धर्म की रक्षा और समाज को एक सूत्र में पिरोने ही महापुरुषों का अवतरण होता है - Aajbhaskar

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Monday, November 27, 2023

धर्म की रक्षा और समाज को एक सूत्र में पिरोने ही महापुरुषों का अवतरण होता है


समरसता सेवा संगठन ने गुरुनानक देव एवँ महर्षि सुदर्शन जयंती पर विचार गोष्ठी एवं सम्मान समारोह का किया आयोजन

आज भास्कर, जबलपुर। समरसता सेवा संगठन द्वारा  सामाजिक समरसता के परिपेक्ष्य में "सब सबको जाने - सब सबको माने" एक अभियान के अंतर्गत गुरुनानक देव जी एवँ महर्षि सुदर्शन जी की जयंती की पूर्व संध्या पर  पूज्य स्वामी कालीनन्द जी महाराज, सिंधी सेंट्रल पंचायत सभा के अध्यक्ष श्री करतार सिंह बठिजा, जनअभियान परिषद के उपाध्यक्ष डॉ जितेंद्र जामदार, सिख संगत जबलपुर के प्रधान सरदार मनोहर सिंह रील जी, समरसता सेवा संगठन के अध्यक्ष श्री संदीप जैन की गरिमामय उपस्थिति में विचार गोष्ठी एवं सम्मान समारोह का आयोजन  समन्वय सेवा केंद्र आदि शंकराचार्य चौक में किया गया।


कार्यक्रम के मुख्य वक्ता डॉ जितेंद्र जामदार ने विचार गोष्ठी को संबोधित करते हुए कहा भगवान कहते हैं जब-जब धरती पर धर्म की हानि होती है तो भगवान अवतार के रूप में मानव कल्याण करते हैं सभी को दर्शन देते हैं सभी का कल्याण करते हैं। संत एवँ महापुरुषों का अवतरण भी धर्म की रक्षा और समाज को एक सूत्र में पिरोने के लिए हुए हैं।


डॉ जामदार ने कहा हमारा देश वसुधैव कुटुंबकम् के मार्ग पर चलता है जिसमे पूरी वसुधा एक कुटुंब है पूरी पृथ्वी एक परिवार हैं। भगवान आदि शंकाराचार्य ने कहा है जो पूरे विश्व में व्याप्त है वह एक ओंकार है परंतु समाज में भिन्नता बहुत है जो संतो को भी बाटने का काम करते हैं जिन्होंने समस्त मानव जाति को प्रेरणा दी है लेकिन समरसता के भाव को समस्त गुरुओं एवं संतों को जानने की आवश्यकता है।


उन्होंने कहा कि आज गुरु नानक देव जी की जयंती एवं महर्षि सुदर्शन जी की जयंती है इन संतो महापुरुषों के साथ ही जब भी समाज में किसी प्रकार की समस्या उत्पन्न हुई है महापुरुषों ने अवतार के रूप में उनका समाधान करते हुए समाज को दिशा दी है। उन सभी संतों एवं महापुरुषों को आत्मसात करने का माध्यम समरसता सेवा संगठन बन रहा है जिसने पिछले 8 माह में लगभग 25 संतों एवं महापुरुषों की जयंती पर विचार गोष्ठी आयोजित करके समरसता का अनुपम उदाहरण प्रस्तुत किया है।


पूज्य स्वामी कालीनन्द जी महाराज ने विचार गोष्ठी को संबोधित करते हुए कहा आज ऐसे महापुरुषों की जयंती की पूर्व संध्या पर विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया है जिन्होंने देश और धर्म को जो दिया है वह ऐसा ज्ञानरूपी प्रकाश है जिसका कभी अंत नही हो सकता। 


उन्होंने महर्षि सुदर्शन जी के जीवन वृत्त पर प्रकाश डालते हुए बताया  महाभारत काल मे पांडवों के अहंकार को तोड़ते हुए 

उन्होंने कहा भारत वर्ष की विभूतियों की जन्मजयंती पर समरसता के भाव से सभी को जोड़ने के भाव से समरसता सेवा संगठन बहुत ही अच्छा कार्य कर रहा है।


कार्यक्रम के मुख्य अतिथि श्री करतार सिंह बठिजा ने गोष्ठी को संबोधित करते हुए कहा आज ऐसे हम ऐसे गुरुओं को नमन करने एकत्र हुए है जिन्होंने समाज को एक सूत्र में पिरोने के लिए धरती पर अवतरण लिया था एक महर्षि सुदर्शन जी थे जिन्होंने भक्ति मार्ग पर चलते हुए समाज को संदेश दिया और एक पहली पातशाही गुरुनानक देव जी जिन्होंने एक ओंकार अर्थात  ईश्वर एक है का मंत्र दिया आज समरसता सेवा के इस मंच पर गुरुनानक देव जी का दिया हुआ मंत्र सच्चे अर्थों में साकार हो रहा है और यह संगठन अपने कार्यक्रमों के माध्यम से लोगो को जोड़ने के लिए कार्य कर रहा है यही बात हमारे गुरुनानक देव जी ने कही थी।


उन्होंने जहाँ जबलपुर पुण्य भूमि है और हम बड़े सौभाग्य शाली है जो यहाँ दो बार गुरुनानक देव जी के चरण पड़े एक बार मड़ाताल स्थित गुरुद्वारा में और ग्वारीघाट में गुरुनानक जी अपनी मित्र मंडली के साथ रह जहाँ गुरुद्वारा का निर्माण कराया गया।


कार्यक्रम में प्रो. सरदूल सिंह संधू ने विचार गोष्ठी को संबोधित करते हुए कहा वाहेगुरु का नाम में ही देवता समाहित है जिन्होंने समरसता का संदेश समाज में दिया है भगवान शिव भी नारी आदिशक्ति में सम्मिलित होकर अर्धनारीश्वर के रूप में सबका कल्याण करते हैं जिनका संदेश है कि दोनो से सृष्टि का संचालन है गुरुनानक देव जी के प्रकाशपर्व की पूर्व संध्या पर समरसता का यह अनूठा कार्यक्रम समाज को एक दिशा में काम करने की प्रेरणा देता है।


समरसता सेवा संगठन के अध्यक्ष श्री संदीप जैन ने अध्यक्षीय उद्बोधन देते हुए कहा समरसता सेवा संगठन के अध्यक्ष श्री संदीप जैन ने अध्यक्षीय उद्बोधन देते हुए कहा कि एक परमात्मा का अंश सबमें विराजमान है एवं जब परमात्मा सबमें है तो सभी एक समान हैं जितने भी संतों ने समाज को जो दर्शन दिया वो विश्व कल्याण के लिए दिया है जिसमे सब समान है एवं समरसता का यह भाव नया नहीं है बल्कि अनादि काल से चला आ रहा है जिसमे भगवान श्री राम का सबसे उत्कृष्ट उदाहरण है जिसमे प्रभु, माता साबरी के झूठे बेर खा रहे हैं। समरसता सेवा संगठन का प्रमुख उद्देश्य यही है कि सब सबको जाने सब सबको माने ताकि मानव एक साथ विश्वकल्याण हेतु आगे बढ़ सके।

कार्यक्रम की प्रस्तावना सचिव उज्ज्वल पचौरी ने रखी। संगठन वक्ता के रूप में कवि श्री आलोक पाठक ने अपने विचार व्यक्त किये।कार्यक्रम का संचालन श्री धीरज अग्रवाल एवँ आभार  ने व्यक्त किया।

सम्मान -  कार्यक्रम के दूसरे चरण में समाजसेवी सरदार मंजीत सिंह, अजय अर्खेल, राजेंद्र सिंह छाबड़ा, जगदीश चौहटेल, हरदेव सिंह प्रधान,भारत बेरिया, साहब सरदार हरिंदर सिंह प्रधान, सुरेंद्र लखेरा, सरदार गुलजीत साहनी जी, डॉ हेमंत करसा, सरदार हरजीत सिंह, जगदीश नन्हेक, सरदार प्रताप सिंह, भारत बिरहा, सरदार कुलदीप सिंह बंसल, राजेश मार्वेकर,  सरदार आरएस चंडोक, सरदार सरदूल सिंह संधू, सरदार दविंदर सिंह ग्रोवर, सरदार रणजीत सिंह जी, सरदार अवतारसिंह बांगा, सरदार सतवंत सिंह जस्सल, इंद्रमोहन भाटिया,  इंद्र कुमार तामिया, जागेश समुंद्रे,  हेमंत मलिक, अविनाश चमकेल, एड मतेल, एड मुकेश बिरहा, अशोक कटारे का सम्मान किया गया।

इस अवसर पर रत्नेश मिश्रा, शैलेश लोधी, सहेंद्र श्रीवास्तव, अशोक कटारे, शंकर चौदहा, नरेश नामदेव, राजेश साहू, श्याम सिंह ठाकुर,  सोनू बचवानी, कौशल सूरी, काके आनंद, प्रमोद चोहटेल, अखिलेश राजपूत नितिन अग्रवाल, अनिल जैन, दीपक तिवारी, विष्णु अग्रवाल आदि बड़ी संख्या सामाजिक जन उपस्थित थे।

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