अधिवक्ता गुप्ता के अनुसार, प्रतिबंध के बावजूद, कई जिलों में क्लोफेनिरामाइन और कोडिन के संयुक्त डोज वाले कफ सिरप का अवैध उत्पादन और विक्रय बदस्तूर जारी है, जिसे युवा नशे के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं। याचिका में स्वास्थ्य विभाग और पुलिस की लापरवाही को इस समस्या का मुख्य कारण बताया गया है।
हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने मामले की सुनवाई करते हुए सीडीएससीओ, नारकोटिक कंट्रोल ब्यूरो और राज्य के पुलिस प्रमुख को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।