताव डीन बालाघाट विजय बहादुर उपाध्याय ने कुलसचिव को नहीं भेज कर सीधे डीन फैकल्टी जबलपुर डॉ प्रमोद कुमार मिश्रा के नाम से भेज दिया।
प्रमोद कुमार मिश्रा ने इस पर काउंटर साइन किया और फाइल कुलसचिव की टेबल पर ले जाए बिना , सीधे बालाघाट के मूल निवासी सहायक कुलसचिव प्रशांत श्रीवास्तव के पास भेजी। सहायक कुल सचिव प्रशांत धरना के प्रति शरद का बहुत अच्छा मित्र है। प्रशासनिक परिषद की 171 वीं बैठक 07 04 2018 से होकर संविलियन का प्रस्ताव प्रमंडल की 221वीं बैठक 11 4 18 में पहुंच गया।
प्रशासनिक परिषद की तीन बैठक 166, 170, 171 और प्रमंडल की बैठक 221 का विश्लेषण अगले अंक में पढ़ें । प्रशासनिक परिषद की तीन बैठकों में बालाघाट के मूल निवासी सहायक कुलसचिव प्रशांत श्रीवास्तव ने क्या-क्या ही किया है यह विश्लेषण अगले अंक में देखें।
28 मार्च 2025 अंक 13।
कुलगुरु डॉक्टर प्रमोद कुमार मिश्रा जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय जबलपुर को लेकर मुझ पर आरोप लगाया गया कि आप जबरदस्ती कुलगुरु डॉक्टर प्रमोद कुमार मिश्रा के पीछे पड़े हो। क्योंकि डॉक्टर प्रमोद कुमार मिश्रा वर्तमान भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बीडी शर्मा के ससुर है और स्तुति के पिता हैं, इसीलिए आप पीछे पड़े हैं।
चर्चा के दौरान मैंने कहा कि ऐसा नहीं है जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय में सगे रक्त संबंधियों को पद का लाभ देने की परंपरा पिछले 15 वर्षों से चल रही है।
सौभाग्य से इस परंपरा का निर्वाह करने वाले सभी कुलपति भारतीय जनता पार्टी से नामित है और भारतीय जनता पार्टी की विचारधारा को पोषित करते हैं।
अभी तक कांग्रेस के कार्यकाल के दौरान का कोई कुलपति मेरी जानकारी में नहीं आया है, यदि ऐसा है तो भी पत्रकारों की जिम्मेदारी है कि वह वस्तुस्थिति को सामने रखें।
पिछले अंक में मैं स्पष्ट कर चुका हूं कि भावी कुलगुरु बनने की प्रत्याशा में वर्तमान कुलगुरु डॉक्टर प्रमोद कुमार मिश्रा ने वह सब कर दिया जो उन्हें नहीं करना था। बालाघाट के मंत्री और केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह के खास गौरी भाऊ की सगी भतीजी बहू शरद की पत्नी कृषि कॉलेज बालाघाट की सहायक प्राध्यापक धारणा रामकिशोर टेमरे बिसेन का ऐसा ही मामला है।
विश्वविद्यालय की प्रशासनिक परिषद और प्रमंडल को नीतिगत विषय में विश्वविद्यालय के अधिकार क्षेत्र में निर्णय लेने का अधिकार विश्वविद्यालय अधिनियम 1964 देता है। धरना का मामला विश्वविद्यालय अधिनियम से बाहर का है, अधिनियम का सीधा उल्लंघन है,।
अधिनियम का उल्लंघन करने वाले बालाघाट के डीन विजय बहादुर उपाध्याय के पत्र और प्रस्ताव 23 3 18 की पूरी पटकथा डॉ प्रमोद कुमार मिश्रा ने लिखी है।
वर्तमान कुलगुरु प्रमोद कुमार मिश्रा ने अशासकीय सेवक की शासकीय सेवा में अंतरराज्य प्रतिनियुक्ति के प्रकरण में अधिनियम का उल्लंघन किया है।
रक्त संबंधियों को सीधे तौर पर विश्वविद्यालय में अपनी उपस्थिति और पद के माध्यम से रक्तसंबंधियों को शासकीय सेवा का लाभ देने के मामले में पूर्व कुलगुरु विजय सिंह तोमर, प्रदीप कुमार बिसेन, प्रमोद कुमार मिश्रा, और तोताराम शर्मा का नाम सामने आया है।
सबसे पहले जो प्रकरण विवेचना में आया वह प्रदीप कुमार बिसेन की बहू डॉक्टर धरना रामकिशोर टेमरे बिसेन का है। इसके बाद वर्तमान कुलगुरु और बीडी शर्मा के ससुर डॉक्टर प्रमोद कुमार मिश्रा और तोताराम शर्मा के प्रकरण जांच में सही पाए जाने पर या आंशिक तौर पर भी यदि दोनों का रक्तसंबंधियों को पद का लाभ देने में पद और प्रभाव का दुरुपयोग सामने आता है तो जांच के पश्चात उजागर किया जाएगा। प्रथमदृष्टया संकेत मिले हैं, इसीलिए मैंने आज इन्हें खबर में शामिल किया है।
आज तेरहवें (१३वें) अंक में प्रशासनिक परिषद की 166 वीं बैठक 21 07 2017 मैं कुलगुरु डॉक्टर प्रमोद कुमार मिश्रा के द्वारा अशासकीय सेवक को शासकीय सेवा में लेने का अनुमोदन करने पर और पूर्व के अंक में स्पष्ट किया है । बालाघाट से प्राप्त संविलियन का पत्र और प्रस्ताव 23 3 2018 को आगे बढ़ाने और प्रशासनिक परिषद की 170 वीं बैठक, और 171 वीं बैठक, के बाद आखिर में प्रजामंडल की 221 में बैठक 11 04 2018 में समस्त झूठे और असत्य तथ्यों को सत्य के रूप में स्वीकार करने में कुलगुरु डॉक्टर प्रमोद कुमार मिश्रा की महिती और प्रत्यक्ष भूमिका है।
यह एवजी, इसीलिए डॉक्टर प्रमोद कुमार मिश्रा ने ढोई है, क्योंकि उन्हें अपनी पुत्री स्तुति का भविष्य संवारना था। साथ में कृषि मंत्री गौरी भाऊ के सहारे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह को साधना था।
यह जग जाहिर था कि अंदरूनी तौर पर शिवराज और बीडी शर्मा की नहीं पटती है।
डॉ प्रमोद कुमार मिश्रा वर्ष 2015 से वर्ष 2019 तकडीन फैकल्टी होने के नाते चयन समिति के पदेन अध्यक्ष होते हैं। दिन फैकल्टी के चयन समिति के पदेन अध्यक्ष होने की स्पष्ट घोषणा विश्वविद्यालय अधिनियम 1964 में दी हुई है। डीन पीके मिश्रा ने चयन समिति के पदेन अध्यक्ष का लाभ का पद पर होकर,सगे रक्तसंबंधियों को पद का लाभ देने का आरोप कुलगुरु डॉक्टर पीके मिश्रा सहित इन सब लोगों पर लगा रहा हूं।
जैसे ही जानकारी जुटेगी काशी विश्वविद्यालय में बेटे बेटियों को सहायक प्राध्यापक बनने के खेल का खुलासा हो जाएगा ।
अशासकीय सेवक की शासकीय सेवा में अंतर प्रांतीय प्रतिनियुक्ति फिर पद ग्रहण और फिर संविलियन के कूट रचित अभिलेख तैयार करने के सामूहिक सुविचारित सुनियोजित षड्यंत्र में सीधे तौर पर शामिल होने का आरोप डॉक्टर प्रमोद कुमार मिश्रा पर है। तदविषयक सभी कूटरचित अभिलेख पर वर्तमान कुलगुरु प्रमोद कुमार मिश्रा ने आगे बढ़कर हस्ताक्षर किए हैं।
सुधीजन इस बात पर विचार करें कि गौरीभाऊ ने अपने भाई और पूर्व कुलपति पी के बिसेन से कितने शातराना अंदाज में प्रतिनियुक्ति के प्रथम दो आवेदन 19 10 2016 और 30 06 2017
कुलसचिव के नाम लिखवाए।और जब कुलसचिव अशोक कुमार इंग्ले से प्रतिनियुक्ति का काम सिद्ध हो गया।
तो सीधे समवलियन की कार्रवाई प्रभावित नहीं हो इसीलिए संविलियन का प्रस्ताव डीन बालाघाट विजय बहादुर उपाध्याय ने कुलसचिव को नहीं भेज कर सीधे डीन फैकल्टी जबलपुर डॉ प्रमोद कुमार मिश्रा के नाम से भेज दिया।
प्रमोद कुमार मिश्रा ने इस पर काउंटर साइन किया और फाइल कुलसचिव की टेबल पर ले जाए बिना , सीधे बालाघाट के मूल निवासी सहायक कुलसचिव प्रशांत श्रीवास्तव के पास भेजी। सहायक कुल सचिव प्रशांत धरना के प्रति शरद का बहुत अच्छा मित्र है। प्रशासनिक परिषद की 171 वीं बैठक 07 04 2018 से होकर संविलियन का प्रस्ताव प्रमंडल की 221वीं बैठक 11 4 18 में पहुंच गया।
प्रशासनिक परिषद की तीन बैठक 166, 170, 171 और प्रमंडल की बैठक 221 का विश्लेषण अगले अंक में पढ़ें । प्रशासनिक परिषद की तीन बैठकों में बालाघाट के मूल निवासी सहायक कुलसचिव प्रशांत श्रीवास्तव ने क्या-क्या ही किया है यह विश्लेषण अगले अंक में देखें।
28 मार्च 2025 अंक 13।