नई दिल्ली। मेडिकल रिपोर्ट गलत देने वाले पर उपभोक्ता फोरम ने सख्ती दिखाते हुए लाखों का जुर्माना भरने को कहा है। दरअसल गर्भवती महिला की अल्ट्रा सोनोग्राफी टेस्ट रिपोर्ट गलत देने को लेकर राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग ने डॉक्टर और अस्पताल पर साढ़े सात-साढ़े सात लाख यानी कुल 15 लाख रुपए का जुर्माना लगाया है। यह राशि पीड़ित महिला को मुआवजे के तौर पर देने को कहा गया है। जानकारी अनुसार राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग के एपी शाही की अध्यक्षता वाली पीठ का कहना है कि अल्ट्रा सोनोग्राफी इसलिए कराई जाती है, ताकि गर्भ में पल रहे शिशु के शारीरिक विकास में विकार संबंधी जानकारी से अवगत हुआ जा सके। ऐसे में डॉक्टर व संबंधित अस्पताल की रिपोर्ट में बच्चे के लिंब को नार्मल बताना, जबकि ऐसा नहीं था। पीठ ने माना कि सोनोग्राफी टेस्ट करते समय घोर लापरवाही बरती गई थी, जिसकी वजह से बच्चा अपंग पैदा हुआ। उस बच्चे के घुटनों के नीचे से दोनों पैर नहीं थे और एक हाथ भी कुहनी के नीचे से गायब था। इस हालत में बच्चा जीवनभर स्पेशल नर्स केयर में रहेगा। इसकी वजह से उसके माता-पिता को भी जीवन भर मानसिक प्रताड़ना सहने को मजबूर होना पड़ा। इस लापरवाही को गंभीर मानते हुए पीठ ने कहा कि इसे नकारा नहीं जा सकता। अत: राष्ट्रीय आयोग ने इस मामले में राज्य उपभोक्ता आयोग द्वारा डॉक्टर व अस्पताल पर लगाए गए 75-75 हजार रुपए के जुर्माने को नाकाफी बताया और उसे कुल 15 लाख रुपये बतौर जर्माना भरने को कहा है।
Saturday, January 20, 2024
सोनोग्राफी की गलत रिपोर्ट देने पर जुर्माना 15 लाख रुपये का
नई दिल्ली। मेडिकल रिपोर्ट गलत देने वाले पर उपभोक्ता फोरम ने सख्ती दिखाते हुए लाखों का जुर्माना भरने को कहा है। दरअसल गर्भवती महिला की अल्ट्रा सोनोग्राफी टेस्ट रिपोर्ट गलत देने को लेकर राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग ने डॉक्टर और अस्पताल पर साढ़े सात-साढ़े सात लाख यानी कुल 15 लाख रुपए का जुर्माना लगाया है। यह राशि पीड़ित महिला को मुआवजे के तौर पर देने को कहा गया है। जानकारी अनुसार राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग के एपी शाही की अध्यक्षता वाली पीठ का कहना है कि अल्ट्रा सोनोग्राफी इसलिए कराई जाती है, ताकि गर्भ में पल रहे शिशु के शारीरिक विकास में विकार संबंधी जानकारी से अवगत हुआ जा सके। ऐसे में डॉक्टर व संबंधित अस्पताल की रिपोर्ट में बच्चे के लिंब को नार्मल बताना, जबकि ऐसा नहीं था। पीठ ने माना कि सोनोग्राफी टेस्ट करते समय घोर लापरवाही बरती गई थी, जिसकी वजह से बच्चा अपंग पैदा हुआ। उस बच्चे के घुटनों के नीचे से दोनों पैर नहीं थे और एक हाथ भी कुहनी के नीचे से गायब था। इस हालत में बच्चा जीवनभर स्पेशल नर्स केयर में रहेगा। इसकी वजह से उसके माता-पिता को भी जीवन भर मानसिक प्रताड़ना सहने को मजबूर होना पड़ा। इस लापरवाही को गंभीर मानते हुए पीठ ने कहा कि इसे नकारा नहीं जा सकता। अत: राष्ट्रीय आयोग ने इस मामले में राज्य उपभोक्ता आयोग द्वारा डॉक्टर व अस्पताल पर लगाए गए 75-75 हजार रुपए के जुर्माने को नाकाफी बताया और उसे कुल 15 लाख रुपये बतौर जर्माना भरने को कहा है।
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