जिन नेताओं को मंत्रिपरिषद में फिर शामिल नहीं किया गया है, उसमें वी के सिंह, फग्गन सिंह कुलस्ते, अश्विनी चौबे, रावसाहेब दानवे, साध्वी निरंजन ज्योति, संजीव बालियान, राजीव चंद्रशेखर, सुभाष सरकार, निसिथ प्रमाणिक, राजकुमार रंजन सिंह और प्रतिमा भौमिक शामिल हैं। मीनाक्षी लेखी, मुंजापारा महेंद्रभाई, अजय कुमार मिश्रा, कैलाश चौधरी, कपिल मोरेश्वर पाटिल, भारती प्रवीण पवार, कौशल किशोर, भगवंत खुबा और वी. मुरलीधरन को भी मंत्रिपरिषद में शामिल नहीं किया गया है। नई मंत्रिपरिषद में शामिल नहीं किए गए इन मंत्रियों में से 18 चुनाव हार गए हैं।
एल. मुरुगन पिछली सरकार के एकमात्र राज्य मंत्री हैं, जो चुनाव हारे थे लेकिन उन्हें बरकरार रखा गया है। वे पहले से ही राज्यसभा के सदस्य हैं। मोदी सरकार के दोनों कार्यकालों में कैबिनेट मंत्री रहीं स्मृति ईरानी अमेठी से किशोरी लाल शर्मा से 1.69 लाख से अधिक मतों के अंतर से चुनाव हार गईं। ईरानी पहले कार्यकाल में मानव संसाधन विकास मंत्री और कपड़ा मंत्री थीं जबकि मोदी के दूसरे कार्यकाल में उन्होंने महिला एवं बाल विकास और अल्पसंख्यक मामलों का विभाग संभाला था। पुरुषोत्तम रुपाला पिछली सरकार में मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मामलों के मंत्री थे। रुपाला ने गुजरात की राजकोट लोकसभा सीट से लगभग पांच लाख मतों के रिकॉर्ड अंतर से जीत दर्ज की। मत्स्य पालन मंत्रालय में उनके सहयोगी संजीव कुमार बालियान को भी हटा दिया गया है। मुजफ्फरनगर से दो बार सांसद रहे बालियान इस बार 24,000 से अधिक मतों से चुनाव हार गये थे। हमीरपुर लोकसभा क्षेत्र से लगातार पांचवीं बार जीतने वाले अनुराग ठाकुर ने मोदी के दूसरे कार्यकाल में सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय और युवा मामले एवं खेल मंत्रालय दोनों विभाग संभाले थे।
सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्री रहे नारायण राणे ने रत्नागिरी-सिंधुदुर्ग लोकसभा सीट पर जीत दर्ज की है। यह पहली बार है जब भाजपा ने तटीय कोंकण क्षेत्र में संसदीय सीट जीती है यह शिवसेना (अविभाजित) का पारंपरिक गढ़ रहा है। महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री राणे 2019 में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में शामिल हुए और उन्हें राज्यसभा के लिए मनोनीत किया गया। यह उनका पहला लोकसभा चुनाव था।