
आज भास्कर /इंदौर: सात साल की बच्ची से दुष्कर्म के आरोपी को विभिन्न धाराओं में तीन बार फांसी की सजा सुनाई गई है। न्यायाधीश ने आदेश में लिखा कि यदि ऐसे अपराधी को पॉक्सो एक्ट में उपलब्ध अधिकतम सजा नहीं दी जाती है तो फांसी की सजा के प्रावधान में संशोधन का समाज या यौन उत्पीड़न करने वाले अपराधियों पर कोई असर नहीं होगा। कोर्ट ने आदेश में लिखा कि यदि दुष्कर्म के बाद पीड़िता बच जाती है तो उसके लिए मौत से ज्यादा दुखदायी जीवन है।
ऐसी स्थिति में फांसी की सजा देना उचित होगा। द्वितीय अपर सत्र न्यायाधीश एवं विशेष न्यायालय (पॉक्सो एक्ट) सविता जड़िया ने फैसले में लिखा दुष्कर्मी की मानसिकता को देखते हुए कहा जा सकता है कि वह भविष्य में भी ऐसा अपराध कर सकता है। कोर्ट ने घटना को विरलतम माना है। कोर्ट ने पीड़िता को पांच लाख रुपए मुआवजा दिलाने के लिए डीबीए से अनुशंसा की है।