खास बात यह है कि इस योजना के दायरे में आने वाली पात्र महिलाओं की संख्या करीब एक करोड़ 31 लाख है, लेकिन फिलहाल लगभग 30 लाख महिलाओं को ही 450 रुपए में सिलेंडर मिलेगा। यह कुल पात्र महिलाओं की संख्या के मुकाबले एक चौथाई से भी कम है। यही वजह है कि सरकार को योजना पर वर्तमान में हर महीने सब्सिडी के बतौर करीब 100 करोड़ रुपए खर्च करना होंगे। खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग को महीने दर महीने योजना पर सब्सिडी की राशि बढऩे का अनुमान है। इसकी दो वजह हैं। पहला, सस्ता सिलेंडर मिलने पर उज्ज्वला गैस कनेक्शनधारी महिलाओं के गैस सिलेंडर भरवाने की संख्या बढ़ेगी। दूसरा जिन लाड़ली बहनों के नाम अभी गैस कनेक्शन नहीं है, वे अपने नाम पर गैस कनेक्शन कराएंगी। जैसे-जैसे महिलाओं के नाम गैस कनेक्शन बढ़ेंगे, योजना में सब्सिडी के रूप में खर्च होने वाली राशि बढ़ेगी।
दरअसल, प्रदेश में मुख्यमंत्री लाड़ली बहना योजना में हितग्राहियों की संख्या एक करोड़ 31 लाख है। इनमें 82 लाख महिलाएं वे हैं, जो उज्ज्वला गैस कनेक्शनधारी हैं। इनके अलावा बची हुई लाड़ली बहनों की संख्या 49 लाख है। उज्ज्वला योजना की 82 लाख हितग्राहियों में से सिर्फ 20 लाख महिलाएं ही गैस रिफिल कराती हैं, इसलिए उन्हें ही 450 रुपए में गैस सिलेंडर मिलेगा। बची हुई 62 लाख महिलाएं गैस सिलेंडर महंगा होने के कारण गैस रिफिल नहीं कराती हैं। ऐसे ही बची हुई 49 लाख लाड़ली बहनों में से 10 लाख के नाम पर गैस कनेक्शन हैं। इस तरह सरकार को वर्तमान में योजना में सिर्फ 30 लाख महिलाओं को सब्सिडी देना पड़ेगी। खाद्य विभाग के अधिकारियों का कहना है, सरकार तय किया है कि यदि कोई लाड़ली बहन भविष्य में अपने नाम पर गैस कनेक्शन करा लेती है, तो उसे भी योजना का लाभ देते हुए 450 रुपए में गैस सिलेंडर दिया जाएगा। विभाग का अनुमान है कि अक्टूबर से ही योजना में पात्र महिलाओं की संख्या बढऩा शुरू हो जाएगी। प्रमुख सचिव खाद्य उमाकांत उमराव का कहना है कि योजना के दायरे में सभी 1.31 करोड़ महिलाएं आएंगी। यदि कोई लाडली बहन भविष्य में अपने नाम गैस कनेक्शन कराती है, तो उसे भी 450 रुपए में सिलेंडर दिया जाएगा।