RSS में फूट, बनाई नई पार्टी, मप्र में लड़ेगी चुनाव - Aajbhaskar

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Tuesday, September 12, 2023

RSS में फूट, बनाई नई पार्टी, मप्र में लड़ेगी चुनाव


आज भास्कर, भोपाल :
राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के पूर्व प्रचारकों ने रविवार को भोपाल में नए राजनीतिक दल जनहित पार्टी का गठन किया। भोपाल पहुंचे पूर्व प्रचारकों ने पांच सूत्रीय एजेंडा तय किया है। इस एजेंडे पर भी भाजपा सरकार को आगामी विधानसभा चुनाव में घरेंगे।

रीवा, भिंड और मालवा के सदस्य शामिल हुए

जनहित पार्टी गठित करने वालों में से एक अभ्य जैन ने बताया कि रविवार को सुबह 10 बजे से 6 बजे तक आगामी रणनीति को लेकर मंथन किया गया। इसमें रीवा, भिंड और मालवा के सदस्य शामिल हुए। इसके अलावा झारखंड से भी कुछ लोग आए थे। उन्होंने बताया कि जनता की समस्या को लेकर प्रदेश भर में आंदोलन करेंगे। इसके अलावा मौजूदा समय में नाखुश और समान विचारधारा के लोगों को नई पार्टी से जोड़ा जाएगा। उन्होंने भाजपा को चुनाव में घेरने के सवाल पर कहा कि वह किसी राजनीतिक पार्टी को टारगेट करने के बजाए जनहित के मुद्दों को ध्यान केंद्रित कर आगे बढ़ेगे

विधानसभा चुनाव में प्रत्याशी खड़े करेंगे

जैन ने कहा कि आगामी विधानसभा चुनाव में जिन विधानसभा सीट पर उनके लोग है, उनको प्रत्याशी के रूप में उतारा जाएगा। उन्होंने कहा कि हमारा लक्ष्य वर्तमान राजनीति की विकृत और अवसरवादी होती संस्कृति में बदलाव लाना है। इसके अलावा सरकारी सिस्टम को सुधारना भी बहुत जरूरी हो गया है। उन्होंने कहा कि चुनाव के समय जनता को पूछपरख की सोच को बदलने का प्रयास करेंगे। राजनीतिक पार्टियां खास तौर पर सत्ता में बैठी पार्टी चुनाव के समय जनती को सौगातें और घोषणाओं का अंबार लगा देती है। आज आम आदमी पार्टी सरकार व्यवस्था से परेशान है। इसमें सुधार लाने का प्रयास हमारी जनति पार्टी करेगी।

हिंदुत्व और सनातन पर चलने वाली राजनीति पार्टी का विकल्प

जैन ने कहा कि देश की जनता स्वच्छ राजनीति चाहती है, लेकिन नेता आज उनके मुद्दे ही भूल गए है। उन्होंने भाजपा को ही ले लीजिए। पंडित दीनदयाल उपाध्याय जैसे महान विचारकों ने जिन विचारों से पार्टी की स्थापना की थी, वह विचार आज गायब है। हम पंडित दीनदयाल उपाध्याय के विचारों का पालन कर एक उदाहरण पेश करेंगे। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि यह पूर्व प्रचारक अपने संपर्कों से अपनी पार्टी को आगे बढ़ाने का प्रयास करेंगे। इनका उद्देश्य जनहित के मुद्दों के साथ ही हिंदुत्व और सनातन पर चलने वाली राजनीति पार्टी का विकल्प देना है। उनका कहना है कि यदि यह जनता का विश्वास जीतने में सफल होती है तो भाजपा की प्रदेश में मुसीबत बढ़ सकती है।

राजनीति के क्षेत्र में हो सकते है कई बदलाव

देश की राजनीति में आने वाले समय में कई बड़े बदलाव देखे जा सकते हैं। दरअसल, मध्य प्रदेश में साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने हैं। उससे पहले राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के कुछ पूर्व प्रचारकों ने एक बड़ा कदम उठाया है। इन्होंने अपनी एक राजनीतिक पार्टी बनाई है, जिसका नाम 'जनहित पार्टी'रखा है। ऐसे में ये पार्टी बीजेपी के साथ अन्य पार्टियों को हिंदुत्व के मुद्दे पर चुनौती दे सकती है

इस नई पार्टी में RSS के कई पूर्व प्रचारक शामिल हैं, जिन्होंने 10 सितंबर को भोपाल में पार्टी का गठन किया। संघ के पूर्व प्रचारक अभय जैन ने इस पार्टी के गठन की शुरुआत की। इस पार्टी के गठन का मकसद देश की जनता को हिंदुत्व आधारित सौ फीसदी खरी राजनीतिक पार्टी का विकल्प देना बताया जा रहा है। 60 वर्षीय अभय जैन ने भोपाल में इस उद्देश्य से की गई बैठक में भाग लेने के बाद संवाददाताओं को यह जानकारी दी।

"लोकतंत्र की कसौटी पर विफल रहे दल"

जैन ने कहा कि हम आने वाले विधानसभा चुनाव में अपने प्रत्याशी भी खड़ा करेंगे। जैन ने कहा, "हमने (संघ के कुछ पूर्व प्रचारकों ने) जनहित पार्टी का गठन किया है, क्योंकि अभी सारे राजनीतक दलों की राजनीतिक संस्कृति लोकतंत्र की मूल भावना के खिलाफ है और लोकतंत्र की कसौटी पर विफल रहे हैं।"

अभय जैन के अलावा ये हैं शामिल

इस पार्टी के गठन में अभय जैन के अलावा मनीष काले, विशाल बिंदल मुख्य रूप से शामिल हैं। अभय जैन मध्य प्रदेश में प्रांत बौद्धिक प्रमुख रह चुके हैं। वे इंदौर नगर प्रचारक के साथ सिक्किम विभाग प्रचारक और प्रांत सेवा प्रमुख जैसे बड़े दायित्व पर रह चुके हैं। मध्य प्रदेश समेत देश के कई राज्यों में अभय जैन लंबे समय से सक्रिय रहे हैं। वे देशभर के लोगों को इस नई विचारधारा से जोड़ने का काम कर रहे हैं।

वहीं, मनीष काले आरएसएस के रीवा विभाग प्रचारक रह चुके हैं। ग्वालियर-चंबल के पूरे क्षेत्र में लंबे समय से सक्रिय हैं। वहां के लोगों को नई राजनीतिक पार्टी से जुड़ने के लिए प्रेरित कर रहे हैं। विशाल बिंदल भोपाल सायं बाग प्रचारक रह चुके हैं। वे इन दिनों झारखंड में सक्रिय हैं। वहां पर सामाजिक और राजनीतिक आंदोलनों का नेतृत्व कर रहे हैं। इनके अलावा डॉक्टर सुभाष बारोट भी शामिल हैं, जो पिछले 40 वर्षों से सामाजिक कार्यों में संलग्न हैं।