![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEj9ho_p3TeE7fokkTqqhHGdxXsttpUCmnjUozKWry6kgegbtDprVZmfLEWek_Mq9LR3X3C7bO-11UcE8GHD_6XNH_ImVSEJk8_8nofLSEk9vMWAhg_PqdiECA-RvP-ru0a68ChQDibOB_5OX64Z6x3_51yhjT0tGNSqPniQ0QWJHZYKQI2L1WQ7OfTSud2u/s320/Screenshot_22.jpg)
वॉशिंगटन। अमेरिकी प्राइवेट कंपनी का पेरेग्रीन-1 लैंडर चांद पर नहीं उतरेगा। इस लैंडर को बनाने वाली कंपनी एस्ट्रोबोटिक ने इसकी जानकारी दी। यह लैंडर 8 जनवरी को स्पेस में भेजा गया था। एस्ट्रोबोटिक कंपनी ने कहा कि लॉन्च के बाद दो बड़ी प्रॉबलम हो गईं। पहली- फ्यूल लीकेज और दूसरी- फेल बैटरी चार्किंग। पेरेग्रीन-1 लैंडर की लॉन्चिंग के चंद घंटों बाद फ्यूल लीक होने लगा। इस वजह से लैंडर उस जगह पर नहीं पहुंच पाया जहां से उसे सूरज की रोशनी मिलने वाली थी।
सौर उर्जा नहीं मिलने के कारण लैंडर पर लगे सोलर पैनल चार्च नहीं हो पाए और बैटरी सिस्टम फेल हो गया। हालांकि, हमारी टीम ने बैटरी चार्च करने का तरीका तो निकाल लिया लेकिन फ्यूल लीकेज नहीं रोक पाए। इस बीच अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा ने आर्टिमस-2 मिशन को 2026 तक के लिए टाल दिया है।
कंपनी ने कहा कि लॉन्चिंग से पहले हमारा मिशन चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग का था। सब सही होता तो 23 फरवरी को लैंडिंग होती। लेकिन अब हालात दूसरे हैं। अब हमारा मिशन लैंडर को चांद के जितना करीब हो सके उतना करीब ले जाना है। हम कोशिश कर रहे हैं कि बैटरी के सहारे वो सूरज के करीब पहुंच जाए जिससे सौर उर्जा के सहारे बैटरी लगातार चार्ज होती रहे और लैंडर से कुछ डेटा मिल सके। इस मून मिशन का मकसद चंद्रमा पर पानी के मॉलिक्यूल्स का पता लगाना था। इसके साथ ही लैंडर के चारों ओर रेडिएशन और गैसों को मापना भी एक मकसद था। इससे पता चलता कि सोलर रेडिएशन का चांद की सतह क्या असर होता है।